
नोटबंदी के फैसले लागू हुए 40 दिन बीते चुके हैं. अभी भी बैंक और एटीएम के बाहर लंबी लाइनें कम नहीं हो रही हैं. सरकार के इस फैसले के खिलाफ विपक्ष ने सड़क से लेकर संसद तक हंगामा किया. लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि इस फैसले पर दोबारा विचार का सवाल ही नहीं उठता.
सरकार का कहना है कि 500 और 1000 रुपये के नोट के बंद होने से कालेधन पर लगाम लगेगा और देश में भ्रष्टाचार कम होगा. लेकिन विपक्ष सरकार के दांवों को गलत बताने में जुटा है. इस बीच नोटबंदी के 40 दिन पूरे होने पर 'आज तक' ने नेताओं और अर्थशास्त्रियों को लेकर एक बड़ी बहस का आयोजन किया. जिसमें मौजूद लोगों ने अपने विचार रखे.
डॉ. राजीव कुमार, अर्थशास्त्री
नोटबंदी के फैसले से ब्लैक मनी सीधे तरीके से बैंक तक पहुंच रहा है. ये फैसला देशहित में है और लोगों को सरकार को और वक्त देना चाहिए. अगर सरकार ने 31 दिसंबर का वक्त दिया है तो इसका ये मतलब नहीं है कि इसके अगले दिन यानी 1 जनवरी के बाद अगर नोटबंदी से लोगों के पास कुछ परेशानी सामने आए तो सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दें. सरकार को कम से कम फरवरी तक वक्त देना चाहिए. नोटबंदी से कालेधन वाले घबराए हुए हैं. जहां तक लोगों की परेशानी की बात है तो अगले कुछ दिनों में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है.
सुनील अलघ, ब्रांड कंसल्टेड
भारत के लोगों के डीएनए में भ्रष्टाचार है, क्योंकि अभी तक भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए. कानून तो बहुत है लेकिन उसे लागू करने में इच्छाशक्ति की कमी दिखाई दी. केवल नोट बैन करने से कालेधन पर लगाम संभव नहीं है. सरकार को कालेधन पर कार्रवाई के लिए अभी और मजबूत कदम उठाने की जरुरत है. अभी भी लोग बेधड़क काले को सफेद करने में लगे हैं और सरकार केवल कार्रवाई की बात कर रही है. क्योंकि सरकार के पास कोई सटीक रोडमैप नहीं जिससे ये कहा जा सके कि अब कालेधन वाले नहीं बच पाएंगे. कालेधन वालों को बार-बार वक्त देना इस बात को दर्शाता है कि कालेधन और भ्रष्टाचार को रोकन के लिए तैयार रणनीति में जरूर कोई कमी है.
प्रोफेसर राम खन्ना, कंजूमर्स एक्सपर्ट
नोटबंदी से आम लोगों को सही में परेशानी हो रही है. जबकि कालेधन वाले ब्लैक से व्हाइट करने में जुटे हैं क्योंकि उनके पास अभी भी ऑप्शन है. ये ऑप्शन सरकारी की तैयारियों में गड़बड़ी की वजह से लोगों को मिला है. इससे अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा. छोटे कारोबारी और दुकानदारों को नोटबंदी से परेशानी हो रही है. कैशलेश सिस्टम को अपनाने के लिए लोगों को पास समुचित साधन नहीं है. कई गांव अभी भी इंटरनेट सेवा से दूर है फिर कैश कारोबार में अंकुश का फैसला फिलहाल थोड़ा हास्यास्पद लगता है.
गौरव गोगोई, प्रवक्ता, कांग्रेस
केंद्र सरकार ने नोटबंदी फैसले को लेकर अर्थशास्त्रियों से सलाह नहीं ली. जिस वजह से लोगों को परेशानी हो रही है. ये अहंकार में लिया गया फैसला है. नोटबंदी से आम लोगों के साथ-साथ देश को भारी नुकसान होने वाला है. जबकि कालेधन वाले ब्लैक को व्हाइट करने में अब तक कामयाब रहे हैं. वहीं सरकार के इस फैसले से किसान, व्यापारी और छोटे कारोबारी तबाही के कगार पर हैं.
संबित पात्रा, प्रवक्ता, बीजेपी
नोटबंदी एक सख्त कदम है. पीएम मोदी ने राजनीति के ऊपर उठकर ये फैसला लिया है. इससे पहले की सरकार इस तरह के फैसले के बारे में सोचती तो थी लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाती थी. जिससे देश में कालाधन और भ्रष्टाचार बढ़ गया. नोटबंदी के बाद से कालेधन रखने वाले दहशत में हैं और अगर वो दूसरे रास्ते से ब्लैक को व्हाइट करने में लगे हैं तो उनपर आयकर विभाग की पैनी नजर भी है. विपक्ष केवल नोटबंदी के फैसले को लेकर लोगों को गुमराह कर रहा है. जबकि देश की जनता फैसले के साथ है. विपक्ष को भी राजनीति के ऊपर उठकर सरकार को समर्थन करना चाहिए ताकि देश तरक्की की राह पर जो चला है उसपर ब्रेक ना लगे.
मोहम्मद सलीम, नेता, CPM
नोटबंदी ने भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगेगा. नोटबंदी से ब्लैक मनी वालों को कोई परेशानी नहीं हुई और वो काले को सफेद करने में कामयाब रहे, जबकि आम आदमी जिसके पास मेहनती की कमाई है और नोटबंदी के बाद अव्यवस्था से परेशान हैं. किसानों पर नोटबंदी की मार पड़ी ही. पश्चिम बंगाल में किसान धान बेचने के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन कोई खरीदार नहीं है. इसकी बड़ी वजह ये है कि नोटबंदी कानून को अफरा-तफरी में लागू किया गया है.