
बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता विरोधी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए जमात-ए-इस्लामी नेता अब्दुल कादिर मुल्ला को गुरुवार रात फांसी दे दी गई.
देश की सर्वोच्च अदालत ने इस कट्टरपंथी इस्लामी नेता की सजा-ए-मौत को बरकरार रखा था, जिसके बाद उसे फांसी देने का रास्ता साफ हो गया था. 65 साल का मुल्ला 'मीरपुर के कसाई' के तौर पर बदनाम था.
बांग्लादेश में चुनाव में एक महीने से भी कम वक्त बचा है. मुल्ला को फांसी दिए जाने के बाद देश में हिंसक प्रदर्शनों का सिलसिला दोबारा शुरू हो सकता है और हालात बिगड़ सकते हैं. हालांकि सरकार अपनी ओर से सब कुछ काबू में रखने की पूरी कोशिश करेगी.
एक जेल अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि मुल्ला को ढाका केंद्रीय कारागार में स्थानीय समय के मुताबिक रात 10.01 बजे फांसी दी गई. इससे पहले प्रधान न्यायाधीश मुजम्मिल हुसैन ने उसकी सजा पर पुनरीक्षा याचिका खारिज कर दी थी.
मुल्ला की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय आया जब दो दिन पहले ही आखिरी क्षण में मुल्ला को राहत देते हुए बड़े ही नाटकीय तौर पर उनकी फांसी टाल दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उच्च सुरक्षा वाले ढाका केन्द्रीय कारागार में बंद मुल्ला को सजा देने के मार्ग का आखिरी अवरोध हट गया था.