
पिछले सात सालों में अपनी फिल्मों से नया दर्शक वर्ग गढ़ने वाले आयुष्मान खुराना भले ही न्यूमरोलॉजी और एस्ट्रोलॉजी में विश्वास ना करते हों लेकिन आयुष्मान खुराना के पिता पी. खुराना पंजाब और उत्तर भारत के जाने-माने एस्ट्रोलॉजर हैं और उन्हें पापा की बात तो माननी ही पड़ती है. आयुष्मान अपने पिता की सलाह को बेहद गंभीरता से लेते हैं यही कारण है कि उनके नाम और सरनेम में बचपन से ही थोड़ा बदलाव किया गया है लेकिन चूंकि उनके भाई अपारशक्ति खुराना का नाम न्यूमरोलॉजिकली परफेक्ट है, ऐसे में उनके नाम में कोई बदलाव नहीं किया गया.
आयुष्मान कहते हैं कि उनके पिता कर्म की थ्योरी में यकीन रखते हैं. अगर कर्म अच्छे होंगे तो चीज़ें भी बेहतर होंगी. आयुष्मान भी इस थ्योरी से इत्तेफाक रखते हैं. यही कारण है कि उनकी फिल्में हर बार दर्शकों को कुछ नए किस्म का कंटेंट उपलब्ध कराती है. आयुष्मान ने अपनी पिछली सभी फिल्मों में ऐसे मुद्दे चुने हैं जिन पर समाज में कम ही चर्चा होती है लेकिन ये सभी फिल्में ऐसी थी जो कॉमेडी और कटाक्ष के दायरे में थी लेकिन आर्टिकल 15 के साथ ही उन्होंने अपनी पर्सनैलिटी के डार्क पहलू से भी लोगों को रूबरू कराया है.
साल 2017 से भले ही आयुष्मान खुराना ने अपने करियर को फोर्थ गियर में डालकर बैक टू बैक 4 हिट फिल्में दे दी हों लेकिन साल 2012 में अपनी पहली ही फिल्म से स्पर्म डोनर का अनूठा और बोल्ड किरदार निभाकर उन्होंने अपनी काबलियित से लोगों को परिचित करा चुके थे. दो सालों में बरेली की बर्फी, शुभ मंगल सावधान, बधाई हो और अंधाधुन जैसी फिल्मों ने उन्हें इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया और साल 2019 में अपनी फिल्मों के कंटेंट के सहारे वे एक भरोसेमंद ब्रैंड में तब्दील हो चुके हैं.