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सत्ता, सेक्स और खूनी सियासत के भंवर में फंसी भंवरी ने ला दिया था भूचाल

राजस्थान के चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड में एटीएस ने इंदिरा बिश्नोई को मध्य प्रदेश के देवास से गिरफ्तार कर लिया गया. इंदिरा बिश्नोई इस हत्याकांड के आरोपी पूर्व कांग्रेस विधायक मलखान सिंह की बहन है. सीबीआई को इंदिरा की काफी समय से तलाश थी. इंदिरा की सूचना देने वाले को पांच लाख रुपये इनाम दिए जाने की घोषणा की गई थी. साल 2011 में सेक्स, सीडी और खूनी सियासत में सिमटा भंवरी देवी हत्याकांड सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा था.

राजस्थान का चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड राजस्थान का चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड
मुकेश कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2017,
  • अपडेटेड 5:29 PM IST

राजस्थान के चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड में एटीएस ने इंदिरा बिश्नोई को मध्य प्रदेश के देवास से गिरफ्तार कर लिया गया. इंदिरा बिश्नोई इस हत्याकांड के आरोपी पूर्व कांग्रेस विधायक मलखान सिंह की बहन है. सीबीआई को इंदिरा की काफी समय से तलाश थी. इंदिरा की सूचना देने वाले को पांच लाख रुपये इनाम दिए जाने की घोषणा की गई थी. साल 2011 में सेक्स, सीडी और खूनी सियासत में सिमटा भंवरी देवी हत्याकांड सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा था. आइए जानते हैं कब-क्या हुआ था...

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एक नर्स ने कहा कि उसके पास एक सीडी है. ऐसी सीडी जिसमें एक कैबिनेट मंत्री और एक विधायक की नंगी करतूत कैद है. यदि यह सीडी आम हो गई तो तीन दिन के अंदर राज्य की सरकार गिर जाएगी. लेकिन, ये क्या इससे पहले कि वह सीडी आम होती खुद नर्स ही गायब हो गई. जी हां, यह कहानी है भंवरी देवी कि जिसने राजस्थान के सियासी गलियारों में भूचाल ला दिया था. जिसके एक बयान ने तूफान लाया, तो उसकी गायब होने की खबर पूरे देश में देखते ही देखते सुर्खियां बन गईं.

जानिए, कौन थी भंवरी देवी
भंवरी देवी का ताल्लुक राजस्थान की नट बिरादरी से था. वह जोधपुर के नजदीक पैनन कस्बे के एक सरकारी अस्पताल में बतौर नर्स काम करती थी. उसकी शादी भी हो चुकी थी. पर मॉडलिंग और राजस्थानी एल्बम को सीढ़ी बना कर वह राजस्थानी फिल्मों की हीरोईन बनने का सपना पाले बैठी थी. लिहाजा अपने इस ख्वाब को पूरा करने के लिए वह कुछ भी कर सकती थी. गांव के अस्पताल में ले देकर एक ही वही नर्स थी और वो भी ड्यूटी से गायब रहती थी. लिहाजा गांव वालों की शिकायत पर भंवरी देवी को नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया था.

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किया सरकार गिराने का दावा
भंवरी देवी ने ऐलान किया था कि उसके पास एक सीडी है. जिसके बाहर आ जाने पर राजस्थान की सरकार तीन दिन में गिर जाएगी. आखिर क्या था उस सीडी में कि देश की एक राज्य सरकार को गिराने की धमकी दी जा रही थी? ऐसा क्या था उस सीक्रेट सीडी में कि नेताओं के हाथ-पांव फूलने लगे थे? और ऐसा भी क्या था कि जिसके पास सीडी थी वही गायब हो गई? भंवरी देवी की नौकरी जा चुकी थी. लेकिन उसकी खूबसूरती के चर्चे जोधपुर से जयपुर तक होने लगे थे. वह नौकरी बचाने के लिए इलाके के विधायक मलखान सिंह के पास गई.

मलखान, महिपाल और भंवरी
मलखान सिंह उसे जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा के पास ले गए. फिर दोनों ने कलेक्टर से भंवरी देवी की सिफारिश की. सिफारिश रंग लाई और भंवरी देवी का निलंबन ना सिर्फ रद्द हुआ बल्कि उसे नई पोस्टिंग अपने घर के और नजदीक जालीवाड़ा के सरकारी अस्पताल में मिल गई. भंवरी देवी, मलखान सिंह और महिपाल की नजरों में चढ़ चुकी थी. वक्त के साथ-साथ वह इन दोनों की करीबी हो गई. दोनों नेताओं से मिलने के बाद भंवरी को सत्ता की ताकत का अहसास हो चुका था. मलखान और मदेरणा की वजह से उसका नेटवर्क बढ़ने लगा.

