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उत्तर प्रदेश के दूरदराज के एक शहर मुरादाबाद में थिएटर मालिक बताते हैं कि उनके हॉल में चल रही तड़पती लड़कियां अंग प्रदर्शन वाली या ‘सेक्सी फिल्म’ है, इसके प्रचार के लिए दो तरह के पोस्टर लगाए गए हैं. सिनेमा हॉल के बाहर लगे पोस्टर में एक अर्धनग्न सुंदरी अपने बाएं हाथ से अपने भारी स्तन को ढंके दिख रही है. दूसरी तरफ, शहर में अन्य जगहों पर लगाए गए पोस्टरों में उसके सीने पर काला रंग पुता दिख रहा है और सिर्फ चेहरा तथा पैर ही पूरी तरह से दिख रहे हैं. वे कहते हैं, ‘‘ऐसा करना पड़ता है. थिएटर के बाहर तो खुला स्तन दिखाना चल सकता है पर शहर में नहीं.’’ सिनेमा का परिसर निजी है, लेकिन शहर का इलाका सार्वजनिक हो जाता है. अंग प्रदर्शन चलेगा, लेकिन कहां चलेगा यह उस जगह पर निर्भर करता है.
भारत में काम-वासना एक बिकनी की तरह है: इसमें द्वंद्व इस बात का होता है कि आप क्या दिखा सकते हैं और क्या छिपा सकते हैं. महाराष्ट्र के कोल्हापुर में यौन शिक्षा पर चर्चा के दौरान एक सेक्सोलॉजिस्ट को लगा कि उनका श्रोता वर्ग सेक्स पर बातचीत के मामले में बहुत शर्मीला है. उन्होंने उनसे अपने सवाल बिना नाम जाहिर किए लिखकर देने को कहा. दसवीं की एक छात्रा ने पहला सवाल किया कि क्या वह एचआइवी ग्रसित हो सकती है. शंका की वजह: उसके जीवन में दो पुरुष थे और उसने दोनों से एक साथ सेक्स (तिकड़ी) भी आजमाया था.
हिंदुस्तानी लोग कपड़े त्याग सकते हैं, परंपराएं नहीं. सेलम में रहने वाली तीन बच्चों की मां, एक पेशेवर सेक्स वर्कर काम के दौरान मंगलसूत्र पहने दिखती है. केरल में कोट्टयम के लोग मसाज के लिए रिफाइंड नारियल तेल पसंद करते हैं. मिजो समाज में प्रणय निवेदन का एक रिवाज है जिसे ‘इन रिम’ कहते हैं. इसमें विवाह का इच्छुक लड़का किसी लड़की से मिलने उसके घर जा सकता है और बड़े-बुजुर्गों की निगरानी में उसके साथ कुछ समय बिता सकता है. अब आइजॉल के लड़के-लड़कियां बिना अभिभावकों की निगरानी में मिलते हैं.
गुंटूर के प्रेमी अब साथ-साथ पोर्न देखते हैं. क्या हम ऐसे युग में रह रहे हैं जिसमें सेक्स से जुड़ी उत्सुकता खत्म हो गई है? आखिरकार हम ऐसे देश के वासी हैं जहां फिल्मों में बलात्कार दिखाना समस्या नहीं पर चुंबन देखने में हमें शर्म आती है. यह वही संस्कृति है जिसमें अस्वीकार्य जाति या धर्म के व्यक्ति से प्यार करने पर हत्या की जा सकती है.
2012 इंडिया टुडे-नीलसन सेक्स सर्वे आ चुका है. इसमें चार महानगरों और 12 छोटे शहरों के 5,246 पुरुषों और महिलाओं ने प्रतिक्रियाएं दी हैं. 63 फीसदी के साथ कोटा गुदा मैथुन (एनल सेक्स) को आजमाने वालों में सबसे आगे है. जामनगर ब्लाइंड डेट पर जाने वालों और मुख मैथुन (ओरल सेक्स) आजमाने वालों के मामले में शीर्ष पर है. रतलाम थ्रीसम (तिकड़ी) आजमाने वालों के मामले में सबसे आगे है.
