
बंगाल की राज्य भाषा बांग्ला को बंगाल के स्कूलों में अनिवार्य कर दिया है. सोमवार को बंगाल के शिक्षा मंत्री ने ये घोषणा की सूबे के सभी स्कूलों में 10वीं कक्षा तक बांग्ली को पढ़ाया जाए.
बंगाल की शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बताया कि अब से, छात्रों के लिए स्कूलों में बांग्ला सीखना अनिवार्य होगा. पश्चिम बंगाल के सभी स्कूलों में कक्षा 1 से कक्षा 10 के सभी छात्रों को बोर्ड या मातृभाषा की परवाह किए बिना अब हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला तीनों भाषाओं को सीखना होगा.
ममता सरकार ने ये फैसला ऐसे वक्त में लिया है, जब केंद्र सरकार ने सभी सीबीएसई और आईसीएसई छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य बनाने की योजना की घोषणा की थी.
मंत्री ने कहा कि "भारत एक बड़ा राष्ट्र है और विविधता में एकता ही हमारी शक्ति है, हमने ऐसी शिकायतें मिली हैं कि कई स्कूलों ने बांग्ला भाषा का विकल्प नहीं दिया". अभी बंगाल के स्कूल दो भाषा पढ़ाई जाती है. अंग्रेजी के साथ मातृभाषा चुनने का अधिकार है. लेकिन अब 7वीं कक्षा से भारतीय भाषा या विदेशी भाषा चुन सकते हैं.
इस पर टिप्पणी करते हुए, चटर्जी ने आगे कहा, "अगर कोई छात्र बांग्ला या हिंदी या अंग्रेजी या गुरुमुखी या उर्दू या नेपाली को अपनी पहली भाषा के रूप में चुनता है, तो उसे दो अन्य भाषाओं का चयन करना होगा, जिनमें से एक बांग्ला होना चाहिए. भाषाओं में से एक के रूप में चयनित, छात्र को शेष दो भाषाओं के रूप में किसी अन्य भाषा का चयन करने की स्वतंत्रता होगी."