
बिहार में कथित टॉपर घोटाला को लेकर फिर सियासत चल निकली है. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि बिहार में पिछले 10 साल से छात्र नकल के सहारे पास हो रहे थे और अब कड़ाई के नतीजे सामने आ रहे हैं. शिक्षा मंत्रालय की कमान संभाल रहे कांग्रेस नेता अशोक चौधरी भी उनके सुर में सुर मिला रहे हैं. यानी महागठबंधन की दोनों पार्टियों के निशाने पर परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ट्रैक रिकॉर्ड ही है.
अपनों के ही निशाने पर नीतीश?
नीतीश कुमार साल 2005 से बिहार के मुख्यमंत्री हैं. जीतनराम मांझी का 9 महीने का कार्यकाल छोड़ दिया जाए तो पिछले 12 साल से राज्य की बागडोर नीतीश के ही हाथ में है. 2013 में बीजेपी से नाता टूटने के बाद लालू प्रसाद ने उन्हें बाहर से समर्थन दिया था. यानी पिछले 4 सालों से लालू भी सरकार से जुड़े रहे हैं. लिहाजा लालू जब बिहार में पिछले एक दशक की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं तो वो नीतीश के ही कार्यकाल को कठघरे में खड़ा करते हैं. ये दीगर बात है कि महागठबंधन के डेढ़ साल के अरसे में लगातार दूसरी साल नतीजों में घालमेल सामने आया है.
कितने काम आए सरकार के उठाए कदम?
2016 में बोर्ड घोटाले के बाद 32 से ज्यादा आरोपियों को जेल भेजा गया था. इनमें कई उच्चाधिकारी भी शामिल थे. इसके अलावा पूरे बोर्ड के ढांचे में सुधार लाया गया. इस काम के लिए करोड़ों रुपये खर्च हुए. नीतीश सरकार ने आईएएस आनंद किशोर को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया. पूरे बोर्ड ऑफिस में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए. बोर्ड के सैकड़ों कर्मचारियों का तबादला किया गया और शिक्षा माफिया के कई सरगना सलाखों के पीछे गए. इतना ही नहीं, सैकड़ों स्कूलों और कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई. लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला.
क्या बच निकलीं कई बड़ी मछलियां?
जानकार सवाल पूछ रहे हैं कि बोर्ड में बड़े बदलावों के बाद भी वो स्कूल कैसे बचे रह गए जहां से इस साल के घोटाले के आरोपियों ने परीक्षा पास की है. नकल रोकने के तमाम उपायों के बीच सरकार उत्तर की कॉपियों को जांचने के वक्त होने वाले घालमेल को क्यों नहीं रोक पाई? जाहिर है महागठबंधन की घटक पार्टियां सारा ठीकरा नीतीश कुमार पर नहीं फोड़ सकतीं. जो नीतीश पिछले एक दशक के दौरान सीएम थे, आज भी वही मुख्यमंत्री हैं.