कोट्टायम के लोग ताकत की दवा लेने में अव्वल हैं. आसनसोल के 10 फीसदी लोग मानते हैं कि पत्नियों की अदला-बदली एक स्वीकार्य वयस्क खेल है. गुंटूर के लोगों को फ्रेंच किस पसंद हैरू 76 फीसदी ने इसे आजमाया है, जो सभी शहरों में सबसे ज्यादा है. क्या भारत के असली डर्टी पिक्चर के हीरो के रूप में छोटे शहरों ने महानगरों को पछाड़ दिया है? अगले पन्नों पर नजर दौड़ाइए और इसका पता लगाइए.
-राहुल जयराम
रतलाम
फूहड़ता के शहर में, कामोत्तेजना की खुशी
रतलाम के सिनेमा घरों में पोर्न मूवी दिखाना प्रतिबंधित है और घटिया ब्लू फिल्मों की डीवीडी चुनिंदा स्टोर्स पर ही मिलती हैं. पर थोड़ा झांककर देखें तो गुप्त तरीके से मजे लेने वाले शौकीनों की अलग दुनिया दिख जाएगी. चोरी-छिपे लड़कों से मिलने वाले समलैंगिक लोगों से लेकर गंदे क्यूबिकल्स में हार्डकोर पोर्न देखने वाले 13 वर्ष तक के लड़कों तक. दो बत्ती मार्केट के एक साइबर कैफे वाले ने इसकी तस्दीक की. मध्य भारत का यह उनींदा शहर अपनी कामेच्छा से हैरान करता है.
जिला सरकारी अस्पताल में एचआइवी/एड्स के नोडल अधिकारी डॉ. अभय अयोहरी के पास पिछले दो साल में कम-से-कम 900 ऐसे मामले आए हैं जिसमें किसी मर्द ने दूसरे मर्द से यौन संबंध बनाए हैं. इसकी वजह वे शहर का अफीम वाले इलाके के पास होना बताते हैं. ‘‘मालवा क्षेत्र में रतलाम, मंदसौर और नीमच को जोडऩे वाले हाइवे पर कई एकड़ में वैध तरीके से अफीम की खेती की जाती है. ड्रग लेने वाले लोगों को अक्सर जबरन समलैंगिक गतिविधियों में लपेट लिया जाता है.’’
साइकिल की दुकान चलाने वाले 40 वर्ष के सन्नी रामलीला में अभिनय भी करते हैं. उन्हें 18 वर्ष की उम्र में पता चला कि वे समलैंगिक हैं. दो बच्चों के पिता सन्नी का दावा है कि उनके करीब 150 ‘‘दोस्त’’ हैं और वे स्कूली बच्चों की तरह इस इंतजार में रहते हैं कि किसी का घर ऐसे काम के लिए मिल जाए.
इस शांत शहर का इम्तियाज अली की 2007 में आई फिल्म जब वी मेट में एक फूहड़ शहर के रूप में मजाक उड़ाया गया था. पर एक सांध्य दैनिक के ब्यूरो चीफ पवन शर्मा गृह नगर की अय्याश छवि को खारिज करते हैं. ‘‘इस तरह की गतिविधियां शहर से 35 किमी दूर नीमच के पास हाइवे पर ही केंद्रित हैं जहां सेक्स वर्कर सड़क के किनारे खड़े रहते हैं.’’ पर एक स्थानीय एनजीओ समर्पण के विट्ठल राव बेले बताते हैं कि घरेलू नौकरानियों में एचआइवी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. सर्वे के मुताबिक रतलाम में यौन फंतासी को सचाई में बदलने वाले लोगों का प्रतिशत सबसे ज्यादा (95) है.
