
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाल विवाह और दहेज विरोधी अभियान को एक बड़ा झटका लगा है. साल 2013 जो लड़की बाल विवाह के खिलाफ यूएनओं में जाकर देश की आवाज और बिहार की आइकन बनी थी, उस पर ही बालिका वधु बनने का आऱोप लग रहा है. उस लड़की को बाल विवाह के खिलाफ मुहिम का आइकन बनाने वाली संस्था नारी गुंजन संस्थान ने उसपर यह आरोप लगाया है. नारी गुंजन संस्थान का आरोप है कि पूनम अभी बालिग नही हैं. पूनम ने इस आरोप को निराधार बताते हुए कहा कि वो बालिका वधु नहीं बनी है और उसकी शादी जबरदस्ती से नहीं, बल्कि अपनी मर्जी से हुई है.
पूनम नाम की इस लड़की 11 राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ अमेरिका जाकर बाल विवाह के खिलाफ यूएनओ में भाषण दिया था. उसके साथ बिहार से नाज्या नाम की लड़की भी शामिल थी. पूनम दानापुर स्थित नारी गुंजन संस्थान की तरफ से बाल विवाह, दहेज प्रथा और भ्रूण हत्या जैसे गंभीर मुद्दों पर पटना के अलावा दिल्ली में भी नुक्कड़ नाटक और संगीत के माध्यम से अपनी और मुसहर समुदाय के लोगों की आवाज बुलंद करती थी. उसने संस्थान के तहत चलने वाले प्रेरणा छात्रावास में रहकर आठवीं कक्षा पास की थी. नारी गुंजन संस्थान की सुधा वर्गीज के मुताबकि पूनम की उम्र स्कूल सर्टिफिकेट के मुताबिक 2 फरवरी 2000 है ऐसे में वो अभी बालिग नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पूनम के शादी करने से इस अभियान को झटका लगा है.
मां का संस्था पर आरोप
पूनम की मां जश्या ने बताया की काफी दिनों से उसकी तबीयत ठीक नहीं है. किसी तरह से मजदूरी कर वो अपने छह बच्चों (चार बेटी और दो बेटों) का भरण-पोषण करती है. दो माह पूर्व अचानक उसे नारी गुंजन संस्थान के तहत चलने वाले प्रेरणा छात्रावास चलाने वाली दीदी सुधा वर्गीज़ ने बुलाकर कहा था कि पूनम को अपने घर ले जाओ. उन्हें कारण पूछने पर कुछ नहीं बताया गया. जबकि पूनम 8वीं पास कर और पढ़ना चाहती थी. मां का आरोप है कि जब इस बाबत सुधा दीदी से आरजू मिन्नत की गई, उसके बावजूद उन्होंने मना कर दिया. इधर सुधा वर्गीज का कहना है कि पूनम को निकालने से पहले हमने उसके मां बाप को सारी सच्चाई बतायी थी. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से पूनम एक लड़के के संपर्क में आ गयी थी. उससे छात्रावास की अन्य लड़कियों पर गलत प्रभाव पड़ रहा था. उन्होंने कहा कि पूनम पढाई में अच्छी थी पर कुछ दिनों से पूनम का बिहेवियर छात्रावास के माहौल को ख़राब कर रहा था.
पूनम का कहना है कि उसका पति शंकर मांझी दोनों ही बालिग हैं. उसकी उम्र 18 से ज्यादा है, जबकि पति 22 साल कहा है. उसने कहा कि नारी गुंजन संस्थान में पढ़ने के दरम्यान जो उसकी जन्मतिथि दर्ज की गई, वो गलत है. कोरहर मूसहरी के सभी लोग भी दोनों को बालिग बता रहे हैं. इससे मामला पेचीदा बन गया है. पिता भरोसा मांझी तो अपनी बेटी पूनम का जन्म वर्ष 1994 बता रहा था. इससे प्रशासनिक टीम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी. गौरतलब है कि दानापुर एसडीओ ने भी इस मामले की जांच की है पर वो किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं. फिलहाल मामले में जांच जारी है. बहरहाल नीतीश सरकार के 2 अक्टूबर से बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के बाद ये बाल विवाह का मामला अपने आप में एक बड़ा सवाल है.