
स्वस्थ रहने के लिए शरीर को कई तरह के पोषक तत्वों, विटामिन और लवणों की आवश्यकता होती है और विटामिन ई उनमें से एक है. विटामिन ई की कमी से कई तरह की बीमारियों के होने की आशंका बढ़ जाती है और शरीर के संपूर्ण विकास पर भी असर पड़ता है.
एक नए शोध के मुताबिक, विटामिन ई की कमी से भ्रूण का मानसिक विकास प्रभावित होता है और साथ ही शारीरिक असामान्यताएं होने का भी खतरा बना रहता है. अमेरिका की ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के लिनस पॉलिंग संस्थान के शोधार्थियों ने जेब्राफिश पर अध्ययन करने के बाद ये नतीजे दिए हैं.
जेब्राफिश एक कशेरुकी है, जिसकी तंत्रिका का विकास काफी हद तक मानवों के समान है.
शोध के निष्कर्षों के अनुसार, विटामिन ई डोकोसेहेक्सॉनिक एसिड के स्तरों को सुरक्षा प्रदान करता है. इसकी कमी से डीएचए का स्तर प्रभावित होता है और तंत्रिका तंत्र की क्षति की आशंका बढ़ जाती है.
डीएचए ओमेगा-3 फैटी एसिड में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. यह मस्तिष्क और कोशिकाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
लिनस पॉलिंग इंस्टीट्यूट और कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ह्यूमन साइंसेज के मेलिसा मैकदुगल के अनुसार, विकासशील भ्रूण में डीएचए कोशिका संकेतन और झिल्ली के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
उनके अनुसार, इस शोध से पता चलता है कि विटामिन ई का पर्याप्त स्तर भ्रूण में डीएचए की कमी को रोकने में महत्वपूर्ण है.
विटामिन ई का सबसे सामान्य स्रोत बादाम, बीज, पत्तेदार सब्जियां और कनोला जैसे वनस्पति तेल हैं. यह शोध 'रिडॉक्स बायोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.