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स्कूलों में बिना किताब परीक्षा दे रहे हैं 2 करोड़ छात्र, SC ने लिया संज्ञान

स्कूली बच्चों को किताब उपलब्ध कराने का जिम्मा बिहार शिक्षा परियोजना का है लेकिन शिक्षा परियोजना का कहना है कि उसे हिन्दुस्तान पेपर कॉपोरेशन द्वारा कागज उपलब्ध नहीं कराया गया. तब याचिकार्ता ने एचपीसीएल और साथ में केंद्र सरकार का उपक्रम होने के कारण सरकार को पक्षकार बनाने के लिए याचिका दायर की थी.

फाइल फोटो फाइल फोटो
सुजीत झा
  • पटना,
  • 31 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 7:11 AM IST

बिहार के दो करोड़ स्कूली बच्चे पढ़ाई का सत्र शुरू होने के छह महीने बाद भी अपने पाठ्यक्रम से वंचित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस लापरवाही पर संज्ञान लेते हुए बिहार सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार और हिन्दुस्तान पेपर कॉपरेशन लिमिटेड को भी पक्षकार बनाया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने संज्ञान लेते हुए पटना हाईकोर्ट को केंद्र सरकार और एचपीसीएल को पक्षकार बनाने का निर्देश जारी किया है.

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याचिकार्ता ने इस साल मई से ही स्कूली बच्चों किताब न मिलने को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. लेकिन पटना हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और हिन्दुस्तान पेपर कॉपोरेशन लिमिडेट को पक्षकार बनाने से मना कर दिया था इसके लिए याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता आनंद कौशल सिंह को पटना हाईकोर्ट में फिर से दोनों को पक्षकार बनाने के लिए आवेदन देने का निर्देश दिया.

दरअसल बिहार के 73 हजार स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 2 करोड़ बच्चे बिना किताब के पढ़ाई कर रहें है. इस बीच उनकी अर्धवार्षिक परीक्षा भी ली गई. स्कूली बच्चों को किताब उपलब्ध कराने का जिम्मा बिहार शिक्षा परियोजना का है लेकिन शिक्षा परियोजना का कहना है कि उसे हिन्दुस्तान पेपर कॉपोरेशन द्वारा कागज उपलब्ध नहीं कराया गया. तब याचिकार्ता ने एचपीसीएल और साथ में केंद्र सरकार का उपक्रम होने के कारण सरकार को पक्षकार बनाने के लिए याचिका दायर की थी.

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याचिकाकर्ता आनंद कौशल सिंह ने बताया कि बिहार सरकार की लापरवाही से बिना किताब पढ़े ही बच्चों को अर्धवार्षिक परीक्षा देने पड़ी हैं. जब तक सरकार बच्चों को किताब जैसी मूलभूत सुविधा देने की व्यवस्था नहीं करेगी तब तक संघर्ष जारी रहेगा.

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