
15वें वित्त आयोग की टीम 10, 11 और 12 जुलाई को बिहार का दौरा करेगी और सभी राजनीतिक दलों, पंचायती राज संस्थानों, नगर निकायों तथा व्यापार, वाणिज्य व उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगी.
इस दौरान 12 जुलाई को बिहार सरकार द्वारा आयोग के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया जायेगा तथा ज्ञापन भी सौंपा जायेगा. आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह के नेतृत्व में आ रही इस टीम में आयोग के सदस्य शशिकांत दास, डॉ अनूप सिंह, डॉ अशोक लाहिड़ी एवं डॉ रमेश चन्द तथा अन्य पदाधिकारीगण शामिल होंगे.
वित्त आयोग की टीम के प्रस्तावित दौरे एवं उन्हें सौंपे जाने वाले ज्ञापन को लेकर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को संबंधित पदाधिकारियों के साथ बैठक कर विस्तृत विचार-विमर्श किया .
उन्होंने वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर राज्यों को डिवॉलूशन की राशि का आवंटन करने के केन्द्र सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे बिहार को लाभ मिलेगा. इससे पूर्व राज्यों को वर्ष 1971 की जनगणना के आधार पर संसाधनों का वितरण किया जाता था.
सुशील मोदी ने कहा कि राज्य सरकार 11वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप ही बिहार को राशि आवंटित करने की मांग करेगी. मालूम हो कि 11वें वित्त आयोग द्वारा बिहार को 12.589 प्रतिशत राशि देने की अनुशंसा की गई थी, जिसे 14वें वित्त आयोग द्वारा घटाकर 9.6 प्रतिशत कर दिया गया था.
14वें वित्त आयोग द्वारा राज्य आपदा प्रबंधन में बिहार को मात्र 2591 करोड़ रू. देने की अनुशंसा की गई, जबकि महाराष्ट्र को 8195 करोड़ रू. एवं राजस्थान को 6094 करोड़ रू. देने की सिफारिश की गई.
बिहार को प्रतिवर्ष बाढ़ एवं सूखा का सामना करना पड़ता है. वर्ष 2017 में आई बाढ़ से निपटने हेतु 5000 करोड़ रू. खर्च करने पड़े. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सम्पूर्ण राशि केंद्र सरकार द्वारा वहन करने की मांग करेगी.
मोदी ने कहा कि राज्य सरकार बिहार में कृषि रोड मैप एवं सात निश्चय के तहत विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन पुरातात्विक स्थलों के विकास जलवायु परिवर्तन आदि विषयों के लिए भी राज्य केंद्रित विशेष अनुदान की मांग करेगी.