
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या मामले में अपना फैसला सुना दिया. इसके साथ ही अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया. सर्वोच्च अदालत ने अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन को रामलला विराजमान को सौंपने और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अलग से पांच एकड़ जमीन देने का फैसला दिया है. 1045 पेज के इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार के दावों का विश्लेषण किया है, जिसमें पाया कि विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्षकार का दावा साबित नहीं हुआ.
लेखकों के यात्रावृत्तांत का विश्लेषण
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी टेफेन्थैलर और एंग्लो-आयरिश लेखक मांटगोमरी मार्टिन समेत अन्य विदेशी लेखकों के यात्रावृत्तांत का विश्लेषण किया. इसमें हिंदुओं की आस्था और विश्वास के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया, जिसके आधार पर अयोध्या की विवादित जमीन पर भगवान राम के जन्म और जन्मस्थान पर हिंदुओं के पूजा करने की बात कही गई.
ब्रिटिश राजनयिक विलियम फिंच ने साल 1608 से 1611 और टेफेन्थैलर ने 1743 से 1785 के बीच भारत की यात्रा की थी. इन्होंने यात्रावृत्तांत में अयोध्या के बारे में भी लिखा है. जिसमें कहा गया कि हिंदू राम जन्मभूमि पर भगवान राम की पूजा करते हैं. टेफेन्थैलर ने अपने यात्रावृत्तांत में खासतौर से राम मंदिर परिसर में स्थित सीता रसोई, स्वर्गद्वार और झूले का जिक्र किया, जिससे वहां पर भगवान राम के जन्म की बात साफ होती है.
टेफेन्थैलर ने यात्रावृत्तांत में क्या बताया?
टेफेन्थैलर ने यात्रावृत्तांत में बताया कि राम जन्मभूमि में हिंदू श्रद्धालु काफी संख्या में एकजुट होते थे और भगवान राम की पूजा करते थे. टेफेन्थैलर का यात्रावृत्तांत 18वीं सदी और ब्रिटिश काल में हिंदू-मुस्लिम दंगा होने के बाद बनी ईंट की दीवार के पहले का है.
उन्होंने अपने लेख में विवादित जमीन पर भगवान राम का मंदिर बताया, जहां पर भगवान विष्णु ने राम के रूप में जन्म लिया. टेफेन्थैलर ने अपने लेख में यह भी कहा कि औरंगजेब या फिर बाबर ने राम जन्मभूमि पर बने ढांचे को गिरवाया था. भगवान राम के मंदिर में तीन परिक्रम मार्ग थे. वहां पर हिंदू पूजा करते थे.
वहीं, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि अयोध्या की विवाद जमीन पर मुगल सम्राट बाबर द्वारा या उसके आदेश पर 1528 में बाबरी मस्जिद बनाई गई थी. मस्जिद बनाने की तारीख से 1856-57 यानी 325 साल से ज्यादा समय तक विवादित जमीन पर नमाज पढ़ने की बात साबित नहीं हुई.