बाबरी कांड की बरसी पर मुस्लिम नेताओं ने लिया मस्जिद नवनिर्माण का संकल्प

बाबरी कांड की 23वीं बरसी रविवार 6 दिसंबर को लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में मुस्लिमों का कथि‍त प्रतिनिधित्व करने वाली कई क्षेत्रीय पार्टियों और संगठनों ने एक साथ धरना प्रदर्शन किया.

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6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जि‍द के गुंबद पर हिंदू कार सेवक 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जि‍द के गुंबद पर हिंदू कार सेवक
स्‍वपनल सोनल/आमिर हक
  • लखनऊ ,
  • 06 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST

बाबरी कांड की 23वीं बरसी रविवार 6 दिसंबर को लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में मुस्लिमों का कथि‍त प्रतिनिधित्व करने वाली कई क्षेत्रीय पार्टियों और संगठनों ने एक साथ धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान जहां उन्होंने बाबरी मस्जिद को उसी विवादित जमीन पर दोबारा बनाने की और बाबरी विध्वंस के दोषियों को सजा दिए जाने की मांग की, वहीं साझा कार्यक्रम के तहत नए मंच की घोषणा भी की.

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इस साझा मुहिम में एक ही मंच पर जमा होने वाली पार्टियों में साथ थीं राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल, ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (यूपी), मुस्लिम मजलिस, इंडियन नेशनल लीग, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, पिछड़ा जन समाज पार्टी, ऑल इंडिया मुस्लिम फोरम, परचम पार्टी और वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया. सभी पार्टियों ने अपने साझा कार्यक्रम के तहत एक अलग मंच 'मुत्ताहिदा तहरीफ बराए बाजयाबी और तामीरे नव बाबरी मस्जिद' का गठन किया.

साझा मंच से संकल्प लिया गया कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की कोर्ट और कोर्ट के बाहर तब तक पैरवी की जाएगी और मामला तब तक उठाया जाएगा, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट से दोषियों को सजा और मुकदमा लड़ने वालों को इंसाफ नहीं मिल जाता.

राजनीतिक दलों को ठहराया दोषी
इस मौके पर मौजूद राजनेताओं ने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीजेपी सरीखी पार्टियों को साथ मिला हुआ बताया और कहा कि वोट बैंक की राजनीति के तहत बाबरी के विध्वंस में इन तीनों ही पार्टियों की मिलीभगत थी. उलेमा काउंसिल के आमिर रशादी ने तो यहां तक कह डाला कि सत्तासीन बीजेपी अगर सचमुच 'सबका साथ और सबका विकास' के नारे पर यकीन करती है तो बाबरी मस्जिद के दोबारा बनाए जाने पर खामोश क्यों है?

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इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा, 'आज का ये धरना जो बाबरी की बरसी पर किया जा रहा है, उसमें तीन मुतालबात हमारे हैं जो शुरू से चले आ रहे हैं. पहला अब्राहम आयोग की जो रिपोर्ट आई उसमें क्या कार्रवाई हुई. एक्शन टेकन रिपोर्ट यानी एटीआर लाइए. दूसरा ये कि टाइटल सूट जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित है उसको डे-टु-डे हियरिंग कर तय कीजिए, क्योंकि इससे देश की कॉन्स्टिट्यूशनल अथॉरिटी चैलेंज हुई है. तीसरी बात है कि जो बाबरी केस में मुल्जिमात हैं उन पर दो केस रायबरेली और लखनऊ में चल रहे हैं उन्हें क्लब करके एक किया जाए ताकि मुल्जिमान को जल्द से जल्द सजा मिले और मुल्क की आवाम जाने कि मुल्क में कानून है.'

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