रेटिंगः 4 स्टार
कलाकारः दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा, रणवीर सिंह, महेश मांजरेकर और तन्वी आजमी
डायरेक्टरः संजय लीला भंसाली
इश्क, दर्द और एक त्रिकोण, जिन्हें भव्यता के आंगन में परोसा जाता है. संजय लीला भंसाली की फिल्मों का यह शाश्वत फॉर्मूला है.
'बाजीराव मस्तानी' भी संजय लीला भंसाली टाइप फिल्मों की अगली कड़ी है. जिसमें दीपिका, प्रिंयका और रणवीर का प्रेम त्रिकोण है. लार्जर दैन लाइफ सेट्स है. मंत्रमुग्ध करने वाले मौके हैं, और ढेर सारे कांच का इस्तेमाल है जो फिल्म में चकाचौंध ले आता है. उन्होंने इस बार मराठा पेशवा बाजीराव और बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल की बेटी मस्तानी की कहानी को चुना है जो मराठी लेखक एन.एस. इनामदार की किताब 'राउ' पर आधारित है. हालांकि फिल्म ऐतिहासिकता और प्रेम कहानी के बीच झूलती नजर आती है. लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि फिल्म में नजर यह साफ नजर आया है कि इश्क जब हद से गुजर जाए तो वह जुनून बन जाता है, और दीपिका ने बखूबी इसे स्क्रीन पर जिया भी है.
कहानी की बात
बाजीराव पेशवा यानी रणवीर सिंह युद्धकला से लेकर शास्त्र कला सब में पारंगत है. उसकी एक खूबसूरत और प्यार करने वाली बीवी काशी बाई यानी प्रियंका चोपड़ा है. एक अभियान के लिए मस्तानी यानी
दीपिका पादुकोण बाजीराव से मदद मांगती है, और अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए वह रणवीर के दिल में जगह बना लेती है. लेकिन एक दिन रणवीर से अनजाने में एक भूल हो जाती है, और दीपिका उस भूल को सच मानकर स्वीकार कर लेती है. खुद को बाजीराव के हाथों हार बैठती है. उधर, इस भूल का सीधा असर पेशवा की पत्नी काशीबाई पर पड़ता है और अपने बाजीराव पर भरोसा करने वाली बीवी की दुनिया ही हिल जाती है. इस तरह एक प्रेम कहानी जन्म लेती है, तो एक पत्नी के अस्तित्व पर संकट आ जाता है. इस सबके बीच धर्म का सवाल पैदा होता है तो राजनैतिक प्रतिष्ठा और सम्मान की बातें भी सामने आती हैं. फिल्म की कहानी कई जगह पर थोड़ी खींची हुई लगती है, पर मस्तानी इस बात को नजरअंदाज करवा देती है.
स्टार अपील
दीपिका ने मस्तानी बनकर एक बार फिर साबित कर दिया है कि अगर वह अपने काम को दिल से करें तो रोल में जान डालने का हुनर उन्हें आता है. उन्होंने इश्क की जो दीवानगी दिखाई है, वह कमाल है. वाकई इस फिल्म में मस्तानी बहुत ही दीवानी लगी हैं. 'बाजीराव मस्तानी' में संजय लीला भंसाली ने दीपिका को जो स्टाइल और लुक दिया है वह दिल में गहराई तक उतरता है. फिर संजय की फिल्म की हीरोइनें तो वैसे भी दिल जीतने का हुनर जानती हैं. दीपिका शानदार रही हैं, फिल्म में कहीं-कहीं तो वह रणवीर और बाकी सब पर भारी भी पड़ती नजर आईं हैं.
रणवीर सिंह ने भी अच्छा काम किया है. वह एक योद्धा के तौर पर अच्छे लगे हैं. उन्होंने अच्छा एक्शन किया है. दीपिका के साथ भी उनकी कैमिस्ट्री कमाल की जमी है. वह फिल्म में कहीं-कहीं हिंदी में मराठी एक्सेंट लाते हैं, जो गुदगुदाता भी है. हालांकि उन्होंने इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत की है, लेकिन एक-दो बार ऐसा भी हुआ है, जहां वह पेशवा न लगकर रणवीर सिंह लगे हैं.
बाजीराव और मस्तानी में इश्क होगा तो इसका खामियाजा काशीबाई को भुगतना ही होगा. 'बाजीराव मस्तानी' प्रियंका चोपड़ा की यही कहानी है. प्रियंका ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है, लेकिन पूरी फिल्म रणवीर और दीपिका को लेकर ही है. प्रियंका के लिए यह समय इस तरह के रोल करने का नहीं है जिसमें वे फोकस में न हों.
फिल्म में तन्वी आजमी ने बाजीराव की मां के रोल में बढ़िया काम किया है. महेश मांजरेकर भी ठीक हैं और मिलिंद सोमन बाजीराव के सलाहकार के रूप में सामान्य हैं.
कमाई की बात
संजय लीला भंसाली की 'बाजीराव मस्तानी' के लिए मुकाबला बॉक्स ऑफिस पर आसान नहीं है, क्योंकि 'दिलवाले' भी इसके साथ रिलीज हुई है. संजय लीला भंसाली का अपना एक ऑडियंस है और फिर रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण के फैन्स के लिए फिल्म पूरी तरह कसौटी पर खरी उतरती है. कुल मिलाकर 'बाजीराव मस्तानी' एक इंटेंस लव स्टोरी है. फिल्म का बजट 100 करोड़ रु. से ज्यादा है. लेकिन
संजय लीला भंसाली जो इश्क का संसार बुनते हैं वह करिश्माई है. उनका डायरेक्शन कमाल का है. फिल्म में हर वह बात है जो इसे वन टाइम मस्ट वॉच फिल्म बनाती है.