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बाबा...बाबा...ब्लैकमनी पार्ट-2: कालेधन को सफेद कर रहे हैं आश्रम के धर्माधिकारी!

मोक्ष का द्वार देवनगरी हरिद्वार. मान्यता है कि हरिद्वार में हर की पौड़ी में एक डुबकी जन्म-जन्मांतर के पाप धो देती है. उसी हरिद्वार और ऋषिकेश के आश्रम और ट्रस्ट के धर्माधिकारी लोगों की काली कमाई को व्हाइट करने में जुटे हुए हैं. धर्म के ठेकेदार बने इन ट्रस्ट और आश्रम के मैनेजर बाबा लोगों के कालेधन को सफेद करने के जुगाड़ मैकेनिक बने हुए हैं.

आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिंगेटिव रिपोर्ट आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिंगेटिव रिपोर्ट
मुकेश कुमार/अमित कुमार चौधरी
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 10:49 PM IST

मोक्ष का द्वार देवनगरी हरिद्वार. मान्यता है कि हरिद्वार में हर की पौड़ी में एक डुबकी जन्म-जन्मांतर के पाप धो देती है. उसी हरिद्वार और ऋषिकेश के आश्रम और ट्रस्ट के धर्माधिकारी लोगों की काली कमाई को व्हाइट करने में जुटे हुए हैं. धर्म के ठेकेदार बने इन ट्रस्ट और आश्रम के मैनेजर बाबा लोगों के कालेधन को सफेद करने के जुगाड़ मैकेनिक बने हुए हैं. हमारे सहयोगी चैनक आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिंगेटिव रिपोर्ट में ऐसे लोगों के चेहरे बेनकाब हुए हैं, जो धर्म के आंगन में बैठ कर अधर्म के काम में लगे हुए हैं. इस रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि ये लोग कालेधन के कुबेरों शह दे रहे हैं ताकि कालेधन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लड़ाई कमजोर हो सके.


सच्चा धाम आश्रम, लक्ष्मण झूला, ऋषिकेश
ऋषिकेश में लक्ष्मण झूले के पास ही सच्चाधाम आश्रम है, यहां आजतक की अंडरकवर टीम बिजनेसमैन बनकर पहुंची. सबसे पहले हमारी मुलाकात आश्रम के सेवादार भूपसिंह से हुई. हमने भूपसिंह से कहा कि हम वहां करोड़ों रुपये के कालेधन को व्हाइट करवाने के लिए आए हैं और नोटबंदी ने हमारी कमरतोड़ दी है. भूपसिंह ने आश्रम के मैनेजर रमेश से हमारी मुलाकात करवा दी. हमे आगाह कर दिया कि सीधी बात कर ले. इसका मतलब था कि कमिशन और कालेधन को कैसे ठिकाना लगाना है इस पर बात साफ-साफ कर लें, ताकि बाद में कोई कंफ्यूजन ना रहे. यहां हमारी टीम को आश्रम के कमरा नंबर 11 में ले जाया गया. हम और आश्रम के मैनेजर जैसे ही कमरे में घुसे और बाहर से भूपसिंह ने दरवाजे की कुंडी लगा दी.

यहां मैनेजर रमेश सीधे मुद्दे की बात पर आ गया. वो कालेधन को व्हाइट करने के कई जुगाड़ हमे बताने लगा. हर जुगाड़ को फिट करने के लिए कमिशन की रकम अलग-अलग थी. रमेश का दावा था कि उसके जानकार के पास ऐसा बैंक अकाउंट है जिसके बारे में रिजर्व बैंक को भी नहीं पता. बड़ी आसानी से ब्लैकमनी लेकर वो उस अकाउंट से हमे आरटीजीएस करवा देगा.

रिपोर्टर- आरटीजीएस हो जाएगा.
रमेश, मैनेजर (सच्चा धाम)- आरटीजीएस हो जाएगा. उस अकॉउंट से कोई दिकक्त नहीं होगी.
 
रिपोर्टर- पूरा एक करोड़ हो जाएगा.
रमेश- हां हो जाएगा. एक आप देंगे तो उसमें कुछ कमिशन भी लेंगे.
 
रिपोर्टर- हां, कितना कमिशन लेंगे.
रमेश- कमिशन...अभी यहां का रेट 30 और 5 का है.

रिपोर्टर- 30 और 5 मतलब
रमेश- 30 तो वो रखेंगे और 5 बीच वालों के लिए है.
रिपोर्टर- अच्छा, ठीक है.