-संहिता सिन्हा चौधरी
कोल्हापुर
जहां बड़ा ही बेहतर है
यौन शिक्षा पर एक व्याख्यान में कोल्हापुर के प्रख्यात यौन रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल पाटील को दसवीं की एक लड़की के बिना नाम बताए भेजे इस सवाल का सामना करना पड़ा: ‘‘सर, मेरे दो ब्वॉयफ्रेंड हैं. मैंने एक ही साथ दोनों से यौन संबंध बनाए हैं. मैं एक के ऊपर रहती हूं तो उसी समय दूसरा मेरे ऊपर रहता है. मुझे डर लग रहा है कि कहीं मैं एचआइवी के संपर्क में न आ जाऊं. कृपया मेरी मदद करें.’’ जाहिर है कोल्हापुर में समय बदल रहा है.
बालेश्वर के बाद कोल्हापुर में ऐसे लोगों का प्रतिशत (59) सबसे ज्यादा है जो यौन रोग विशेषज्ञ के पास जाने को तैयार रहते हैं. हर हफ्ते करीब 60 मरीज देखने वाले सेक्स चिकित्सक डॉ. रजनीश सावंत कहते हैं, ‘‘बहुत से मर्दों को यह चिंता रहती है कि उनका लिंग छोटा है और वे इसे बड़ा करना चाहते हैं.’’ वे समझते हैं कि पोर्न फिल्मों में पश्चिमी देशों के मर्दों के लिंग बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए जाते हैं और बहुत-से ऐसे लिंग प्रत्यारोपित होते हैं. महिला मरीज अकसर बड़े और सही आकार के स्तन के लिए सलाह लेने आती हैं.
एक दवा विक्रेता बताते हैं, ‘‘महिलाएं हमेशा लुब्रिकेंट के लिए पूछती हैं. पहले हम नहीं रखते थे, अब रखना शुरू कर दिया है.’’ पाटील कहते हैं, ‘‘पोर्नोग्राफी के माध्यम से लोग अब इस बारे में ज्यादा जागरूक हो रहे हैं कि खुद को और अपने पार्टनर को संतुष्ट कैसे करें.’’ पाटील इस विषय पर पीएचडी कर रहे हैं जिसमें वे यौन और मनोवैज्ञानिक उपचार के लिए पोर्न के इस्तेमाल की परख करेंगे. कोल्हापुर को तीखे, चटख व्यंजनों के लिए जाना जाता है. इसे अब सेक्स संबंधों में भी मसाला डालने में परहेज नहीं.
-राहुल जयराम
गुंटूर
खुलने-खेलने की खूब जगह और द्वारे-द्वारे कंडोम
एक समय था जब सेक्स की चाह पति के लाए गजरे के जरिए बयां होती थी. अब गुंटूर में बातें सूक्ष्म संकेतों पर नहीं टिकी हैं. मशहूर मेडिकल कॉलेज के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लोगों में यौन संबंधों की लालसा तेजी से बढ़ रही है.
गुंटूर में कई शैक्षणिक संस्थान हैं, जहां देश के कोने-कोने से छात्र भरे हुए हैं. सूत्र का कहना है, ‘‘पहले ज्यादातर छात्र हॉस्टल में रहते थे, आज वे अपार्टमेंट में रहना पसंद करते हैं क्योंकि विपरीत सेक्स के साथ मेलजोल बढ़ाना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है. ज्यादातर संस्थान शहर के बाहर हैं, जहां मोटे तौर पर एकांत बना रहता है. यही वजह है कि छात्र बेलगाम सब कुछ आजमाने के लिए स्वच्छंद होते हैं. चुंबन और देह स्पर्श आम है.’’
सूत्र बताती हैं कि ‘‘गुंटूर में मनोरंजन के नाम पर भी कुछ नहीं. यहां लड़के-लड़कियां बेहिसाब पॉर्न देखते हैं, या साथ घूम-फिरकर समय बिताते हैं जो उन्हें अंतत: चुंबन, शारीरिक स्पर्श, फोन पर रुमानी बातों या साइबर सेक्स की ओर खींच ले जाता है.’’ 24 घंटे खुली लाइब्रेरी रात में साथ समय बिताने की सबसे पसंदीदा जगह है और अक्सर हॉस्टल के कमरों के बाहर इस्तेमाल किए गए कंडोम दिख जाते हैं.
