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भीमा कोरेगांव केस की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) करेगी. केस को अपने हाथ में लेने के लिए एनआईए की टीम आज मंगलवार को पुणे पहुंच चुकी है. एनआईए पुणे पुलिस से लेगी जांच केस ट्रांसफर कर अपने हाथों में लेगी.
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, यलगार परिषद के कई सदस्य सीपीआई (माओवादी) के संपर्क में थे, जो UAPA के तहत प्रतिबंधित है. सूत्रों का मानना है कि भीमा कोरेगांव की साजिश बड़े स्तर पर रची गई थी. गृह मंत्रालय को यह भी शक है कि भीमा कोरेगांव में पैन इंडिया षड्यंत्र रचा गया. बड़ी साजिश की जांच के लिए अब एनआईए को केस सौंपा गया है.
पिछले हफ्ते NIA को ट्रांसफर हुआ केस
जांच एजेंसी एनआईए ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को जानकारी दी थी कि वह अब इस मामले की जांच करेगी. इसे लेकर एनआईए ने महाराष्ट्र के डीजी को पत्र भी लिखा था.
एनआईए ने शुक्रवार दोपहर में राज्य सरकार को सूचित किया कि वे इस मामले को संभाल रहे हैं. इस मामले की जांच कई राज्यों में फैली हुई है.
हालांकि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भीमा कोरेगांव मामले को लेकर केंद्र सरकार के फैसले की निंदा की. उन्होंने ट्वीट करते हुआ कहा कि जब हम मामले की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे, तो बिना हमसे बात किए केंद्र सरकार ने यह मामला एनआईए को दे दिया, मैं इस कृत्य की निंदा करता हूं.
तो वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि एनआईए ने बड़ी जल्दबाजी में यह केस अपने हाथ में लिया है. पवार ने पिछले हफ्ते आजतक से बातचीत में कहा था कि केंद्र ने बड़ी जल्दबाजी में इस मामले को एनआईए के पास भेज दिया. मैंने पत्र में जो शंका जताई थी कि जो भाषण शनिवारवाड़ा में हुए थे वो अन्याय और अत्याचार के खिलाफ थे, और उनका नक्सलवाद से कोई लेना-देना नहीं है.
पवार ने की थी SIT जांच की मांग
इससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने जांच में शामिल पुलिस अधिकारियों की बैठक बुलाई थी ताकि जांच के विस्तार को समझा जा सके.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने कुछ दिन पहले ही राज्य के गृह विभाग को पत्र लिखकर इस मामले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की थी.
शरद पवार ने उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की मांग की, जिन्होंने इस मामले की जांच की थी. पत्र में यह भी कहा गया था एल्गर परिषद मामले में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी गलत थी. इस मामले में 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
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क्या है भीमा कोरेगांव का मामला?
दो साल पहले एक जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में जातिगत हिंसा भड़की थी. इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने सुरेंद्र, गाडलिंग, सुधीर धावले, महेश राउत, रोमा विल्सन और सोमा सेन को भी आरोपी बनाया था.
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एक जनवरी 1818 को ब्रिटिश आर्मी और पेशवा सेना के बीच जंग हुई, जिसमें ब्रिटिश आर्मी की जीत हुई थी. दरअसल, दलित जाति के 500 से अधिक सैनिकों ने तब पेशवाओं की सेना में शामिल होने का आग्रह किया था, लेकिन पेशवाओं ने उन्हें शामिल नहीं किया. फिर दलित और महार जाति के जवान ब्रिटिश सेना में शामिल हो गए और पेशवाओं को इस जंग में मात दी थी. तभी से एक जनवरी के दिन भीमा कोरेगांव में जश्न मनाया जाता है.