सच्चाधाम आश्रम का मैनेजर रमेश ब्लैकमनी को मैनेज करने में मंझे हुए जुगाड़ मैकेनिक की तरह दावे पर दावे किए जा रहे थे. हमने एक करोड़ रुपए की काली कमाई को व्हाइट करन की मांग की. वो झट से इसके लिए राजी हो गए. हमे बताया कि उनके कनेक्शन हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक हैं. उन्होंने 500 और 2000 रुपये के नए नोट के लिए अलग कमिशन की मांग की. एक करोड़ में 45 लाख रुपये दलाली के तौर पर रखने की डील रमेश करने लगे. इस डील के मुताबिक पैसे लाने ले जाने की जिम्मेदारी हमारी थी.

रमेश- लेकिन बड़े वाले के 40+5 = 45 है. यदि नए नोट चाहिए आपको तो...500-2000 रुपये के तो 45 का रेट है.
रिपोर्टर- यानि
 
रमेश- एक दोगे तो 55 आपको वापस आएगा.
रिपोर्टर- एक करोड़ में 55 लाख हमें मिलेगा.

रमेश- अच्छा जो हरिद्वार में दूसरे लोग कर रहे है वो थोड़े-थोड़े कर रहे हैं. 25-30 लाख और वो 25+5 में कर रहे हैं.
रिपोर्टर- 25+5 मतलब.
 
रमेश-
टोटल 30 आपका रखेंगे, 70 वापस कर देंगे.
रिपोर्टर- ये कौन कर रहे हैं?
 
रमेश-
ये तो है यहीं आश्रम वाले लोग हैं, कर रहे हैं.
रिपोर्टर- आश्रम से ही करवा दीजिए.
 
रमेश- लाना ले जाना आपका काम है.
रिपोर्टर- ठीक है.
रमेश- जगह वो बता देंगे.

आश्रम के मैनेजर रमेश से हमारी डीलिंग चल ही रही थी, तभी रमेश को एक फोन आया. बिना हिचके हुए रमेश फोन पर भी ब्लैकमनी को सफेद करने के ऑफर देने लगे. उन्होने हरिद्वार, आगरा और दिल्ली में कहीं भी ब्लैकमनी को ठिकाने लगा कर आरटीजीएस करने का प्रस्ताव दे दिया. यहां पढिए कि फोन पर उन्होंने क्या बात की...

रमेश- कितना है वहां. अच्छा...अच्छा...वहां तो नहीं है जानने वाला...दिल्ली और आगरा में है अपने पास और हरिद्वार में है. हरिद्वार वाला आरटीजीएस कर देगा, उसको दे आओ बस किसी तरह से वो आरटीजीएस कर देगा. वो पर्सेंट भी नहीं लेगा, 10-20 पर्सेंट में ही दे देगा.

सच्चा धाम आश्रम के मैनेजर रमेश को जब हम पर पक्का यकीन हो गया तो उसने हमारी मुलाकात रिटायर्ड पुलिसकर्मी आर. त्यागी से करवाई. आर. त्यागी ने हमे बताया कि उसने 2005 में पुलिस की नौकरी से वीआरएस ले लिया था और आजकल वो आश्रम से जुड़ा हुआ है. हमने इसके सामने कहानी गढ़ी कि एक करोड़ रुपये हम हरिद्वार ले आए हैं. इसे सुनते ही वो तुरंत बोले इसे तो मैं सुबह ही व्हाइट करा दूंगा. उसने हमे ऑफर दिया कि इसके बदले में दलाली काट कर रकम बैंक खाते में आरटीजीएस करा दे या कैश दिलवा दे. हमने कैश की मांग की तो त्यागी ने कहां ठीक है और ये भी कह दिया कि वो 500 और 2000 रुपए के नए नोट मुहैया कराने की कोशिश करेंगे.

आर. त्यागी, रिटायर्ड पुलिसकर्मी- आरटीजीएस लेना चाहते हो या कैश लेना चाहते हो?
रिपोर्टर- कैश दिलवा दीजिए.
 
आर. त्यागी-
कैश ले लो आप. दो हजार के मिल जाएंगे, 500 के भी कोशिश करेंगे. नई करेंसी दिलवा देंगे आपको.
रिपोर्टर- नई करेंसी
 
आर त्यागी- दो हजार के, अभी कुछ ये भी हो रहा है 100-50 के नोट भी बंद करवा दे, क्योंकि इसका कुछ पता नहीं है, कब क्या रुल आ जाए. 100 के करवा लिए फिर आपके लिए समस्या खड़ी हो जाएगी.