गुंटूर से आइटी की पढ़ाई कर हैदराबाद में बसे 38 वर्षीय सुशील जैन कहते हैं, ‘‘गुंटूर के युवा अक्सर नजदीकी अमरावती और सूर्यलंका जाते रहते हैं, जिनमें सूर्यलंका में समुद्र-तट होने के कारण लगता है कि उसका माहौल मानो निजी पलों और दैहिक अंतरंगता जीने के लिए ही रचा गया है.’’ गुंटूर की एक गायनाकोलॉजिस्ट बताती हैं कि उन्हें हर महीने दसेक छात्राओं का गर्भपात करवाना पड़ता है. ऐसी लड़कियों की संख्या बढ़ती जा रही है जिन्हें पैसे के लिए शारीरिक संबंध बनाने से परहेज नहीं. ’’
-पीवीबी भास्कर
कोटा
अजनबीपन ने कोचिंग की राजधानी के लोगों को रोमांस और रोमांच का लाइसेंस दे दिया
इक्कीस साल की अनुलेखा 15 महीने पहले रायपुर से घुमावदार ट्रेन यात्रा कर कोटा पहुंची थीं, अपने जैसे हजारों होनहार युवाओं के बीच एक सुखद गुमनामी की तलाश में. अपने घर के एहतियाती परिवार से आजाद इस आकर्षक युवती ने एलेन करियर्स कोचिंग सेंटर में पहले ही हफ्ते के अंत में एक ब्वॉयफ्रेंड पा लिया. अपने दोस्तों से काफी निराश वह कहती है, ‘‘खुद को तलाशने में पूरा साल लगा दिया. इस साल मैं पढ़ाई करूंगी.’’ कई दोस्त उसके चौथे ब्वॉयफ्रेंड की जगह लेने की कोशिश में हैं.
कहावत है कि चंबल का पानी जो भी पुरुष या औरत पी ले तो वह बागी हो जाता है. चंबल नदी जो कभी मान सिंह, निर्भय गुर्जर, सुल्ताना और फूलन देवी जैसे खून के प्यासे डकैतों को जन्म दे चुकी है, आज नए तरह के बागी पैदा कर रही है. ऐसे बागी जो रूढ़िवादी मान्यताओं को चुनौती दे रहे हैं. यह एक नई तरह की काम-वासना का शांत लेकिन सुखद विस्फोट है.
कोटा की करीब 10 लाख की आबादी में हर साल दसवां हिस्सा और आ जुड़ता है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से हर साल एक लाख नए चेहरे आ जाते हैं. शहर के सबसे बड़े ऐसे कोचिंग प्रतिष्ठान एलेन में हर साल करीब 50,000 छात्र प्रवेश लेते हैं और उसकी सालाना कमाई करीब 250 करोड़ रु. की है.
अनुमान है कि छात्र किराए, खाने-पीने और यातायात आदि पर खर्च कर स्थानीय अर्थव्यवस्था में हर साल ट्यूशन फीस (सालाना 1,000 करोड़ रु.) के करीब दोगुने के बराबर योगदान करते हैं. इसलिए इस बात पर कम ही अचरज होता है कि शहर के स्थानीय निवासी अपने ‘‘बच्चों को बचाने’’ के लिए हद से बाहर जाकर प्रयास कर रहे हैं. ऐसे तमाम किस्से सुनने को मिलते हैं कि नशे में धुत लड़कियों को ऑटो ड्राइवर सुरक्षित घर तक छोडऩे जा रहे होते हैं तो कोचिंग की छात्रा होने का फायदा उठाने की कोशिश करते स्थानीय बदमाशों को काबू करते सिपाही दिख जाते हैं.
शहर के युवा जोड़ों के लिए शाम को घूमने की अनिवार्य जगह सिटी मॉल के दुकानदार ज्यादा दयालु दिखते हैं. नदी किनारे बनाए गए हरित बसेरे चंबल गार्डेन में जब युवा कामेच्छा के वशीभूत हो झाडिय़ों में घुस जाते हैं तो सुरक्षा गॉर्ड दूसरी तरफ देखने लगते हैं.
