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गुजरात बीजेपी में बढ़ी हलचल, बड़े स्तर पर फेरबदल के आसार

जब गुजरात में पाटीदारों का आंदोलन हिंसक हुआ तो हालात पर काबू पाने के लिए दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनता से शांति की अपील करनी पड़ी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात की सीएम आनंदी बेन पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात की सीएम आनंदी बेन पटेल
स्‍वपनल सोनल/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2016,
  • अपडेटेड 11:21 AM IST

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आनंदी बेन पटेल ने गुजरात की सत्ता संभाली. उनके शासनकाल पर पहली बार सवाल तब उठे जब हार्दिक पटेल ने 25 अगस्त 2015 को गुजरात सरकार के ख‍िलाफ रैली की. हार्दिक पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर अहमदाबाद में 5 लाख पटेलों के साथ एकजुट हुए तो गुजरात सरकार के होश उड़ गए. आंदोलन हिंसक हुआ और फिर केंद्र के दखल के बाद मामला शांत भी हुआ, लेकिन इस आंदोलन ने राज्य में एक नई राजनीतिक रेखा खींच दी.

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याद कीजिए तो जब गुजरात में पाटीदारों का आंदोलन हिंसक हुआ तो हालात पर काबू पाने के लिए दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनता से शांति की अपील करनी पड़ी. लेकिन पीएम मोदी की अपील के बाद भी हालात काबू में नहीं आए. इसके बाद हार्दिक पटेल की राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के बाद हालात को काबू में किया गया.

मौजूदा हालात का 2017 के चुनाव पर असर
पाटीदारों के आंदोलन के बाद पिछले साल स्थानीय निकाय के चुनाव में बीजेपी को शहरों में बढ़त मिली, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रो में कांग्रेस ने जिस तरह से नतीजे देखने को मिले उसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी केंद्रीय नेतृव चिंताए बढ़ना लाजमी था. दिल्ली और बिहार विधानसभा में मिली हार से बीजेपी अभी तक पूरी तरह से उभर भी नहीं पाई है. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी की चिंता इस बात को लेकर है कि जिस तरह की राजनीतिक स्थिति इस वक्त गुजरात में बनी हुई है, इसका असर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे में जरूर दिखाई देगा.

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ओम प्रकाश माथुर ने तैयार की रिपोर्ट
यही कारण है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात में अपने विश्वासपात्र और गुजरात के पूर्व प्रभारी ओम प्रकाश माथुर से गुजरात की राजनैतिक परिस्थितियों पर रिपोर्ट तैयार करवाई. ओम माथुर ने अपनी रिपोर्ट 25 अप्रैल को नरेंद्र मोदी और अमित शाह को सौंपी थी. पिछले हफ्ते अमित शाह ने गुजरात के सभी सांसदों और बीजेपी नेताओं की बैठक बुलाई और मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा की. इस वक्त गुजरात के प्रभारी दिनेश शर्मा, गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष विजय रूपानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी, जिसके बाद गुजरात में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है.

ओम प्रकाश माथुर ने अपनी रिपोर्ट में कहा-

1. हमें पाटीदारों का आंदोलन नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

2. राज्य सरकार और पार्टी में गुटबाजी को खत्म करना चाहिए.

3. राज्य सरकार में कई बड़े बदलाव करने होंगे.

4. सरकार और पार्टी के बीच में समन्वय की कमी को जल्दी से जल्दी दूर करना होगा.

5. सरकार के फैसलों में पार्टी की भागीदारी को बढ़ाना होगा.

6. केंद्रीय नेतृव को समय-समय पर पार्टी और सरकार के कामकाज की समीक्षा करनी चाहिए.

बताया जाता है कि ओम माथुर की इस रिपोर्ट के बाद ही पीएम मोदी और अमित शाह की सलाह के बाद राज्य सरकार ने सरकारी नौकरी में अगड़ी जातियों को आरक्षण का कानून पास किया. इसके तहत जिन परिवारों की सालाना आया छह लाख रुपये से कम है, उनके लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई.

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शाह और मोदी की गुजरात के नेताओं संग बैठक
यही नहीं, रिपोर्ट के बाद ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात में अपने दौरों की संख्या बढ़ा दी. पार्टी के नेताओं और मंत्रियों संग बैठक शुरू कर दी. एक हफ्ते में गुजरात को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और ओम प्रकाश माथुर की दो बार लंबी-लंबी मीटिंग हो चुकी है. शुक्रवार को भी ओम प्रकाश माथुर ने पीएम से गुजरात के विषय पर संसद में मुलाकात की.

गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने भी पीएम नरेंद्र मोदी और ओम माथुर से अलग-अलग बैठक की है. सूत्र बताते हैं कि गुजरात की राजनीतिक परिस्थियों पर रिपोर्ट को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी बड़ा फैसला भी ले सकते हैं. संभावना यह भी जाहिर की जा रही है कि मुख्यमंत्री पद से आनंदी बेन पटेल को हटाकर कमान किसी दूसरे नेता को सौंपी जा सकती है.

CM पद से हटाई जा सकती हैं आनंदी बेन पटेल
इस साल नवंबर महीने में आनंदी बेन पटेल 75 साल की हो जाएंगी. गुजरात में नवंबर 2017 में विधानसभा के चुनाव भी हैं. ऐसे में आनंदी बेन पटेल के नेतृव में चुनाव में उतरना फायदा कम और नुकसान ज्यादा करवा सकता है. चर्चा इस बात की भी है कि आनंदी बने पटेल को हरियाणा या पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया जा सकता है.

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अपनी छवि को लेकर मोदी संवेदनशील
पीएम मोदी भी जानते हैं कि गुजरात विधानसभा चुनाव में अगर गलती से हार हो गई तो उनकी लीडरशिप पर सवाल खड़े हो जाएंगे. लोकसभा चुनाव से पहले यह मोदी के लिए इतना बड़ा झटका होगा, जिससे उबर पाना उनके और पार्टी दोनों के लिए मुश्किल होगा. वैसे भी पीएम मोदी के लिए कहा जाता है कि वो अपनी इमेज को लेकर बहुत संवेदनशील रहते हैं.

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