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बिहार में इन 6 सीटों पर उपचुनाव, 2020 का माना जा रहा सेमीफाइनल

बिहार की पांच विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को 2020 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइल माना जा रहा है. एनडीए में भले ही कुछ दिन पहले तक बीजेपी-जेडीयू के बीच जुबानी जंग तेज रही, लेकिन उपचुनाव में दोनों ही एकजुट होकर जीत दर्ज करने में जुटे हैं.

उपचुनाव में जेडीयू और आरजेडी के बीच सीधी टक्कर उपचुनाव में जेडीयू और आरजेडी के बीच सीधी टक्कर
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST

  • एक लोकसभा और 5 विधानसभा सीट पर उपचुनाव
  • उपचुनाव को 2020 का सेमीफाइल माना जा रहा है

बिहार की पांच विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को 2020 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइल माना जा रहा है. एनडीए में भले ही कुछ दिनों पहले बीजेपी-जेडीयू के बीच जमकर वर्चस्व के लिए जुबानी जंग तेज रही, लेकिन उपचुनाव में दोनों ही एकजुट होकर जीत का परचम फहराने में जुटे हैं. जबकि महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस उपचुनाव में जीत के जरिए बिहार में अपना सियासी माहौल बनाना चाहती हैं.

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बता दें कि बिहार की समस्तीपुर लोकसभा सीट के  साथ ही नाथनगर, सिमरी बख्तियारपुर, दरौंदा, बेलहर और किशनगंज विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी और 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे. उपचुनाव में एनडीए की ओर से जेडीयू ने चार और बीजेपी एक किशनगंज विधान सभा सीट पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं. वहीं, एनडीए की सहयोगी एलजेपी समस्तीपुर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रही है. जबकि महागठबंधन में आरजेडी चार विधानसभा सीटों पर तो कांग्रेस ने एक विधानसभा सीट के साथ एक लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा है.

समस्तीपुर लोकसभा सीट

लोक जनशक्ति पार्टी से सांसद रामचंद्र पासवान  के निधन के चलते समस्तीपुर लोकसभा सीट रिक्त हुई है. एनडीए के तहत यह सीट एलजेपी के खाते में आई है और पार्टी ने रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज को उतारा है तो महागठबंधन की ओर से पुराने प्रत्याशी कांग्रेस के डॉ. अशोक कुमार एक बार फिर ताल ठोंक रहे हैं. इस सीट पर कुल आठ प्रत्याशी मैदान में हैं.

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समस्तीपुर एलजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती है. रामविलास पासवान 1991 में यहां से सासंद रहे और बाद में उन्होंने यह सीट अपने भाई रामचंद्र पासवान को सौंप दी, जो 2004, 2014 और 2019 में एलजीपी से जीतकर संसद पहुंचे, लेकिन उनका निधन हो गया है और पार्टी उनके बेटे के जरिए सीट पर अपने वर्चस्व को बरकरार रखना चाहती है.

दरौंदा विधानसभा सीट

दरौंदा विधानसभा सीट से जेडीयू विधायक कविता सिंह 2019 में सांसद चुने जाने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया . ऐसे में दरौंदा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जेडीयू ने कविता सिंह के पति अजय सिंह को उतारा है. जबकि महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने उमेश सिंह पर दांव लगाया है. बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष रणजीत सिंह ने निर्दलीय ताल ठोकर जेडीयू की परेशानी को बढ़ा दिया है. रणजीत को जिस तरह बीजेपी नेताओं का खुलकर समर्थन मिल रहा है, इससे आरजेडी को अपनी जीत की उम्मीद नजर आ रही है.

किशनगंज सीट

किशनगंज से सांसद चुने गए डॉ. जावेद ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया.  किशनगंज सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस ने डॉ. जावेद की मां सईदा बानो को उम्मीदवार बनाया है. जबकि एनडीए की ओर से बीजेपी ने स्वीटी सिंह पर तीसरी बार भरोसा जताया है. वहीं AIMIM ने कमरुल हुदा को चुनावी दंगल में उतारकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है.

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बेलहर सीट

बेलहर विधानसभा सीट पर जेडीयू के लालधारी यादव चुनावी मैदान में उतरे हैं. जबकि आरजेडी की ओर से  पूर्व विधायक रामदेव यादव ताल ठोक रहे हैं. इस तरह से बांका की बेलहर सीट पर यादव बनाम यादव की सियासी जंग हो गई है. जेडीयू प्रत्याशी लालधारी यादव सांसद गिरधारी यादव के भाई हैं. बता दें कि गिरधारी यादव के सांसद बनने के बाद बेलहर सीट रिक्त हुई है.  

सिमरी बख्तियारपुर

सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट से जेडीयू ने पूर्व विधायक अरुण यादव को उतारा है. जबकि आरजेडी ने जफर आलम को उतारा है. इस तरह से जेडीयू और आरजेडी की सीधी लड़ाई है.  दिनेश चंद्र यादव के सांसद बनने से इस सीट पर विधानसभा का उप चुनाव हो रहा है.

नाथनगर सीट

नाथनगर विधानसभा सीट पर जेडीयू से लक्ष्मीकांत मंडल मैदान में हैं, जिनके खिलाफ आरजेडी ने राबिया खातुन को उतारा है. वहीं, महागठबंधन से नाराज जीतनराम मांझी ने अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मार्चा से अजय राय पर दांव खेलकर आरजेडी की मुसीबत बढ़ा दी है.

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