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दिल्ली की नगरपालिका (एमसीडी) के गड़बड़ियों की पोल खुलने लगी है. गुरुवार को ही एक रिपोर्ट ने बताया कि साउथ दिल्ली में 66 फीसदी टॉवर गैर कानूनी ढंग से लगाएं गए हैं. उसपर साउथ दिल्ली की एमसीडी बस सर्वे की बात कह कर मामले से पल्ला झाड़ती दिखी. दिल्ली सरकार से और पैसे देने की मांग करने वाली एमसीडी के पास अपना टैक्स वसूलने का वक़्त नहीं है. नार्थ एमसीडी में करोड़ो में बकाया टैक्स सरकारी फाइलों में ही कहीं दबा पड़ा है.
अब नार्थ एमसीडी
साउथ एमसीडी की तरह नार्थ एमसीडी भी कुम्भकर्णी नींद में नजर आ रही है. मामला ये है कि नार्थ दिल्ली के कई सरकारी दफ्तरों ने कई सालों से ना तो संपत्ति कर और ना ही सेवा कर दिया है. इनमें रेलवे, डीडीए, डाकघर, बिजली कंपनियां, दिल्ली मिल्क स्कीम जैसे दिग्गज शामिल हैं.
बड़ा सवाल?
बड़ा सवाल ये है कि गरीब जनता के बिल न दे पाने पर हजारों नोटिस भेजनी वाली ये सरकारी संस्थाएं अपना की कर अभी तक क्यों नहीं दिया है? और अभी तक एमसीडी भी इनसे कर वसूलने में असफल क्यों रही है ?