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मौलवी के कहने से मस्जिदें किसी के हवाले नहीं की जा सकतीं: ओवैसी

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि मस्जिदों का मालिक अल्लाह है. महज किसी मौलवी के कहने से मस्जिदें किसी के हवाले नहीं जा सकतीं है. उनका ये बयान शिया धर्मगुरु और इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वाइस प्रेसिडेंट कल्बे सादिक के बयान के बाद आया. सादिक ने रविवार को कहा था कि अगर अयोध्या में विवादत जमीन का फैसला मुस्लिमों के पक्ष में आता है, तो यह जमीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए.

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 1:35 PM IST

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि मस्जिदों का मालिक अल्लाह है. महज किसी मौलवी के कहने से मस्जिदें किसी के हवाले नहीं जा सकतीं है. उनका ये बयान शिया धर्मगुरु और इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वाइस प्रेसिडेंट कल्बे सादिक के बयान के बाद आया. सादिक ने रविवार को कहा था कि अगर अयोध्या में विवादत जमीन का फैसला मुस्लिमों के पक्ष में आता है, तो यह जमीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर फैसला मुस्लिमों के हक में नहीं आया तो उन्हें शांति से उसे मंजूर कर लेना चाहिए.

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मस्जिदों का मालिक मौलाना नहीं बल्कि अल्लाह

ओवैसी ने ट्वीट के जरिए बताया कि मस्जिदें महज किसी मौलाना से कहने से नहीं दी जा सकतीं. इनका मालिक कोई मौलाना नहीं बल्कि अल्लाह है. एक बार बनी मस्जिद, हमेशा मस्जिद रहती है. साथ ही उन्होंने कहा, मस्जिदों की देखरेख शिया, सुन्नी, बरेलवी, सूफी, देवबंदी, सलाफी, बोहरी कोई भी कर सकते हैं, लेकिन वह मालिक नहीं हैं. मस्जिदों का मालिक तो सिर्फ अल्लाह ही है. उन्होंने कहा, मस्जिदें वे लोग बनाते हैं जो कयामत के दिन में भरोसा रखते हैं और केवल अल्लाह से डरते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ना मुसलमानों का कर्तव्य है. यह हिफाजत है.

शिया सेंट्रल बोर्ड ने sc में दायर किया था एफिडेविट

अयोध्या विवाद में 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. इस सुनवाई में शिया सेंट्रल बोर्ड ऑफ उत्तर प्रदेश ने अपने एफिडेविट में कहा था, 'बाबरी मस्जिद का इलाका हमारी प्रॉपर्टी है, वहां राम मंदिर बनाया जाना चाहिए. इस विवाद के हल के लिए दूसरे पक्षों से बातचीत का अधिकार भी बोर्ड को ही है. इस बड़े विवाद के हल के लिए बोर्ड एक कमेटी बनाना चाहता है और इसके लिए उसे वक्त दिया जाए.' बता दें कि बोर्ड ने पहली बार सुप्रीम कोर्ट में ही एफिडेविट दायर किया था.

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