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बिहार: शौचालय के नाम पर हुआ 13 करोड़ का घोटाला

पूरे देश में शौचालय बनवाने की होड़ है. सरकारी एजेंसियां और गैरसरकारी एजेंसियां जी-जान से लगी हैं. बिहार के कई जिलों से खबर यह भी आई कि सरकारी बाबू शौचालय बनवाने के लिए लोगों को मजबूर तक कर रहे हैं. तभी बिहर के पड़ोस झारखंड से खबर निकली कि वहां कुछ बाबुओं ने खुले में शौच करने वालों के लुंगी खोलने की योजना बनाई.

फाइल फोटो फाइल फोटो
रोहित कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:57 AM IST

पूरे देश में शौचालय बनवाने की होड़ है. सरकारी एजेंसियां और गैरसरकारी एजेंसियां जी-जान से लगी हैं. बिहार के कई जिलों से खबर यह भी आई कि सरकारी बाबू शौचालय बनवाने के लिए लोगों को मजबूर तक कर रहे हैं. तभी बिहर के पड़ोस झारखंड से खबर निकली कि वहां कुछ बाबुओं ने खुले में शौच करने वालों के लुंगी खोलने की योजना बनाई.

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लेकिन फिलहाल जो खबर बिहार के आ रही है उसे पढ़ने के बाद आपके होश जरूर उड़ जाएंगे. बिहर में तमाम घोटालों के बाद अब शैचालय घोटाला भी हो गया है. यह बात पटना के जिलाधिकारी की जांच में सामने आई है. जांच में समाने आया है कि एक एनजीओ के अकाउंट में शौचालय बनवाने के नामपर करीब 13 करोड़ की रम दे दी गई.

क्या है पूरा मामला?

बिहार सरकार ने साल 2013 में तय किया था कि शौचालय निर्माण का पैसा किसी एजेंसी के माध्यम से  लाभुकों को नहीं दिया जायेगा. इसके बावजूद पीएचईडी के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा और एकाउंटेंट बिटेश्वर प्रसाद सिंह ने वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में पटना जिले के विभिन्न प्रखंडों में बनने वाले 10 हजार से अधिक शौचालयों का पैसा (13.66 करोड़) मई, 2016 में सीधे एजेंसी को दे दिया.

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उस वक्त आनन-फानन में तीन एजेंसियों सहित कई लोगों के विभिन्न खातों में 200 से अधिक चेक काट कर डाल दिया गया. यह गबन उस वक्त किया गया, जब पीएचईडी से शौचालय निर्माण का खाता डीआरडीए में ट्रांसफर होने वाला था.

कैसे हुआ खुलासा?

पटना के डीएम संजय कुमार अग्रवाल की जांच में यह बात सामने आई है. मामले के दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी गई है और अभी भी जांच जारी है. जानकारी  के मुताबिक अभी शौचालय निर्माण एजेंसी से जुड़े खातों को खंगाला जा रहा  है.

इससे जुड़े और इसके माध्यम से कितने पैसे किसको ट्रांसफर किये गये,  इसकी लगातार जांच हो रही है. जिस एजेंसी व एनजीओ को शौचालय निर्माण के लिए  पैसे का भुगतान किया गया है, इसका कहीं कोई प्रूफ नहीं मिला है. इसके  अलावा पीएचईडी में भी इन एजेंसियों से  संबंधित कोई कागजात भी नहीं है.  बताया गया कि पैसों की रिकवरी के लिए आरोपितों के मकान, जमीन व अन्य  संपत्ति जब्त की जायेगी.

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