
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनाने के लिए किसी नए ट्रस्ट की जरूरत नहीं है. मेरा ट्रस्ट ही मुख्य कर्ताधर्ता रहेगा. जरूरत पड़ने पर और लोगों को शामिल किया जा सकता है.
हालांकि, नृत्य गोपाल दास ने यह साफ किया है कि इस बाबत उनकी सरकार से कोई बातचीत नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते अपने फैसले में मंदिर निर्माण के लिए सरकार को ट्रस्ट गठित करने का आदेश दिया था.
ट्रस्ट की अगुवाई करें योगी आदित्यनाथ
आईएएनएस के अनुसार, इससे पहले राम जन्मभूमि न्यास ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की निगरानी करने वाले ट्रस्ट की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करें. न्यास ने कहा कि आदित्यनाथ को गोरक्षा पीठ के महंत के तौर पर ट्रस्ट की अध्यक्षता करनी चाहिए ना कि मुख्यमंत्री के तौर पर.
न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि राम जन्मभूमि न्यास चाहता है कि योगी आदित्यनाथ ट्रस्ट की अध्यक्षता करें. गोरखपुर में प्रतिष्ठित गोरखनाथ मंदिर गोरक्षा पीठ का है और राम मंदिर आंदोलन में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. महंत दिग्विजय नाथ, महंत अवैद्यनाथ और अब योगी आदित्यनाथ मंदिर आंदोलन के महत्वपूर्ण अंग रहे हैं.
ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया शुरू
इस बीच केंद्र सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की देखरेख के लिए ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर मालिकाना हक को लेकर दिए गए फैसले में इसका आदेश दिया था. गृह और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी ट्रस्ट के गठन और उसके नियमों को तय करने का हिस्सा होंगे.
सूत्रों के अनुसार, सरकार सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या पर फैसले का अध्ययन कर रही है और नौकरशाहों की एक टीम तकनीकी पक्ष और बारीकियों का अध्ययन कर रही है. सूत्रों ने कहा कि वरिष्ठ कानून अधिकारी जैसे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से इस मुद्दे पर सलाह ली जाएगी. साथ ही कानून मंत्रालय और एटॉर्नी जनरल से यह राय भी ली जाएगी कि ट्रस्ट का गठन कैसे किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने शनिवार को दिए अपने फैसले में सर्वसम्मति से फैसला सुनाया कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन मंदिर निर्माण के लिए रामलला को दी जाएगी. जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में बेंच ने सरकार को इसके लिए ट्रस्ट स्थापित करने के लिए तीन महीने का समय दिया है. मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए प्रमुख जगह पर 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है.