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ये हैं वो वकील जिनकी जिरह-दलील बनी अयोध्या के फैसले का आधार

सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच सबसे ज्यादा बहस अयोध्या की विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर हुई. हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से पेश हुए वकीलों ने ढेरों दस्तावेज, एएसआई रिपोर्ट और धर्मग्रंथों का सहारा लिया. 

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कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:19 AM IST

अयोध्या के राममंदिर और बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के नेतृत्व में बनी पांच जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का मालिकाना हक राम जन्मभूमि न्यास को दिया है. जबकि, मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में दूसरी जगह मस्जिद बनाने के लिए जमीन देने का निर्णय दिया है. साथ ही निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया गया है. 

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बता दें करीब 400 साल पुराने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगातार 40 दिन तक सुनवाई करने के बाद आज फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच सबसे ज्यादा बहस अयोध्या की विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर हुई. हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से पेश हुए वकीलों ने ढेरों दस्तावेज, एएसआई रिपोर्ट और धर्मग्रंथों का सहारा लिया.

सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्षकार ने पहले 16 दिन में 67 घंटे 35 मिनट तक मुख्य दलीलें रखी थीं. इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने 18 दिन में 71 घंटे 35 मिनट तक पक्ष रखा.  पांच दिन में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की दलीलों पर 25 घंटे 50 मिनट तक जवाबी जिरह की. इसके बाद शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

सुनवाई के दौरान हिंदू पक्षकारों में रामलला विराजमान की तरफ से के. परासरन और सीएस वैद्यनाथन, निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील जैन, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से पीएन मिश्रा ने दलीलें रखीं. शिया वक्फ बोर्ड के वकील एमसी ढींगरा ने भी मंदिर के पक्ष में दलीलें दी थीं. जबकि मुस्लिम पक्षकारों में सुन्नी वक्फ बोर्ड व अन्य की ओर से राजीव धवन, जफरयाब जिलानी, मीनाक्षी अरोड़ा, शेखर नाफड़े और मोहम्मद निजामुद्दीन पाशा ने दलीलें रखी थीं.

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हिंदू पक्ष की ओर से इन दिग्गजों ने सुप्रीम कोर्ट में रखे थे अपने तथ्य

के. परासरन-पूर्व अटार्नी जनरल परासरन ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बहस करते हुए पौराणिक तथ्यों के आधार पर मंदिर होने की दलीलें पेश कीं.

सीएस वैद्यनाथन-सुप्रीम कोर्ट में सीएस वैद्यनाथन पेश हुए और उन्होंने एएसआइ की रिपोर्ट की प्रासंगिकता व वैधता के आधार पर पक्ष को सबल किया.

पीएस नरसिम्हा-सुप्रीम कोर्ट में पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नरसिम्हा पेश हुए और उन्होंने पुराणों की बात को मजबूती से पेश किया.

रंजीत कुमार- हिंदू पक्षकारों की ओर से पूर्व सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने पूजा का हक मांगने वाले गोपाल सिंह विशारद की ओर से बहस की.   

पीएन मिश्रा-अखिल भारत श्रीराम जन्म भूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से पीएन मिश्रा सुप्रीम कोर्ट में बहस की और अपनी बात रखी.

हरिशंकर जैन-अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से हरिशंकर जैन सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने मंदिर के पक्ष में दलीलों को रखा था.

सुशील कुमार जैन-निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील कुमार जैन ने सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे और उन्होंने न्यायालय बहस की और मंदिर पर दावा पेश किया था.

जयदीप गुप्ता- सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता निर्वाणी अखाड़ा के धर्मदास की ओर से अदालत में बहस हिस्सा लिया था.

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मुस्लिम पक्ष के वकील, जिन्होंने मस्जिद के पक्ष में पेश कीं दलील

राजीव धवन- मुस्लिम पक्षकारों की ओर से मुख्यतौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे और उन्होंने मालिकाना हक के मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से मुख्य बहस की थी.

जफरयाब जिलानी-मुस्लिम पक्षकार की ओर से जफरयाब जिलानी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे और उन्होंने इमाम के वेतन, पुताई आदि के सबूत पेश कर वहां मस्जिद होने का सबूत पेश किया था.

शेखर नाफड़े- मुस्लिम पक्षकारों की ओर से शेखर नाफड़े सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे. उन्होंने रेसजुडीकेटा और एस्टोपल के कानूनी सिद्धांत पर यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि मालिकाना हक के केस पर कोर्ट अब सुनवाई नहीं कर सकता.

निजामुद्दीन पाशा- मुस्लिम पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में निजामुद्दीन पाशा पेश हुए थे. उन्होंने पवित्र कुरान की आयतों के आधार पर देश की सबसे बड़ी अदालत में इस्लामिक कानून पर बहस की थी.

मीनाक्षी अरोड़ा- वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा मुस्लिम पक्ष की ओर पेश हुई थीं. उन्होंने एएसआइ की रिपोर्ट के खिलाफ बहस की थी.

 

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