
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वर्चुअल रैली के जरिए बिहार विधानसभा चुनाव अभियान का बिगुल फूंक दिया है. अमित शाह से लेकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा तक ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए चुनाव लड़ेगा, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन सकी है. लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले 50-50 पर विधानसभा सीटों का बीजेपी-जेडीयू में बंटवारा होगा या फिर 2010 के सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर लगेगी मुहर?
बिहार में महागठबंधन में जहां मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर घमासान है तो वहीं एनडीए में सीटों को लेकर मामले का निपटारा आसान नहीं दिखता. बिहार में एनडीए में जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी शामिल हैं. बीजेपी ने भले ही नीतीश की अगुवाई में चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन सीट शेयरिंग में जेडीयू से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सहमत नहीं होगी? वहीं, रामविलास पासवान की एलजेपी ने तो 43 सीटों पर दावा पहले से ही ठोक रखा है.
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2010 का सीट शेयरिंग फॉर्मूला
बिहार में नीतीश कुमार और बीजेपी की दोस्ती 1996 के लोकसभा चुनाव में पड़ गई थी. इसके बाद से ही नीतीश कुमार बिहार में बड़े भाई की भूमिका निभाते आ रहे हैं. 2010 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर आखिरी बार चुनाव लड़ा था. 2010 के फॉर्मूले के तहत बिहार की कुल 243 सीटों में से बीजेपी ने 102 सीटों पर और जेडीयू ने 141 सीटों पर चुनाव लड़ा था. हालांकि, 2013 में यह गठबंधन टूट गया था और 2017 में दोनों दल फिर एक साथ आए हैं. हालांकि, अब हालात बदल चुके हैं और बीजेपी 2010 के सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर सहमत हो, यह कहना मुश्किल है.
लोकसभा चुनाव का 50-50 फॉर्मूला
बीजेपी और जेडीयू की दूसरी बार दोस्ती की नींव पड़ने के बाद दोनों दलों ने मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा, जिनमें एलजेपी भी तीसरी सहयोगी के तौर पर शामिल है. बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 17-17 सीटों पर जेडीयू-बीजेपी ने चुनाव लड़ा था और 6 सीटों पर एलजेपी ने किस्मत आजमाया था. एनडीए ने 40 में 39 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा की तर्ज पर ही विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो सकता है.
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लोकसभा चुनाव में हुए सीट शेयरिंग फॉर्मूला विधानसभा में भी सीटों के बंटवारे का आधार बनता है तो बिहार की 243 सीटों में से बीजेपी-जेडीयू 105-105 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है और शेष 33 सीटें एलजेपी के खाते में जा सकती है. हालांकि, एलजेपी 43 सीटों पर दावा पहले से कर रही है.
सीटों में फेरबदल की संभावना
2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 71 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि बीजेपी को 53 सीटें मिली थी. बीजेपी-जेडीयू के बीच लोकसभा की तर्ज पर सीटों का बंटवारा हुआ तो 124 विधानसभा सीटों में से 52 सीटों के उम्मीदवारी में फेरबदल करना होगा, क्योंकि 24 विधानसभा ऐसी सीटें हैं जहां बीजेपी पहले और जेडीयू दूसरे नंबर पर रही थी. ऐसे ही 28 सीटें ऐसी हैं, जहां जेडीयू पहले नंबर पर थी और वहां बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी. ऐसे में तय है कि ऐसी कुछ सीटों पर उम्मीदवारों की बदल हो सकती है