एनएसयूआइ के पूर्व प्रमुख और कांग्रेस नेता 48 वर्षीय नरेश हाड़ा को इस सर्वे के निष्कर्षों पर बहुत अचरज नहीं होता, न तो इस निष्कर्ष पर कि सर्वे में शामिल शहर के 63 फीसदी लोगों ने गुदा मैथुन (एनल सेक्स) को आजमाने की बात स्वीकार की है. वे कहते हैं, ‘‘शादियां देर से हो रही हैं. लड़के-लड़कियां जब तक सेटल होने को सोचते हैं तब तक 30 से ऊपर के हो जाते हैं. लेकिन उनके हार्मोंस तो जोर मारेंगे ही.’’ राजपूत जाति के हाड़ा बिल्कुल बिना किसी शिकन के कहते हैं, ‘‘मैं अगर अपने बेटे के लिए सुरक्षित कौमार्य वाली दुल्हन लाने पर जोर दूं तो यह एक तरह से अनुचित बात ही मानी जाएगी.’’
मॉल के एक कॉफी शॉप में बैठे तीन पुराने दोस्त 27 वर्षीय के सचींद्र सिंह, 37 वर्ष के अमित पाटनी और 28 वर्षीय के अमित सिंह यह स्वीकार करते हैं कि वे अपने स्कूल के दिनों से तुलना करें तो कोटा को तो अब पहचानना ही मुश्किल है. डेटिंग और बूंदी रोड या बारां रोड पर लांग ड्राइव पर जाना यहां आम बात है. लेकिन उनके मुताबिक असल बदलाव तो ‘बंद दरवाजों के पीछे’ हो रहा है.
पुराने दिनों में कोटा को मिथकीय तौर पर ऐसा स्थान बताया जाता था जहां ‘बाघ और बकरी साथ-साथ शांति से रह सकते हैं.’’ कोचिंग छात्रों ने अब शहर को नई पहचान देते हुए उसे ‘‘किस ऑफ दि एंजेल’’ (केओटीए) की जगह बना दी है, जहां कुछ भी संभव है.
-असित जॉली
सेलम
आम के शहर में वर्जित फल की जबरदस्त चाहत
साइबरडेटिंग.नेट पर चुनने के लिए दमित यौन इच्छा वाले कई लोगों के प्रोफाइल हैं: ऐसे ही एक शख्स के संदेश में कहा गया है, ‘‘हाय, मेरा नाम मणि है, मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूं..केवल सेक्स...क्योंकि मैं सेक्स प्रेमी हूं...इसलिए सेक्स या वीडियो चौट के लिए मुझसे तुरंत संपर्क करें...’’ एक और बेचैन कहती है: ‘‘हाय गर्ल्स, मैं चार्मिंग, सेक्सी, हैंडसम हूं...मैं लड़कियों के साथ जबरदस्त सेक्स करना चाहता हूं...उन्हें दोस्ती और सेक्स के जरिए खुश रखने की कोशिश करता हूं.’’ सेक्स के लिए पत्नियों की अदलाबदली के ऑफर भी हैं: ‘‘हम 36 (मर्द) 36 (औरत) के जोड़े हैं.
सॉफ्ट स्विंगिंग (स्वैपिंग), स्विंगिंग, नॉटी टाक, साइबर सेक्स आदि के लिए हमें 30 से 40 वर्ष के बीच के एक और जोड़े की तलाश है.’’ ऐसे हर प्रोफाइल के साथ एक फोन नंबर या सीधे मैसेज भेजने का विकल्प होता है. आपके लिए हैरत वाली बात यह हो सकती है कि माइंडब्लोइंग, नॉटी, स्विंगिंग जैसे शब्दों वाले ये ऑफर चेन्नै से 340 किमी दूर सेलम शहर से आते हैं. स्टील सिटी या मैंगो सिटी के रूप में मशहूर सेलम की आधिकारिक वेबसाइट पर बताया गया है कि यह टीलों से घिरा शहर भूगर्भ वैज्ञानिकों के लिए स्वर्ग जैसा है.
