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सीरिया में खून से रंगे हैं असद, रूस और ईरान के हाथ: ओबामा

ओबामा ने मीडिया को संबोधित करने के दौरान असद को चेतावनी देते हुए कहा कि जनसंहार के बल पर वह अपनी वैधता स्थापित नहीं कर पाएंगे. ओबामा ने कहा, 'इस समय जब हम बात कर रहे हैं, तो पूरा विश्व सीरिया शासन और उसके रूसी व ईरानी सहयोगियों द्वारा अलेप्पो शहर में किए जा रहे भीषण हमलों के खिलाफ खौफ में लिपटा हुआ और एकजुट है.

बराक ओबामा बराक ओबामा
अंजलि कर्मकार
  • वॉशिंगटन,
  • 17 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि सीरिया के अलेप्पो में बड़े पैमाने पर हुई हत्याओं के जिम्मेदार बशर अल असद का शासन, ईरान और रूस हैं. जब तक सीरिया पर सैन्य नियंत्रण नहीं होता, तब तक इस युद्ध को रोकने के लिए वॉशिंगटन कुछ नहीं कर सकता.

ओबामा ने मीडिया को संबोधित करने के दौरान असद को चेतावनी देते हुए कहा कि जनसंहार के बल पर वह अपनी वैधता स्थापित नहीं कर पाएंगे. ओबामा ने कहा, 'इस समय जब हम बात कर रहे हैं, तो पूरा विश्व सीरिया शासन और उसके रूसी व ईरानी सहयोगियों द्वारा अलेप्पो शहर में किए जा रहे भीषण हमलों के खिलाफ खौफ में लिपटा हुआ और एकजुट है.

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'मुझे जिम्मेदारी का अहसास'
उन्होंने कहा, ‘दुनियाभर में ऐसे कई स्थान हैं, जहां बहुत कुछ भयावह हो रहा है. चूंकि मैं अमेरिका का राष्ट्रपति हूं. इसलिए मुझे जिम्मेदारी महसूस होती है. मैं सोचता हूं कि जिंदगियां बचाने, कुछ बदलाव लाने और कुछ बच्चों को इन हालात से बाहर निकालने के लिए मैं क्या कर सकता हूं.’

सीरिया पर करेंगे पूरा नियंत्रण
राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि युद्ध की शुरुआत में बड़े पैमाने पर अमेरिकी सेना के दखल के पक्ष में जनसमर्थन हासिल नहीं था, जबकि उनके हिसाब से युद्ध को रोकने का एकमात्र रास्ता यही होता. उन्होंने कहा, ‘जब तक हम सीरिया पर पूरा नियंत्रण नहीं कर लेते तब तक समस्याएं बनी रहेंगी. ऐसा करना ही सही जान पड़ता है, लेकिन यह कम कीमत चुकाए बगैर असंभव होने जा रहा है.’ओबामा का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म हो रहा है. उन्होंने कहा कि शहर से आम नागरिकों को बाहर निकालने के लिए होने वाले प्रयासों पर नजर रखने के लिए निष्पक्ष पयर्वेक्षकों को तैनात किया जाना चाहिए.

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रूस को मनाने के कूटनीतिक प्रयासों में शामिल है ओबामा शासन
गौरतलब है कि ओबामा शासन के तहत व्हाइट हाउस असद और सीरिया के विद्रोहियों के बीच शांति समझौते पर बातचीत शुरू करवाने के लिए रूस को मनाने के कूटनीतिक प्रयासों में शामिल रहा है. लेकिन, संघषर्विराम के सारे प्रयास निष्फल रहे और अब रूस तुर्की के साथ मिलकर विद्रोहियों के नियंत्रण वाले अलेप्पा को उनके कब्जे से मुक्त करवाने के अभियान में जुटा हुआ है.

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