
बिहार में 1 अप्रैल से देशी शराब पर बैन से पहले राज्य सरकार ने शराब मुक्ति की जागरुकता फैलाने के लिए नया तरीका निकाला है. राज्य के शिक्षा विभाग ने प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों में पढ़ने वाले 73 हजार छात्र-छात्राओं के पिता से शपथ पत्र लेने का फैसला लिया है जिसमें वह शराब न पीने का वादा करेंगे.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि 'जब कोई पिता अपनी बेटी या बेटे से शराब छोड़ने का वादा करेगा तो जाहिर तौर ही इसके नतीजे अच्छे होंगे. राज्य में शराब बंदी लागू करने के लिए यह एक प्रभावशाली कदम हो सकता है.' सीएम नीतीश ने यह भी कहा कि बिहार अन्य राज्यों के शराब बंदी के मॉडल को नहीं अपनाएगा क्योंकि उनमें से बहुत कम ही सफल हो सके हैं.
'मध्य प्रदेश बन गया है मद्य प्रदेश'
गुजरात के शराब बैन को बिहार में लागू किए जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि 'हर कोई जानता है कि वहां घर तक डिलीवरी का सिस्टम है. गुजरात में व्यापारी शराब पर लगे बैन को हटाने की मुखालफत इसलिए करते हैं क्योंकि उनको घर पर शराब पहुंचाना ज्यादा सही लगता है. वहीं मध्य प्रदेश में शराब की बिक्री इतनी ज्यादा होती है कि लोग उसे मद्य प्रदेश कहने लगे हैं.'
शराब बंदी से होगा महिला सशक्तिकरण
नीतीश कुमार ने कहा कि 'शराब बंदी लागू करना उनकी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. हम पहले ही दिन से सफलता की आशा नहीं करते, इस राह में कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.' उन्होंने ये भी कहा कि शराब पर पाबंदी लगाना महिला सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा.