
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, मशहूर गायक भूपेन हजारिका और बड़े समाजसेवी नानाजी देशमुख को भारत रत्न सम्मान की घोषणा होते ही इस पर सियासत भी होने लगी है. खासकर कर्नाटक से सिद्धगंगा मठ के प्रमुख रहे शिवकुमार स्वामी को भारत रत्न के लिए न चुने जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं. कांग्रेस और जनता दल सेकुलर ने सरकार पर शिवकुमार स्वामी की अनदेखी का आरोप लगाया है.
कर्नाटक कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि हमारी बार-बार मांग के बावजूद डॉ. शिवकुमार स्वामी को भारत रत्न से नहीं नवाजा गया. कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा है कि हमारी इस मांग का कर्नाटक बीजेपी ने भी समर्थन किया था, बावजूद इसके केंद्र सरकार स्वामी जी के योगदान को भुला दिया. पार्टी ने केंद्र सरकार से इस संबंध में पुनर्विचार कर शिवकुमार स्वामी को भारत रत्न सम्मान से नवाजने की अपील की है.
कर्नाटक में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही जनता दल सेकुलर (जेडीएस) ने भी भारत रत्न के लिए शिवकुमार स्वामी के न चुने जाने पर विरोध दर्ज कराया. यहां तक कि जेडीएस ने प्रणब मुखर्जी के नाम पर भी ऐतराज जताया. जेडीएस के महासचिव दानिश अली ने कहा यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि बीजू पटनायक और कांशीराम जी से पहले प्रणब मुखर्जी को सर्वोच्च सम्मान के लिए चुना गया. उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को इसलिए भारत रत्न के लिए चुना गया, क्योंकि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय गए थे.
शिवकुमार स्वामी को भारत रत्न की मांग
हाल ही में सिद्धगंगा मठ के प्रमुख शिवकुमार स्वामी का 111 साल की उम्र देहांत हुआ है. ऐसे में राज्य के राजनैतिक दल खास तौर पर उनके नाम को आगे रख रहे हैं. जेडीएस नेता दानिश अली ने कहा है कि नानाजी देशमुख से हजार गुना ज्यादा सामाजिक कार्य करने वाले शिवकुमार स्वामी को भारत रत्न नहीं दिया गया, क्योंकि वह आपकी विचारधारा उनसे नहीं मिलती है.