हमारी बातचीत में आर. त्यागी ने दावा किया कि उसकी बैंक में जबरदस्त सेटिंग है. वो कुछ ही घंटे में ब्लैकमनी व्हाइट करवा देगा. हमने उससे पूछा कि बैंक में लोगों की लाइन लगी है, पैसे लोगों की जरुरत से भी कम आ रहे हैं. ऐसे में वो एक करोड़ की काली कमाई को सफेद कैसे कराएगा. उसने हमे बताया कि बैक के भीतर सब हो रहा है. पैसा पब्लिक को भले ही ना मिल रहा हो, लेकिन इनकी सैंटिगबाजों को खूब पैसा मिल रहा है.

रिपोर्टर- बैंक से इतना पैसा मिल जाएगा?
आर. त्यागी- हो जाएंगे. अब जो कर रहे है वो लिए बैठे हैं.
 
रिपोर्टर- बैंक में पैसा आ कहां रहा है?
आर. त्यागी- पब्लिक के लिए नहीं आ रहा है, बाकी तो हो रहा है सब चल रहा है.
 
रिपोर्टर- कहीं ऐसा ना हो बैंक में जाके फंस जाए?
आर. त्यागी- नहीं, आपको तो कहीं नहीं जाना आपको तो जहां बैठा देंगे वहीं बैठे रहना.

सच्चाधाम आश्रम ऋषिकेश का इकलौता आश्रम नहीं है, जहां ब्लैकमनी को व्हाइट करने वाले बाबा एक्टिव हैं. सच्चाधाम आश्रम के सेवादार भूपसिंह ने एक ऐसे ही ट्रस्ट के मैनेजर से हमारी मुलाकात करवाई. भूपसिंह ने बाबा काली कमली वाले ट्रस्ट के मैनेजर जयप्रकाश को फोन करके सच्चाधाम आश्रम में ही बुलवा लिया. सेवादार भूपसिंह ने जयप्रकाश को कहां कि वो अपने ट्रस्ट की मदद से हमारी काली कमाई को ठिकाने लगवा दे, जिसके बदले में उन दोनों का भी फायदा हो जाएगा. जयप्रकाश ने भूपसिंह को कहां चिंता मत करें वो ये काम करवा देगा.

भूपसिंह, सेवादार, सच्चा धाम- थोड़ा क्या मैनेज कर सकता है, इनके पास पैसा है?
जयप्रकाश, मैनेजर, काली कमली वाले ट्रस्ट- कितना?
 
भूपसिंह- 1-5, इनका काम हो जाए, कुछ हमें मिल जाए.
जयप्रकाश- मैं तो दोस्तों से करवा दूंगा, क्यू चिंता कर रहा है.

भूपसिंह- काली कमली वाला कर सकता है, जितना भी हो.
जयप्रकाश- कितना है?
भूपसिंह- एक...एक करोड़.
रिपोर्टर- एक करोड़.
जयप्रकाश- मैं फोन करके बताता हूं.

कुछ सेकेंड बाद जयप्रकाश कमरे में वापस लौटा. उसने हमें आगाह भी किया कि हम ट्रस्ट के चक्कर में ना पड़े. वो कई अकॉउंट मुहैया करा कर उसमें हमारे पैसे डलवा कर हमारे ब्लैकमनी को व्हाइट करा देगा. हमने इंकार किया तो वो खुद ही काली कमली वाले ट्रस्ट की पोल खोलने लगा.

जयप्रकाश- ये ट्रस्ट वाले जितने बदमाश होते है ना...उतना कोई नहीं होता. मैं इसको भी बता रहा हूं. रंजीत को भी बता रहा हूं. वो खाके ढकार तक नहीं लेगा. लेकिन किसी और से करोगे ना तो. मैं करवाउंगा, मेरी जिम्मेदारी होगी, वो आपको मिलेगा. ट्रस्ट वाले बहुत बदमाश हो गए हैं. आपकों पता हैं 8 तारीख के बाद से हमारी काली कमली में रसीद नहीं कट रही है.
 
रिपोर्टर-
क्यों?
जयप्रकाश- सब बैक डेट में. ब्लैकमनी वाले 8 तारीख की रसीद कटवा रहे हैं. 10 तारीख को वो हुआ ना. मैं आपको बता रहा हूं ये चीज है.

जयप्रकाश ने यहां बताया कि उसके ट्रस्ट में डोनेशन की रकम नोटबंदी लागू होने के पहले की तारीख में कट रही है, ताकि लोगों के ब्लैकमनी को ठिकाने लगाया जा सके. जिस आसन तरीके से जयप्रकाश हमसे बात कर रहा था हम भांप गए कि हरिद्वार और ऋषिकेश में आश्रमों और मंदिरों की आड़ में ये धंधा खूब चमक रहा हैं.

