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बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. जेडीयू से बर्खास्त किए गए मंत्री श्याम रजक ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है. बिहार की राजनीति में श्याम रजक दलित चेहरा माने जाते हैं और एक बार फिर घर वापसी कर ली है. श्याम रजक ने आरजेडी का दामन फिर से थाम लिया है.
श्याम रजक की गिनती कभी लालू यादव के सबसे करीबी नेताओं में होती थी. उन्हें लालू का खास कहा जाता था और उनके साथ रामकृपाल यादव की जोड़ी लालू के राम-श्याम के रूप में प्रचलित थी. वक्त और सियासत के चलते श्याम रजक आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का साथ छोड़कर नीतीश कुमार के करीब आ गए थे. श्याम रजक 2009 में जेडीयू में शामिल हुए थे.
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श्याम रजक 2010 में जेडीयू के कोटे से विधायक चुने गए और नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. इसके बाद 2015 में महागठबंधन से विधायक तो बने लेकिन मंत्री पद नहीं मिला. हालांकि, महागठबंधन का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने श्याम रजक को अपनी कैबिनेट में जगह दी थी.
यह है राजनीतिक सफर
22 जुलाई 1954 को जन्मे श्याम रजक का लंबा राजनीतिक सफर है. छात्र राजनीति से श्याम रजक ने अपना सियासी सफर शुरू किया था और 1974 में हुए जेपी आंदोलन में भी श्याम रजक ने भाग लिया था. आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाते हुए वो जेल भी गए थे. 2015 के चुनाव में छठी बार विधायक बने थे और नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी निभायी.
आरजेडी के टिकट पर बने थे पहली बार विधायक
हालांकि, श्याम रजक पहली बार आरजेडी के टिकट पर 1995 में विधायक बने थे. इसके बाद उन्होंने कभी सियासत में पलटकर नहीं देखा और आगे बढ़ते गए. 1995 के बाद 2000, फरवरी 2005 और नवंबर 2005 में आरजेडी से विधायक बने. इस दौरान लालू यादव से लेकर राबड़ी देवी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे, लेकिन 2010 के चुनाव से एक साल पहले उन्होंने जेडीयू का दामन थाम लिया. 2010 और 2015 के चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी के तौर पर विधायक बने.
सामाजिक कार्यों में भी शामिल
श्याम रजक अखिल भारतीय धोबी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और बिहार विधानसभा में फुलवारी शरीफ सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. सामाजिक कार्यों में श्याम रजक की काफी रुचि है. साउथ अफ्रिकन इंटरनेशन ट्रेड एक्जीबिशन में भाग लेने हेतु दक्षिण अफ्रीका का भ्रमण करने वाले श्याम रजक ने पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के नेतृत्व में कन्याकुमारी से दिल्ली तक पदयात्रा की थी.
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इसी तरह, श्याम रजक ने पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ अमृतसर से दिल्ली तक पदयात्रा की थी. वहीं, ओडिशा के कालाहांडी में भूख से मरने के कारण वहां भी पदयात्रा कर इन्होंने सहायता कार्य में मुख्य भूमिका निभाई. जमीन से जुड़े हुए नेता माने जाते हैं और बिहार में दलित राजनीति का प्रमुख चेहरा हैं.
अलका से किया है प्रेम विवाह
पटना के सब्जीबाग में जन्म लेने वाले श्याम रजक ने कॉमर्स से स्नातक किया है. उनकी शादी भी काफी चर्चा में रही है. उन्होंने अलका से प्रेम विवाह किया है. श्याम रजक को मुंबई की एक लड़की अलका से प्यार हो गया था. पेशे से पत्रकार रहीं अलका और श्याम का प्यार बाद में शादी में बदल गया. लेकिन प्यार से शादी तक के सफर में सात साल लग गए थे.
दरअसल, दोनों की शादी की राहें आसान नहीं थीं. इनके बीच जाति का बंधन आड़े आ रहा था. समाज के डर से परिवार वाले दोनों की शादी के खिलाफ थे. ऐसे में दोनों ने अपने-अपने परिवार वालों को मनाया, तब जाकर शादी पर बात बनी और श्याम रजक की अलका से शादी हो सकी थी.