ये प्रोफाइल सेलम के हैं, इसे जानकर सबसे ज्यादा हैरत किसे हो सकती है? खुद सेलम के लोगों को. यहां के लोगों के बारे में एक दिखावटी सरल छवि यह है कि सेक्स को तो छोड़ ही दीजिए, वे डेटिंग के बारे में भी खुलकर बात करने में काफी शर्माते हैं. इस बारे में हकला रहे मर्दों और शर्म से लाल हो जाने वाली औरतों की झिड़की सुनने के बाद हमने पेशेवर सेक्स वर्कर्स से बात करना ठीक समझ. 32 वर्ष की रोहिणी ए.के परिवार में एक निकम्मा पति और तीन बच्चे हैं.
वह पिछले पांच साल से पेशेवर सेक्स वर्कर के रूप में काम कर रही है. वह अब भी मंगलसूत्र पहनती है और रात में धंधा नहीं करती. उसने बताया कि इससे उसके बच्चों को शक हो जाएगा कि मां कुछ गलत कर रही है. वह मर्दों के साथ अपने छुपकर मिलने को ‘मीटिंग’ कहती है और हफ्ते में ऐसी करीब 10 मीटिंग करती है. ‘‘मैं उनके लिए हमेशा नंगी हो जाती हूं. वे मुझसे एक-एक कर कपड़े उतारने को कहते हैं.’’ 29 वर्ष की सुमति कहती हैं, ‘‘लोग उसके पास इसलिए आते हैं क्योंकि उन्हें जो चाहिए होता है वह देती है: ब्लो जॉब. रोहिणी के शब्दों में, ‘‘वे मर्द बताते हैं कि उनकी पत्नी ऐसा कभी नहीं करतीं.’’
कुछ मर्द पुरुष सेक्स वर्कर को पसंद करते हैं. 16 वर्ष की उम्र से ही पुरुष सेक्स वर्क र के रूप में काम कर रहा, अब 36 का हो चुका रामू एम. बताता है कि ‘‘मेरे पास ज्यादातर पुरुष आते हैं. वे गुदा मैथुन करना चाहते हैं और उनकी पत्नी उन्हें ऐसा नहीं करने देती.’’ सवाल उठता है कि वे महिला सेक्स वर्कर के पास क्यों नहीं जाते? वह हंसते हुए बताता है, ‘‘मैं निश्चित नहीं बता सकता. पर मुझे लगता है कि मेरे पास आने से लगता होगा कि वे पत्नी को धोखा नहीं दे रहे. या हो सकता है कि किसी औरत के मुकाबले मुझसे मुख मैथुन करने में उन्हें ज्यादा मजा आता हो.’’ वह मोबाइल फोन और ऑनलाइन से ग्राहकों से संपर्क करता है. ‘‘इससे मुझे थोड़ी मुश्किल भी होती है क्योंकि वहां सारी जानकारी होती है. पर काम तो काम है.’’
यह देखने को ये प्रोफाइल सच हैं या नकली, हमने कुछ के नंबर पर फोन करने का निर्णय लिया. जबरदस्त सेक्स का वादा करने वाले ने फोन नहीं उठाया और स्विंगर की पेशकश करने वाले जोड़े का फोन स्विच ऑफ था. आखिरकार खुद को ‘सेक्स प्रेमी’ बताने वाले एक मर्द ने फोन उठाया. उसने बताया, ‘‘मैंने कॉलेज में यह प्रोफाइल बनाया था. अब मैं एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता हूं. मैं अविवाहित हूं.’’ हमने पूछा, ‘‘क्या तुम सेलम में रहते हो?’’ जवाब आया, ‘हां, क्या आप भी?’’ कहने की जरूरत नहीं है कि हमने फोन काट दिया.
-लक्ष्मी कुमारस्वामी