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सत्ता, सेक्स और साजिश
भंवरी की मुलाकात धीरे-धीरे बाकी नेताओं से भी हो गई. देखते ही देखते मामूली तनख्वाह पाने वाली भंवरी की जिंदगी पूरी तरह बदल गई. उसने नया घर बनाया. नई कार खरीदी. बेटे-बेटी का दाखिला नामी स्कूलों में कराया. यह सुनने में चाहे कितना ही अजीब क्यों न लगे. लेकिन इनमें हमेशा से गहरा रिश्ता है. और हकीकत भी यही है. सत्ता के नशे में चूर नेताओं के दामन पर जब जब दाग़ लगता है, हर बार किसी ऐसे ही रिश्ते की हकीकत एक नई कहानी के साथ सामने आ जाती है. भंवरी और सीडी की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी.

टिकट के लिए ब्लैकमेलिंग
नेताओं की सोहबत में आते ही अब भंवरी पूरी तरह से सत्ता के इर्द-गिर्द थी. बगैर डयूटी पर जाए ही हर महीने तनख्वाह मिल रही थी. मदेरणा से उसके रिश्ते को लेकर बाते होने लगी थी. लेकिन मामला सत्ता का था, तो सभी ने चुप रहने में भलाई समझी. साल 2010 तक भंवरी ने सत्ता का खूब सुख भोगा. पर अचानक बात बिगड़ी गई. भंवरी की ख्वाहिशें बेलगाम हो गईं थी. अब वह मलखान सिंह और मंत्री मदेरणा के साथ अपने रिश्तों के एवज में सीधे विधानसभा का टिकट मांग बैठी. जाहिर है दोनों ने मना कर दिया.

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सेक्स सीडी के जाल में मंत्री
बस इसी के बाद भंवरी ने रिश्तों के उन पलों की सीडी बनाने का फैसला किया. मंत्री मदेरणा इस जाल में फंस गए. भंवरी ने दोनों नेताओं को ब्लैकमैल करना शुरू कर दिया. दोनों ने फौरन भंवरी से दूरी बना ली. कई महीने तक मंत्री मदेरणा और विधायक मलखान सिंह भंवरी से भागते रहे. भंवरी से बचते रहे. एक रोज वो अचानक भंवरी जयपुर पहुंच गई. बीजेपी के कुछ विधायकों और नेताओं से मिली. इसके साथ ही सब कुछ बदल गया. जुलाई 2011 की बात है. भंवरी मदेरणा के सरकारी बंगले पर पहुंच गई.

60 लाख रुपये में हुआ सौदा
वहां मदेरणा ने उसे धमका कर भगा दिया. आहत होकर भंवरी ने मदेरणा पर दबाव बनाने के लिए जयपुर में ही बीजेपी के कुछ नेताओं से मुलाकात की और उन्हें पहली बार उस सीडी के बारे में बताया. सीडी की खबर जयपुर के राजनीतिक गलियारों से होते हुए मीडिया तक जा पहुंची. अचानक मंत्री महिपाल, विधायक मलखान सिंह और भंवरी देवी के बीच तमाम गिले-शिकवे दूर हो गए. तीनों में अब समझौता हो चुका था. इसके बाद फिर से तीनों के बीच बातचीत भी शुरू हो गई थी. मजबूर मदेरणा ने भंवरी को सीडी के बदले 60 लाख देने का वादा कर लिया था.

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..और गायब हो गई भंवरी
भंवरी ने अगस्त 2011 में अपनी कार बेची थी. उसी का बकाया चार लाख रुपये देने के लिए एक सितंबर को सोहनलाल नामक व्यक्ति ने भंवरी को फोन कर अपने घर बुलाया. भंवरी उसी दिन पैसे लेने के लिए अपने घर से निकली और फिर कभी घर नहीं लौटी. शुरू में घरवालों ने हर तरफ भंवरी कों ढूंढा. उसके पति ने पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी. भंवरी देवी के पति अमरचंद ने अपनी बीवी की गुमशुदगी के लिए राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा को जिम्मेदार ठहरा कर सत्ता के गलियारों में हड़कंच मचा दिया.

