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हुड्डा-मोदी की मुलाकात, क्या हरियाणा में कांग्रेस का एक और विकेट गिरेगा?

  हरियाणा में सत्ता गवांने के बाद भी कांग्रेस की अंदुरुनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. हुड्डा और तंवर खेमा एक दूसरे के खिलाफ बगावत का झंडा पिछले तीन साल से उठाए हुए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST

हरियाणा कांग्रेस में सियासी वर्चस्व की जंग पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के बीच जगजाहिर है. सूबे में दोनों नेताओं के अपने-अपने खेमे हैं और एक दूसरे के खिलाफ खुलकर सियासी शह-मात का खेल खेलते रहे हैं. अब लगता है ये राजनीतिक वर्चस्व की जंग पार्टी में बगावत का रुप अख्तियार करने की दिशा में बढ़ चुकी है. भूपिंदर सिंह हुड्डा कांग्रेस से इतर नई सियासी राह तलाश रहे हैं. इस कड़ी में बीजेपी की तरफ भी उन्होंने उम्मीद भरी नजरों से देखना शुरू कर दिया है. तो वहीं बीजेपी को भी जाट नेता की शिद्दत से जरूरत है, जो जाटों को साध सके.

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दरअसल  हरियाणा में सत्ता गवांने के बाद भी कांग्रेस की अंदुरुनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. हुड्डा और तंवर खेमा एक दूसरे के खिलाफ बगावत का झंडा पिछले तीन साल से उठाए हुए हैं. लेकिन पार्टी अलाकामन इसका समाधान नहीं निकाल पा रही है. यही वजह है कि अब भूपिंदर सिंह हुड्डा नए सियासी ठिकाने के तलाश में है. सूत्रों की माने तो पिछले एक सप्ताह में हुड्डा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दो बार मुलाकात की है. ये मुलाकात भले की चंद मिनटों की रही हो , लेकिन इस मुलाकात से सूबे में सियासी हलचल तेज हो गई है. इस मुलाकात को हुड्डा खेमे के लोग शिष्टाचार की मुलाकात बता रहे हैं, लेकिन इसके सियासी मायने है.

हुड्डा ने मोदी से मुलाकात करके अपने मंसूबे भी कांग्रेस आलाकमान के सामने जाहिर कर दिए हैं. अशोक तंवर के हाथों से पार्टी की कमान लेकर उन्हें नहीं दी जाती तो पार्टी को छोड़कर बीजेपी का दामन थामने में वो देर नहीं करेंगे.  हुड्डा पिछले करीब तीन वर्ष से अपने समर्थक विधायकों और पार्टी नेताओं के माध्यम से पार्टी आलाकमान पर इस बात के लिए दबाव बनाए हुए हैं कि हरियाणा कांग्रेस की कमान उन्हें ही सौंपी जाए. हुड्डा समर्थक विधायक कई बार खुलेआम कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर और विधायक दल की नेता किरण चौधरी को बदलने की मांग उठा चुके हैं.

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हुड्डा जहां एक तरफ अपने सियासी ठिकाना तलास रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सूबे में बीजेपी से जाटों की नाराजगी बढ़ी है, जिससे बीजेपी में भी बेचैनी है. जबकि बीजेपी के पास कैप्टन अभिमन्यू और चौधरी बीरेंद्र सिंह जाट नेता है, लेकिन हुड्डा के बराबर सियासी कद इन दोनों नेताओं का नहीं है. पिछले दिनों सूबे जाट आरक्षण को लेकर जाट समाज में नाराजगी बढ़ी है. यही वजह है कि बीजेपी को शिद्दत के साथ कद्दावर जाट नेता की तलाश रही है. मौके की नजाकत को समझते हुए हुड्डा ने बड़ा दांव चला है. सूत्रों की माने तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जरिए हुड्डा अपनी सियासी गोटियां बिछाई है.

 

 

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