
भोपाल में एक परिवार ने अपने बच्चे का नार्को टेस्ट करवा दिया. पुलिस को बच्चे के अपहरण की घटना का यकीन दिलाने के लिए परिवार ने यह टेस्ट करवाया. इस टेस्ट के बाद बच्चे को तीन दिन काफी तकलीफ उठानी पड़ी. अब पुलिस इस मामले पर जांच की बात कह कर पल्ला झाड़ रही है.
भोपाल के डीआईजी बंगला इलाके में सरवर जहां का परिवार रहता है. उनका 14 वर्षीय पुत्र हमजा आठवीं कक्षा में पढ़ता है. लगभग एक माह पहले 22 जुलाई को सुबह हमजा को कुछ लोगों ने उस वक्त अगवा कर लिया था जब वो दूध लेने जा रहा था.
चार दिन बाद हमजा अपने घर वापस आ गया था. लौटने पर उसने जो कुछ बताया उस पर किसी ने यकीन नहीं किया. पुलिस भी बच्चे की बातों को नकारती रही. पुलिस को अपहरण की बात का यकीन दिलाने के लिए माता-पिता ने शहर के एक प्राइवेट अस्पताल में बच्चे का नार्को टेस्ट कराया.
तकरीबन 40 मिनट चले नार्को टेस्ट में बच्चे ने जो कुछ बताया वो चौंकाने वाला था. टेस्ट के दौरान बच्चे ने खुद को अगवा किये जाने की पूरी हकीकत बयान कर दी. उसने बताया कि अपहरण के बाद उसे जिस कमरे में रखा गया था वहां और भी लड़के थे. उन्हें खाने में एक सूखी रोटी दी जाती थी. रोटी में कुछ मिलाकर खिलाया जाता था. जिसकी वजह से उन्हें होश नहीं रहता था. बच्चों को रस्सी से बांधकर एक बदबूदार जगह पर रखा गया था.
अब भोपाल पुलिस नार्को टेस्ट की बात से सहमत नहीं है. उलटा वो नार्को के कायदे-कानून गिना रही है. पुलिस पता लगा रही है कि बच्चे का नार्को एक निजी क्लीनिक में कैसे कर दिया गया. एएसपी मनु व्यास ने बताया कि बच्चे का नार्को टेस्ट हुआ है लेकिन कैसे हुआ यह जांच का विषय है.
टेस्ट करने वाला क्लीनक अब नार्को की बात से इनकार कर रहा है. हालांकि डॉक्टर ने अपने पर्चे पर नार्को टेस्ट कराए जाने की बात लिखी है. अब सवाल उठ रहा है कि अगर नार्को टेस्ट की प्रक्रिया लम्बी है तो एक निजी डॉक्टर किसी बच्चे का यह टेस्ट कैसे कर सकता है.
गौरतलब है कि अमूमन नार्को टेस्ट किसी बड़े अपराधी और बालिग व्यक्ति का ही होता है. इसकी कानूनी और चिकित्सीय प्रक्रिया जटिल और लम्बी होती है.