सीबीआई को मिला भंवरी केस  
मामला हाई प्रोफाइल होने की वजह से पुलिस हरकत में आ गई. शक के घेरे में मंत्री और विधायक भी थे. लिहाजा पुलिस हर कदम फूंक फूंक कर रख रही थी. पुलिस को जांच में पता चला कि एक सितंबर को भंवरी आखिरी बार जोधपुर में देखी गई थी. इसके बाद उसके मोबाइल फोन का रिकार्ड सीकर में उसकी मौजूदगी दिखा रहा था. लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला. मामला बढ़ता देख राज्य सरकार ने दबाव में आकर इस मामले की जांच राजस्थान पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी.

सीबीआई और सीडी का राज
सीबीआई के सामने सबसे अहम सवाल था कि आखिर भंवरी को सीडी के भंवर में किसने फंसा रखा था? उस सीडी में क्या था? और उस सीडी को लेकर भंवरी ने ऐसा क्यों कहा था कि अगर सीडी चल पड़ी तो तीन दिन में राजस्थान की सरकार गिर जाएगी? सीडी के सच को समझने के लिए भंवरी को जानना जरूरी था. एक मामूली नर्स भंवरी की असल जिंदगी में क्या हैसियत और रुतबा था उसे परखना जरूरी था. और उसे परखते-परखते आखिरकार सीबीआई मंजिल तक पहुंच ही गई.

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126 दिन बाद खुला राज
गुमशुदगी के ठीक 126 दिन पता चला कि भंवरी देवी मर चुकी है. दरअसल, भंवरी से कार खरीदने वाला सोहनलाल बिश्नोई विधायक मलखान सिंह का भांजा था. उसने भंवरी को फोन कर बताया था कि सीडी के बदले 60 लाख लेने उसे बिलाड़ा जाना पड़ेगा. लेकिन पैसे तब मिलेंगे जब राजू भाई सीडी की असलियत परख लेगें. 1 सितंबर को भंवरी बस से बिलाड़ा गई. वहां एक जीप में राजू और उसका एक साथी इंतजार कर रहे थे. ये राजू कोई और नहीं बल्कि खूंखार अपराधी शहाबुद्दीन था, जो सीडी का सौदा करने आया था.

ऐसे हुआ था भंवरी का कत्ल
भंवरी अब सोहनलाल और शहाबुद्दीन के बुने जाल में फंस चुकी थी. राजू ने गाड़ी के सीडी प्लेयर में 52 मिनट की पूरी फिल्म देखी. जीप के पीछे सोहनलाल एक स्विफ्ट कार में चल रहा था. शाम होते ही भंवरी ने शहाबुद्दीन से पैसे मांगे. लेकिन राजू के आनाकानी करने पर भंवरी को शक हो गया. उसने शोर मचाना शुरु कर दिया. यह देखकर सोहनलाल भी बुलेरो के अंदर आ गया और इन तीनों ने भंवरी को जीप की सीट के नीचे लिटा दिया. और जूतों से रौंद कर भंवरी को मौत के घाट उतार दिया गया.

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ऐसे लगाया लाश को ठिकाने
इस साजिश के बीच की कड़ी था सहीराम. वह मलखान सिंह और महिपाल मदेरणा का खास गुर्गा था. जो जोधपुर के ज्याति नगर इलाके से कत्ल के इस प्लान को मॉनिटर कर रहा था. भंवरी के कत्ल के बाद उसने सोहन लाल को हुक्म दिया कि भंवरी की लाश जलौड़ा के अपराधी बिश्नाराम को सौंप दे. लिहाजा सोहनलाल ने पिपाड़ इलाके में लाश बिश्नाराम बिश्नोई के हवाले कर दी. अब बारी थी भंवरी की लाश को ठिकाने लगाने की लिहाजा बिश्नाराम लाश को जलौड़ के जंगल में लुहावट नहरी पुलिया पर ले गया और वहीं लाश को जला दिया.

मंत्री और विधायक गए जेल
सीबीआई ने बाद में जो खुलासा किया उसके मुताबिक भंवरी के कत्ल की पहली कड़ी विधायक मलखान सिंह और दूसरी कड़ी पूर्व कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा था. भंवरी सीडी के जरिए मंत्री मदेरणा को ब्लैकमेल कर रही थी. उस सीडी में मंत्री आपत्तिजनक हालत में भंवरी देवी के साथ था. इस मर्डर केस से जुड़े सभी लोग मलखान और मधेरणा के लोग थे. बाद में महिपाल मदेरणा को ना सिर्फ मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा. बल्कि जेल भी जाना पड़ा. वही हाल मलखान सिंह का भी हुआ. अब यह केस एक बार फिर जिंदा हो उठा है.

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