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बिहार में शराब पर पाबंदी लगने के एक ही दिन बाद इस बैन का असर नजर आने लगा है. मंगलवार और बुधवार को बिहार के डॉक्टरों के पास इस बैन को न झेल पाने वाले शराबी मरीज आए. इनमें से कोई अपने परिवार के लोगों को ही पहचान नहीं पा रहा तो कोई नशे के लिए साबुन खा रहा था.
इस बैन के एक ही दिन बाद राज्य के 38 नए नशामुक्ति केंद्रों में इस तरह के करीब 750 मरीज आए. नशा मुक्ति केंद्र में एक 30 साल के व्यक्ति को भर्ती कराया गया. वह 31 मार्च तक रोज 600- 1200 मिली. देसी शराब पीता रहा है. उसके परिवार वालों का कहना है कि वह उन्हें पहचान नहीं पा रहा है. बताया जा रहा है कि जब उसे अस्पताल लाया गया था तब वह ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था.
टीवी चैनलों पर बुधवार को बेतिया की एक अजीब घटना सामने आई. यहां के गैसुद्दीन पिछले 20 सालों से देसी शराब पी रहे थे. एक अप्रैल से शराब पर बैन लगने से उन्हें शराब नहीं मिली तो वे पागलों जैसा बर्ताव करने लगे. नशे के लिए उन्होंने घर में रखे साबुन तक खा लिए.