
गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए हुए चुनाव के नतीजे कुछ ही घंटे में आने वाले हैं. इस चुनाव के नतीजे कई मायनों में खास होंगे क्योंकि इसमें कांग्रेस के प्रमुख नेता अहमद पटेल और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति के बीच फैसला होना है. इस चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने कांग्रेस विधायक बलवंत सिंह राजपूत से इस्तीफा दिलवाकर उन्हें अपनी पार्टी की ओर से राज्यसभा उम्मीदवार बना दिया था. इसी के बाद मुकाबला दिलचस्प हो गया, क्योंकि बलवंत सिंह राजपूत अपने ही पूर्व नेता अहमद पटेल को कांटे की टक्कर देने में कामयाब दिखने लगे.
जबकि कभी अहमद पटेल और बलवंत सिंह राजपूत के संबंध काफी अच्छे हुआ करते थे. ऐसा कहा जाता है कि बलवंत सिंह को आगे बढ़ाने में पटेल ने पूरी मदद की थी. livemint.com ने कांग्रेस अधिकारियों के हवाले से लिखी एक रिपोर्ट में बताया है कि बलवंत सिंह राजपूत के करिअर को बनाने में अहमद पटेल का महत्वपूर्ण योगदान है. पटेल ने बलवंत को काफी मदद की है. सिद्धपुर सीट से चुनाव लड़ने के दौरान भी अहमद ने मदद की थी. इसके साथ-साथ बलवंत के बिजनेस साम्राज्य स्थापित करने के दौरान भी अहमद पटेल का सहयोग मिलता रहा.
लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस को कड़ी शिकस्त देने के लिए बलवंत सिंह को अपने खेमे में कर लिया. जाहिर है कि अहमद पटेल और बलवंत सिंह में मनमुटाव बढ़ गया होगा, या फिर चौतरफा चुनाव जीतती बीजेपी में जाने पर बलवंत सिंह को अपना करिअर अधिक चमकदार नजर आया. चुनाव में अगर बलवंत सिंह हार भी जाते हैं तो उनका अहमद पटेल के खिलाफ लड़ना, उनकी छवि बड़ी बनाने में मदद कर सकता है.
ग्रॉसरी स्टोर से 323 करोड़ के मालिक बने
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, बलवंत सिंह राजपूत का पूरा पॉलिटिकल करिअर अहमद पटेल के भरोसे था. बलवंत सिंह पहले जहां गांव में एक मामूली ग्रॉसरी स्टोर चलाते थे, वहीं बाद में तेल तैयार करने के बिजनेस में चमकने लगे. चुनाव से ठीक पहले उन्होंने अपने हलफनामे में कुल संपत्ति करीब 323 करोड़ रुपए बताई थी. बलवंत सिंह के एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में भी अहमद पटेल की तस्वीरें प्रमुखता से लगाई गई हैं. बीजेपी ज्वाइन करने से पहले, अहमद पटेल के चुनाव लड़ने के दौरान, बलवंत सिंह ही उनके कैंपेन का काम देखने वाले थे. लेकिन बताया जाता है कि अहमदाबाद में पटेल से मिलने के बाद बलवंत सिंह का फोन 72 घंटे तक ऑफ रहा था. इसके बाद ही उनके बीजेपी में जाने का खुलासा हुआ.