
बैंकिंग क्षेत्र में प्रस्तावित सुधार और नौकरियों की आउटसोर्सिग के विरोध में करीब 10 लाख बैंक कर्मियों की देशव्यापी हड़ताल से दूसरे दिन गुरुवार को भी देशभर में बैंकिंग सेवाएं प्रभावित रहीं.
बैंक इम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव प्रदीप बिस्वास ने कहा, 'हड़ताल पूरी तरह सफल है. करीब 10 लाख कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं.' बिस्वास ने कहा कि दूसरे दिन भी नकदी हस्तांतरण और चेक निस्तारण सहित अधिकतर बैंकिंग सेवाएं बाधित रहीं. बिस्वास ने कहा, 'अधिकतर एटीएम दूसरे दिन निष्क्रिय रहे क्योंकि उनमें नकदी नहीं डाली जा सकी. एटीएम के सुरक्षागार्ड भी हड़ताल पर रहे.'
यूएफबीयू (पश्चिम बंगाल इकाई) के महासचिव गौतम बोस ने कहा, 'बुधवार को हड़ताल में शामिल हुए 10,000 बैंककर्मियों ने गुरुवार को भी हड़ताल जारी रखी. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और कॉपरेटिव बैंक की शाखाओं को छोड़कर लगभग सभी बैंकों की शाखाएं दूसरे दिन भी बंद रहीं.'
राज्य में अधिकतर सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के एटीएम गुरुवार को भी बंद रहे. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को बैकिंग क्षेत्र की अलग-अलग यूनियनों के पदाधिकारियों ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मुख्य शाखा में एकत्र होकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की.
दो दिवसीय हड़ताल में राज्य के विभिन्न बैंकों की करीब 10 हजार शाखाओं के तकरीबन 1.5 लाख बैंककर्मी शामिल हैं. हड़ताल से ग्राहक सेवा, चेकों के समाशोधन, बैंक लॉकर से सम्बंधित कार्य, पूंजी बाजारों और बैंक द्वारा चलाई जाने वाली सभी गतिविधियां प्रभावित हैं.
युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के सदस्य वाई.के.अरोड़ा ने गुरुवार को कहा कि निजीकरण, आउटसोर्सिंग, अनुकम्पा नियुक्ति और बैंकिंग संशोधन विधेयक के खिलाफ बैंककर्मी हड़ताल कर रहे हैं. अरोड़ा ने कहा कि हमारी हड़ताल गुरुवार को समाप्त हो जाएगी, लेकिन अगर केंद्र सरकार गूंगी-बहरी बनी रही तो जल्द आंदोलन और तेज होगा और बैंकों में अनिश्तिकालीन हड़ताल होगी.
नकदी निकालने के लिए लोगों को एटीएम पर निर्भर होना पड़ रहा है. हालांकि आम आदमी को नगदी को लेकर परेशानी न हो इसके लिए बैंकों की तरफ से एटीएम मशीनों में पर्याप्त धन जमा कराया गया है लेकिन कुछ जगहों पर एटीएम में नगदी समाप्त होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने प्रस्तावित बैंकिंग सुधार और खासकर बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक और खंडेलवाल समिति की सिफारिशों को लागू किए जाने के विरोध में दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा की थी.
हड़ताल को समर्थन देने वाले संगठनों में शामिल हैं बैंक इम्प्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया, नेशनल फेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लाईज, ऑल इंडिया बैंक ऑफीसर्स एसोसिएशन, इंडियन नेशनल बैंक ऑफीसर्स कांग्रेस, नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स, ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाईज एसोसिएशन और ऑल इंडिया बैंक ऑफीसर्स कनफेडरेशन.
हड़ताली कर्मचारी बाहरी एजेंसियों को कार्यो की आउटसोर्सिग और श्रमिक विरोधी नीतियों का विरोध कर रहे हैं. हड़तालियों का मानना है कि इससे बैंकिंग क्षेत्र में कर्मचारियों की छंटनी हो सकती है और इससे सरकार पर दबाव बनाने की उनकी क्षमता घट सकती है. बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2011 में निजी बैंकों में शेयर धारकों की मताधिकार सीमा को 10 फीसदी से बढ़ाकर 26 फीसदी करने का प्रावधान है.