
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आंखों का तारा रहे प्रशांत किशोर को जेडीयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. दो साल पहले प्रशांत किशोर ने जेडीयू से अपना सियासी आगाज किया था तो नीतीश कुमार ने उन्हें सीधे पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया था. नीतीश से दोस्ती टूटने के बाद प्रशांत किशोर के नए सियासी ठिकाने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं कि वो अब किस पार्टी का दामन थामेंगे?
दिल्ली चुनाव के बाद लेंगे नया फैसला
प्रशांत किशोर फिलहाल दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए हैं. दिल्ली में केजरीवाल को जिताने के लिए पीके हर रोज नए-नए कैंपेन और नारे गढ़ने में लगे हुए हैं. नीतीश से रिश्ते खत्म होने के बाद यह चुनाव प्रशांत किशोर के लिए काफी महत्वपूर्ण बन गया है.
सूत्रों की मानें तो प्रशांत किशोर दिल्ली चुनाव के 11 फरवरी तक किसी तरह का कोई सियासी फैसला नहीं लेंगे, क्योंकि दिल्ली का चुनाव अमित शाह बनाम केजरीवाल ही नहीं बल्कि शाह बनाम पीके भी माना जा रहा है, क्योंकि इन दोनों नेताओं के बीच टसल काफी पुरानी है. ऐसे में दिल्ली चुनाव नतीजों को देखने के बाद ही पीके सियासी फैसला लेंगे.
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जेडीयू से बाहर होने के बाद यह तय है प्रशांत किशोर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के किसी भी सहयोगी दल के साथ नहीं जाएंगे. इससे अलावा सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रशांत किशोर मोर्चा खोले हुए हैं और उन्होंने अपनी अलग सियासी लाइन खींच ली है. इससे साफ जाहिर है कि पीके अब बीजेपी के किसी भी सहयोगी दल के साथ राजनीतिक तौर पर शामिल नहीं होंगे.
पीके बिहार में रहेंगे सक्रिय
सूत्रों ने बताया कि नीतीश कुमार के फैसले से प्रशांत किशोर के दिल पर काफी गहरा धक्का लगा है. ऐसे में वो दिल्ली के चुनाव के बाद बिहार में सक्रिय होंगे और नीतीश कुमार से हिसाब बराबर करने के लिए उनके खिलाफ खुला मोर्चा खोल सकते हैं, क्योंकि इसी साल आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में प्रशांत किशोर कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन के लिए अहम भूमिका अदा कर सकते हैं.
पीके क्या नीतीश के लिए बनेंगे खतरा
दरअसल प्रशांत किशोर 2015 से नीतीश कुमार के साथ रहकर उनकी खामियों और अच्छाइयों से पूरी तरह वाकिफ हैं. ऐसे में पीके के कांग्रेस के साथ बिहार में जुड़ने की चर्चाएं भी चल रही हैं. पीके ने राजनीति में एंट्री के बाद ही कह दिया था कि अब वो बिहार में ही रहेंगे, यहां से बाहर नहीं जाएंगे. ऐसे में अगर पीके बिहार में कांग्रेस या फिर विपक्षी खेमे में किसी भी दल से जुड़ते हैं तो जेडीयू की राह में काफी बड़ा रोड़ा बन सकते हैं.
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क्या टीएमसी का थामेंगे दामन
प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की ब्रांडिंग का काम कर रही है. टीएमसी के लिए चुनावी रणनीतिकार की भूमिका निभा रहे प्रशांत किशोर का ममता बनर्जी से बेहतर संबंध है. ऐसे में उनके टीएमसी ज्वाइन करने की चर्चाएं चल रही हैं. लेकिन टीएमसी के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि चुनावी रणनीतिकार के तौर पर प्रशांत किशोर ने पार्टी के लिए बहुत अच्छा काम किया है. अब वह टीएमसी से जुड़ेंगे या नहीं, इस बारे में पीके और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व फैसला करेगा.
2014 के बाद पीके चर्चा में आए थे
बता दें कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 2014 के आम चुनाव में पहली बार चर्चा में आए. पीके की कंपनी आईपैक बीजेपी के चुनाव प्रचार को 'मोदी लहर' में तब्दील कर दिया था. इसके बाद 2015 में बिहार में महागठबंधन की जीत का श्रेय भी पीके को मिला. ऐसे ही आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और पंजाब में कांग्रेस की जीत में पीके की प्रचार टीम का अहम रोल था. फिलहाल पीके की कंपनी बंगाल में टीएमसी, दिल्ली में आम आदमी पार्टी, महाराष्ट्र में शिवसेना और तमिलनाडु में कमल हासन के साथ काम कर रही है.