
बिहार का 'सियासी ड्रामा' धीरे-धीरे क्लाइमेक्स की ओर पहुंचता नजर आ रहा है. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को कहा है. मांझी को 20 फरवरी को सदन में बहुमत साबित करना होगा. अलग पार्टी बना सकते हैं जीतनराम मांझी
दरअसल, 20 फरवरी से ही प्रदेश में विधानमंडल का बजट सत्र शुरू हो रहा है. राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने सीएम को बजट सत्र शुरू होने के दिन ही बहुमत साबित करने को कहा है. उस दिन राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद इस बारे में प्रस्ताव लाया जाएगा.
पूर्व सीएम नीतीश कुमार के समर्थक पहले से ही आशंका जता रहे थे कि अगर यह मामला कुछ दिनों के लिए टल जाता है, तो जीतनराम मांझी को बहुमत का 'जुगाड़' करने का वक्त मिल जाएगा.
नीतीश ने 130 MLA के साथ राष्ट्रपति से की मुलाकात
बिहार में बने राजनीतिक गतिरोध के बीच जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने बुधवार शाम को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उन्हें 130 विधायकों के समर्थन से अवगत कराया. नीतीश ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वे राज्यपाल को तत्काल कोई निर्णय लेने की सलाह दें. साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि इस मामले में किसी तरह की देर से राज्य में माहौल बिगड़ेगा और ‘खरीद-फरोख्त’ को बढ़ावा मिलेगा.
नीतीश कुमार विधानसभा में अपने बहुमत की बात साबित करने के लिए साथ में 130 विधायकों को राष्ट्रपति भवन लेकर गए. नीतीश के साथ जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भी थे.
'प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का गेमप्लान'
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद नीतीश ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने का 'गेमप्लान' है. यह पूछे जाने पर कि राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया क्या थी, नीतीश ने कहा, ‘राष्ट्रपति ने सभी मुद्दों को सुना और अंत में कहा कि वह इस मामले पर गौर करेंगे.'
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एक तरफ स्पष्ट बहुमत है. उन्होंने कहा, 'पटना में हमने 130 विधायकों का परेड कराया है और आज यहां भी वे मेरे साथ खड़े हैं. कोई यह देख सकता है कि बहुमत किधर है. इसके बावजूद सरकार बनाने का रास्ता साफ नहीं करना अन्याय है और लोकतंत्र से खिलवाड़ है.'
नीतीश अपने समर्थक विधायकों के साथ मंगलवार रात को दिल्ली पहुंचे थे. उन्हें बीते दिनों जेडीयू विधायक दल ने मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के स्थान पर अपना नया नेता चुना था. उन्होंने नौ फरवरी को बिहार के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया था.
नीतीश के सुर में सुर मिलाते हुए लालू प्रसाद ने भी कहा कि राज्यपाल तुरंत फैसला लें और मांझी से बहुमत साबित करने को कहें. उन्होंने आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने का ‘षड्यंत्र’ कर रही है. उन्होंने कहा, ‘बिहार संवेदनशील राज्य है. यदि राष्ट्रपति शासन लगता है, तो हम नहीं जानते कि बिहार में क्या होगा.’
हाईकोर्ट के फैसले से आया ट्विस्ट
बिहार में मचे सियासी घमासान ने बुधवार को नया मोड़ ले लिया. पटना हाईकोर्ट ने राज्यपाल का फैसला होने तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देकर नीतीश कुमार को जेडीयू के विधायक दल का नेता चुने जाने पर अस्थायी रोक लगा दी है. अदालत ने नीतीश कुमार को नेता चुने जाने के खिलाफ दायर याचिका पर यह आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. इस बीच अपने पत्ते खोलते हुए बीजेपी ने कहा कि असली जेडीयू जीतनराम मांझी चला रहे हैं.
मांझी बना सकते हैं नई पार्टी
इस बीच, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि जीतनराम मांझी अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं. दरअसल, जेडीयू ने जीतनराम मांझी को पार्टी से निकाल दिया है. मांझी की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ने की बात कही जा रही थी, लेकिन बीजेपी ने सदन के भीतर मांझी का समर्थन करने या न करने को लेकर अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसी स्थिति में ज्यादा संभावना इस बात की है कि वे किसी और पार्टी में जाने की बजाए अपनी पार्टी बनाएंगे.
जीतनराम मांझी को जेडीयू के कुछ विधायकों के साथ-साथ लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी के भी एक धड़े का समर्थन हासिल है. अगर ये सभी एकजुट होते हैं, तो नई पार्टी आकार ले सकती है.