कैलाशानंद मिशन ट्रस्ट, लक्ष्मण झूला, ऋषिकेश
अब हम ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला पर बने प्रसिद्ध ओंकारेश्वर मंदिर की देख रेख करने वाले कैलाशानंद मिशन ट्रस्ट में बैठे दलालों का खुलासा करते हैं. इस ट्रस्ट के प्रशासनिक अधिकारी कमलदीप जोशी हैं. कमलदीप जोशी ट्रस्ट में बैठकर कालेधन को व्हाइट करने की दलाली करते हैं. पहली मुलाकात में ये देर से खुले और हमे कहां की ये हमारे भार को कम करेंगे. यानि की एक करोड़ तो नहीं लेकिन उसका एक बड़ा हिस्सा वो जरूर ठिकाने लगवा देंगे. जब हमने पूछा कैसे क्या करेंगे तो वो हंस कर बोले आपकों भी पता है कैसे होता है?  

उनसे हमारी मुलाकात लक्ष्मण झूले के उनके ऑफिस में हुई. दूसरी मुलाकात जब हमने की तो ट्रस्ट के ऑफिस में बात न करके वो हमें गंगा के किनारे ले गए. यहां उन्होंने अपनी पूरी प्लानिंग हमे समझा दी. कमलदीप जोशी के साथ उनके दो साथी जशपाल और राठौर भी मौजूद थे. वो पूरी तैयारी के साथ आए थे और आते ही कहने लगे कि आपका काम हो जाएगा, लेकिन आप देरी कर रहे है, समय की बर्बादी से काम बिगड़ सकता है.

रिपोर्टर- क्या कैसे करना है?
कमलदीप जोशी, प्रशासनिक अधिकारी- यार देखों हम लोगों ने तय किया है, हमारी टीम है. टीम मतलब की सारे ट्रस्ट के ही आदमी हैं. ये भाई साहब हैं और दो तीन ट्रस्टी लोग हैं. हमने ये तय किया था कि तकरीबन, कितने तक खपा देंगे हम.
 
जशपाल, कैलाशानंद मिशन ट्रस्ट- भाई साहब एक तो लेट कर रहे हैं परसों बात हुई थी. रोज नए नियम बदल रहे हैं. नए-नए नियम बदल रहे हैं, लेट कर रहे हैं.
कमलदीप जोशी- बहुत ज्यादा लेट कर रहे हो. लेट कर रहे हो आप.
 
राठौर, कैलाशानंद मिशन ट्रस्ट- हम भगवान तो नहीं है कहीं थोड़ी गुंजाइश तो छोड़ो.
कमलदीप जोशी- आप लेट मत करो.

जशपाल- एक जो आदमी सबसे ज्यादा लेगा ना, वो कर रहा है वो 50 पर्सेंट पर लेगा.
कमलदीप जोशी- देखों आपके पास टाइम कम है. जो आपके हाथ आ जाए वो आपका है. बाकी ये है कि ये ट्रस्ट है. बाकी हमारे हिस्से हम कितने बांट पाएंगे. 4-5 लाख बांट पाएंगे. हम आपस में 10-15 आदमी जितने भी होंगे. 5 लाख के चक्कर में ट्रस्ट तो 50-60 लाख रुपये तक खपा देंगे.
 
इस तरह हमारी बात 60 लाख की हुई. इन्होंने हमें चेताया कि ये मंदिर या ट्रस्ट में नहीं मिलेंगे. इन्होंने डील की जगह तक तुरंत फ़िक्स कर दी. मामले की गंभीरता को समझाने के लिए इन्होंने हमें ये भी कहा कि ये पैसे लेकर मुलाकात यहां नही करेंगे, बल्कि किसी दूर दराज़ की पहाड़ी पर या फिर किसी जानकार के घर या रेस्ट्रा में नोट की खेप का लेन देन करेंगे.

कमलदीप जोशी-
लेकिन हम फोन पर कभी आपकों नहीं बताएंगे और ना ही हम आपकों यहां मिलेंगे.
रिपोर्टर- ठीक है
 
कमलदीप जोशी- हम मिलेंगे आउट एरिया में, मलतब श्यामपुर साइड में या फिर कहीं पर इधर नहीं. जितना डर आपकों है उतना डर हमारे को भी है.
जशपाल- छापे बगैरह पड़ रहे हैं.

हमारे इस खुलासे का मकसद सिर्फ ये बताना था कि हरिद्वार-ऋषिकेश के मैनेजर बाबाओं ने किस तरीके से ट्रस्ट और आश्रमों को ब्लैकमनी की दलाली का अड्डा बना रखा है. यानि कि पुण्य कमाने और धर्म का राग अलापने वाले बाबा ब्लैकमनी-ब्लैकमनी जप रहे हैं. ये ऐसा पाप है जिसे गंगा में हजारों डुबकी लगाकर भी नहीं धोया जा सकता.

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