अब नहीं बच पाएंगे GST फ्रॉड करने वाले, नए सिस्टम से 931 मामलों की हुई पहचान

सरकार ने डेटा एनालिटिक्स के द्वारा ऐसे मामलों की पहचान शुरू की है और अब तक 931 जालसाजी के मामलों की पहचान की गई है. राजस्व विभाग ने अपने जीएसटी डेटा एनालिटिक्स विंग से कहा है कि वह सभी पुराने मामलों और लंबित रिफंड दावों की जांच करे.

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जीएसटी फ्रॉड की पहचान अब आसान जीएसटी फ्रॉड की पहचान अब आसान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:03 AM IST

  • अब जीएसटी फ्रॉड करने वाले नहीं बच पाएंगे
  • डेटा एनालिटिक्स के द्वारा ऐसे मामलों की हो रही पहचान
  • अब तक 931 जालसाजी के मामलों की पहचान की गई

अब जीएसटी फ्रॉड करने वाले नहीं बच पाएंगे. सरकार ने डेटा एनालिटिक्स के द्वारा ऐसे मामलों की पहचान शुरू की है और अब तक 931 जालसाजी के मामलों की पहचान की गई है. यही नहीं, वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक राजस्व विभाग ने अपने जीएसटी डेटा एनालिटिक्स विंग से कहा है कि वह सभी पुराने मामलों और लंबित रिफंड दावों की जांच करे.

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28 हजार करोड़ के रिफंड का हुआ है क्लेम

राजस्व विभाग ने डेटा विश्लेषण के जरिए 931 संदिग्ध जीएसटी धोखाधड़ी के मामलों की पहचान की है. विभाग ने धनवापसी के लिए इन धोखाधड़ी से संबंधित मामलों को खंगालना शुरू कर दिया है. गौरतलब है कि चालू वित्तवर्ष में 27,000 करदाताओं ने देशभर में इनवर्टिड ड्यूटी स्ट्रक्चर के साथ 28,000 करोड़ रुपये से अधिक के रिफंड दावे दायर किए हैं.

वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा, 'ऐसे करदाता, जिन्होंने टैक्स फाइल नहीं करने वालों से सामान की खरीद की हैं, उन्हें सत्यापन और जांच का सामना करना पड़ेगा.'

टैक्स संग्रह लक्ष्य से कम होने की वजह से बढ़ी सख्ती

राजस्व विभाग जीएसटी राजस्व बढ़ाने के लिए कर चोरी का रास्ता अपनाने वालों के खिलाफ सख्त रहा है, क्योंकि उम्मीद के मुताबिक कर प्राप्त नहीं हो पा रहा है. केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने विभिन्न मामलों में पिछले महीने वित्तवर्ष 2018 से संबंधित 12 प्रमुख दस्तावेजों के साथ संदिग्ध व्यापारिक फर्मों को तलब किया था.  

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जीएसटी अधिकारियों ने पिछले साल नवंबर तक 7,164 संस्थाओं से जुड़े 6,641 मामलों की पहचान की और उन पर कथित तौर पर व्यवस्था के तहत कार्य नहीं करने के लिए मामला दर्ज किया गया.  

सबसे ज्यादा धोखाधड़ी इन शहरों में

सूत्रों ने कहा कि दिल्ली, जयपुर और पंचकूला (हरियाणा) के बाद कोलकाता क्षेत्र में आईटीसी धोखाधड़ी के लिए ऐसे मामलों की अधिकतम संख्या दर्ज की गई है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में जांचकर्ताओं ने डेटा विश्लेषण के माध्यम से एक महत्वपूर्ण धोखाधड़ी के मामले का भंडाफोड़ किया है, जहां जालसाजों ने नकली आईटीआर क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए नकली बिल बनाने वाले लोग, मध्यस्थ डीलर, वितरक और हवाई चप्पलों के फर्जी निमार्ताओं सहित 500 से अधिक संस्थाओं का एक नेटवर्क तैयार किया.

जीएसटी प्राधिकरण की डेटा एनालिटिक्स विंग फर्जी चालान और धोखाधड़ी कर क्रेडिट से जुड़े दर्जनों मामलों की पहचान करने में सफल हुई है, जो आईजीएसटी रिफंड की सुविधा के माध्यम से संलग्न किए गए हैं.   

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