
पिछले कई दिनों से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय सुर्खियों में है. तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बीच सियासी दल के नेता भी अपनी रोटी सेकने में लगे हैं. प्रधानमंत्री का क्षेत्र होने के चलते बनारस ने कई कारणों से खूब सुर्खियां बटोरी है.
इस पूरे सियासी शोरगुल में कहीं ना कहीं उन छात्रों की आवाज दब के रह गई है जो लगातार 3 दिन तक एक पीड़िता के साथ हुई छेड़खानी के लिए धरना दे रहे थे. आज उनको लगता है कि उनका वजूद खतरे में है, लेकिन जो बवाल सड़कों पर उतर कर आया वह कोई एक दिन की 1 महीने की या 1 साल की पीड़ा नहीं है. यह उफ़ान है कई सालों का है. देखते-देखते बीएचयू हैवानियत का एक गढ़ बन गया. रात के अंधेरे में हो, शाम के साए में हो या फिर सुबह की चकाचौंध में मनचलों के लिए तो बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी का विशाल कैंपस एक स्वर्ग सा बन गया.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का दम भरने वाली मोदी सरकार तो कम से कम देश की ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की छात्राओं की गुहार सुनेगी. पर हकीकत तो यह है की छात्राओं का प्रदर्शन उनकी गले की हड्डी बन गया.
प्रशासन की ओर से स्टूडेंट्स पर दबाव
'आज तक' से खास बातचीत में स्टूडेंट्स ने अपने परेशानी के बारे में बताया. उनका आरोप है कि क्यों उनको धरना करने की सजा मिल रही है. उन्होंने कहा कि कैंपस में ऐसा माहौल है कि जो भी अपनी आवाज उठाता है उसको या तो कॉलेज से बाहर निकाल दिया जाता है या बात वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाता है.
हॉस्टल खाली करने के लिए बनाया जा रहा दबाव
छात्राओं का कहना है कि कभी वॉर्डन, कभी हॉस्टल की दीदी कभी सिक्योरिटी गार्ड और कभी कॉलेज प्रशासन और टीचर के जरिए छात्राओं को रविवार को हॉस्टल खाली करने की हिदायत दी गई. बता दें कि लिखित में कोई नोटिस नहीं दिया गया मगर दबी जुबान में कहा गया कि हॉस्टल खाली कर दो वरना, सोच लो.
प्रशासन के सपोर्ट में बात करने की हिदायत
बीएचयू प्रशासन स्टूडेंट्स पर दबाव बना रहा है. प्रशासन अपनी ओर से अपनी बात कहने के लिए स्टूडेंट्स से मीडिया में कहानियां उगलवा रहा है. उन्हें चेतावनी दी जा रही है कि उनके सर्पोट में बात की जाए.
प्रशासन पर संवेदनहीनता का आरोप
बीएचयू की छात्राओं ने लगातार छेड़खानी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि उन्हें कैंपस में लगातार ही छेड़खानी का सामना करना पड़ता है. विश्वविद्यालय प्रशासन असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.