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लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करेगा BCCI

क्रिकेट बोर्ड के ढांचे को लेकर जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में होने वाली कठिनाइयों और असंगतियों को लेकर बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करेगा.

बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया
अभिजीत श्रीवास्तव/BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

क्रिकेट बोर्ड के ढांचे को लेकर जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में होने वाली कठिनाइयों और असंगतियों को लेकर बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करेगा.

बीसीसीआई की आमसभा की विशेष बैठक में यह तय किया गया कि बोर्ड की ओर से कोर्ट में हलफनामा सचिव अनुराग ठाकुर दाखिल करेंगे. लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई में व्यापक बदलावों का सुझाव दिया है जिसमें प्रति राज्य एक वोट, अधिकारियों की आयुसीमा, राज्य और राष्ट्रीय ईकाई में एक साथ पद नहीं, प्रसारित क्रिकेट मैचों में विज्ञापनों का समय सीमित करना शामिल है.

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बीसीसीआई ने बैठक के बाद एक प्रेस रिलीज के जरिए कहा, ‘सदस्यों ने बोर्ड के मानद सचिव को बीसीसीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करने के अधिकृत किया है. इसमें बताया जाएगा कि माननीय जस्टिस लोढ़ा समिति के सुझावों को लागू करने में क्या दिक्कतें और असंगतियां हैं. समझा जाता है कि बीसीसीआई ने राज्य संघों से कहा है कि वे इस संबंध में अलग हलफनामा दाखिल कर सकते हैं. सौराष्ट्र क्रिकेट संघ पर तो दोहरा प्रभाव पड़ेगा. एक राज्य एक वोट के सुझाव के तहत उसका मतदान अधिकार जाएगा और उसके अध्यक्ष निरंजन शाह को पद छोड़ना होगा जो 70 बरस से अधिक उम्र के हैं.

शाह ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करेंगे.’

लोढ़ा समिति की एक राज्य एक वोट सिफारिश के मायने हैं कि मुंबई और बड़ौदा जैसी क्रिकेट की महाशक्तियों के मतदान अधिकार चले जाएंगे. वहीं 70 बरस से अधिक उम्र को पदाधिकारी नहीं बनाना और दो कार्यकाल के बीच तीन साल के ब्रेक का जिक्र भी हलफनामे में होगा. राज्य और बीसीसीआई में एक समय पर साथ में पद नहीं रखने के सुझाव का असर सचिव अनुराग ठाकुर, कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी और संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी को प्रभावित करेगा.

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लोढ़ा समिति ने ऑफ सीजन के दौरान क्रिकेट स्टेडियमों में अन्य खेलों के आयोजन का सुझाव भी दिया है लेकिन बीसीसीआई का मानना है कि यह संभव नहीं है. सबसे अहम मसला अंतरराष्ट्रीय मैचों में लंच या चाय के बीच ही विज्ञापन ब्रेक लेने का है जिससे बीसीसीआई के राजस्व में करीब 1500 करोड़ रुपये की कटौती होगी. कार्यसमिति ने अध्यक्ष और सचिव को सीईओ और सीएफओ की नियुक्ति के लिए एजेंसी की सेवाएं लेने के लिए भी अधिकृत किया है.

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