Advertisement

एयरस्ट्राइक का एक साल: अब कैसा है बालाकोट का कैम्प, PAK ने किए ये बदलाव

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा सूबे में बालाकोट कैम्प पर हुए हमले की पहली बरसी से पहले ही इस कैम्प की मरम्मत कर उसमें कुछ ढांचागत बदलाव किए हैं. इंडिया टुडे ने ओपन सोर्स हाई रिज़ोल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी की मदद से किए गए विश्लेषण से इन बदलाव का पता लगाया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अंकित कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:19 AM IST

  • खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में है जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी कैम्प
  • निर्माण की परिधि और छत में मापा जा सकने वाला बदलाव

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा सूबे में बालाकोट कैम्प बीते साल 26 फरवरी तड़के भारतीय वायुसेना के एयरस्ट्राइक में तबाह हुआ था. पहली बरसी से पहले ही पाकिस्तान ने बालाकोट कैम्प की मरम्मत कर उसमें कुछ ढांचागत बदलाव किए हैं. इंडिया टुडे ने ओपन सोर्स हाई रिज़ोल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी की मदद से किए गए विश्लेषण से इन बदलाव का पता लगाया है.

Advertisement

ऐसे कुछ बदलावों पर दिसंबर 2019 के तीसरे हफ्ते की टाइम-मुहर है. आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद की ओर से संचालित ये कैम्प खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के जब्बा में एक एकड़ ज़मीन पर फैला हुआ है. यहां मदरसा भी चालाया जाता है. बालाकोट कैम्प को 26 फरवरी 2019 को तड़के भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 विमानों ने इज़राइल निर्मित्त स्पाइस बमों से निसाना बनाया था. सैटेलाइट इमेजरी के निरीक्षण से ढांचे मे बदलावों के धुंधले संकेत मिलते हैं. यहां कुछ निर्माण की परिधि और कैम्प की छत में मापे जा सकने वाला बदलाव देखा जा सकता है.  

इमारत का क्षेत्र सिकुड़ा  (Use Pic 1 here)

हाई रिजोल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी की माप के मुताबिक बदलावों में, बड़े हॉल की उत्तरी दिशा में एक छोटा ढांचा अपने मूल आकार से छोटा हो गया है. साथ ही स्थित इमारत जो फरवरी 2019 में करीब 201 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली थी वो दिसंबर 2019 में 128 वर्ग मीटर क्षेत्र में ही सिमटी देखी जा सकती है.

Advertisement

यह भी पढ़ें- आर्मी चीफ नरवणे बोले- कहा गया तो PoK में एक्शन के लिए भी तैयार

ढांचे के उत्तर पूर्व और दक्षिण पश्चिम में स्थित कुछ हिस्से भी अब नजर नहीं आ रहे हैं.

मुजाहिद हॉस्टल की छत में फेरबदल

भारतीय वायुसेना के एयरस्ट्राइक्स के दौरान कैम्प के उत्तरी हिस्से में पिरामिड जैसी छत वाले ढांचे को मुजाहिद हॉस्टल के तौर पर चिह्नित किया गया था. इस हॉल में स्ट्राइक वाली रात को जैश के अधिकतर आतंकी मौजूद थे. इमेजरी का विश्लेषण बताता है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में हॉस्टल की छत के उत्तर पश्चिमी हिस्से से कुछ हटा हुआ था. लेकिन दिसंबर के तीसरे हफ्ते में ऐसा नहीं दिखा.   

मुख्य हाल में बदलाव

क्षेत्र की पश्चिमी दिशा में स्थित बड़े मुख्य हाल में भी कुछ मामूली बदलाव देखे जा सकते हैं. हाल पर ढलान वाली बड़ी छत है. इस छत की चौड़ाई का माप तीन अलग अलग टाइम जोन में दो अलग नतीजे दिखा रहा है.  फरवरी 2019 में छत की चौड़ाई करीब 35 मीटर थी. जो दिसंबर के पहले हफ्ते में सिकुड़ कर 32 मीटर रह गई. हालांकि दिसंबर 2019 के तीसरे हफ्ते में ये छत की चौड़ाई फिर अपने मूल आकार 35 मीटर पर वापस आ गई. ये मुख्य हॉल की आंतरिक मरम्मत और एलीवेशन एंगल या ऊंचाई में बदलाव की वजह से हो सकता है.

Advertisement

लीपापोती की कोशिश

फरवरी में भारतीय वायुसेना के स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी सेना ने मदरसे तक विदेशी पत्रकारों के जाने पर रोक लगा दी थी. पाकिस्तानी सेना इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन्स (ISPR)  का मीडिया विंग स्ट्राइक के 40 दिन बाद विदेशी पत्रकारों और राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल को बालाकोट ले गया था.  

यह भी पढ़ें- बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद भी नहीं चेता पाकिस्तान, फिर शुरू किया आतंकी कैंप

भारत ने लगातार जोर देकर कहा है कि बालाकोट कामयाब ऑपरेशन था, जिसमें भारतीय वायुसेना के विमानों ने अधिकतर लक्ष्यों पर सटीक निशाने लगाए. वहीं पाकिस्तान ने इस जगह पर छह हफ्ते तक किसी के भी जाने पर रोक लगा कर वहां हुई तबाही को छुपाए रखा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement