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बिहार: नियमों को ताक पर रखकर दी गई थी बच्चा राय के कॉलेजों को क्लीन चिट

आपको जानकर हैरानी होगी कि बच्चा राय के फर्जी डिग्री कॉलेज को बिहार के निगरानी विभाग ने क्लीन चिट दे दी गई थी. जिस वक्त बच्चा राय के फर्जी डिग्री कॉलेज को मानक के अनुरूप पाकर क्लीन चिट दी गई, उस वक्त निगरानी के प्रमुख थे पीके ठाकुर जो इस वक्त बिहार के डीजीपी हैं.

सुजीत झा/रोहित गुप्ता
  • पटना,
  • 29 जून 2016,
  • अपडेटेड 9:43 PM IST

बच्चा राय को अब कौन नहीं जानता. इंटर टॉपर घोटाला उजागर होने के बाद बिहार ही नहीं देशभर में उसकी चर्चा हुई. वही बच्चा राय जिसने बिहार में पूरे शिक्षा व्यवस्था की जड़ को ही खोखला कर दिया. बच्चा राय इंटर टॉपर घोटाला के बाद एक बार फिर सुर्खियों में है. बच्चा राय पर बिहार के अधिकारी कितने मेहरबान थे इसका खुलासा आज तक को मिले एक दस्तावेज से हुआ.

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आपको जानकर हैरानी होगी कि बच्चा राय के फर्जी डिग्री कॉलेज को बिहार के निगरानी विभाग ने क्लीन चिट दे दी गई थी. जिस वक्त बच्चा राय के फर्जी डिग्री कॉलेज को मानक के अनुरूप पाकर क्लीन चिट दी गई, उस वक्त निगरानी के प्रमुख थे पीके ठाकुर जो इस वक्त बिहार के डीजीपी हैं.

ये मामला है सन् 2012 का. मुजफ्फरपुर के निगरानी कोर्ट में फर्जी डिग्री कॉलेजों की जांच के लिए मामला दर्ज किया गया. जांच का जिम्मा सौंपा गया निगरानी के तत्कालीन एसपी परवेज अख्तर को. साल 2013 में रिपोर्ट आयी. निगरानी विभाग ने अपनी रिपोर्ट में बच्चा राय के सभी चार कॉलेजों को क्लीन चिट दे दी गई, जबकि बाकी के कॉलेजों पर एफआईआर दर्ज हो गई. निगरानी के इस रिपोर्ट पर सवाल उठने लगे हैं. कारण है कि बच्चा राय के चार कॉलेजों की धरातल पर जो हकीकत है वो कुछ और ही है जबकि रिपोर्ट में इन कॉलेजों को मानक के अनुरूप पाया गया. इस मामले में मुजफ्फपुर के निगरानी कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने वाले वकील सुधीर ओझा का कहना है कि उन्होंने बच्चा राय के कालेज को क्लीन चिट देने वाले निगरानी के एसपी परवेज अख्तर की शिकायत पीके ठाकुर से की थी लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई.

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बच्चा राय के चार कॉलेज राजदेव राय डिग्री कॉलेज, कीरतपुर, राजाराम भगवानपुर, वैशाली, राजदेव राय लालमुनि डिग्री कॉलेज, चेहराकला, वैशाली, सियावती लालमुनि देवी डिग्री कॉलेज पातेपुर, वैशाली और ठाकुर देवी रामचन्द्र राजदेव बौआजी राय डिग्री कॉलेज, सठिऔता, लालगंज, वैशाली को निगरानी विभाग ने नियम-कानून को ताक पर रखकर क्लीन चिट दी थी. सबसे पहले आपको राजदेव राय लालमुनि डिग्री कॉलेज चेहराकला की हकीकत बताते हैं. बोर्ड पर लिखा है इस कॉलेज में 31 विषयों की पढ़ाई होती है लेकिन सच्चाई ये है कि इस कॉलेज को अभी तक अपना भवन तक नहीं है. इस कॉलेज के भवन की अभी छत की ही ढलाई हो रही है.

जांच में खुली कॉलेज की पोल
निगरानी विभाग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस कॉलेज में प्राचार्य कक्ष, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, क्लास रुम को लेकर कुल 15 कमरे हैं जबकि सच्चाई कुछ और ही है. हकीकत ये है कि अभी तक इस कॉलेज का भवन ही बन रहा है. निगरानी विभाग ने अपनी रिपोर्ट में ये भी लिखा था कि इस कॉलेज के पास कई एकड़ जमीन है जबकि हाल ही में जब बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर यूनि‍वर्सिटी ने इसकी जांच कराई तो जमीन के नाम कोई भी कागजात विश्वविद्यालय के पास नहीं मिले.

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यही हाल बच्चा राय के दूसरे डिग्री कॉलेज सियावती लालमुनि डिग्री कॉलेज पातेपुर, वैशाली का है. इस कॉलेज के रिपोर्ट में भी निगरानी विभाग ने खूब कसीदे गढ़े. रिपोर्ट में जिक्र किया गया कि कॉलेज के पास सुसज्जित पुस्तकालय, क्लास रुम, प्रयोगशाला, कार्यालय और प्राचार्य के कुल 16 कमरे हैं जबकि हकीकत इससे बिल्कुल अलग है. जब इस कॉलेज के पास आज की तारीख में इतने कमरे नहीं है और न ही वो सब है, जिसका जिक्र रिपोर्ट में किया गया. ऐसे में साल 2013 में जब निगरानी ने अपनी रिपोर्ट दी थी, तो उस वक्त ये सब कहां से होगा.

खपरैल के मकान में चल रहा कॉलेज
अब आपको बच्चा राय के तीसरे कॉलेज ठाकुर देवी रामचन्द्र राजदेव बौआजी राय डिग्री कॉलेज, सठिऔता की हकीकत बताते हैं. इस कॉलेज की हकीकत ये है कि खपरैल के मकान में कुल चार कमरे हैं जबकि रिपोर्ट में लिखा गया है कि इस कॉलेज में 6 क्लास रुम, 4 प्रयोगशाला, एक प्राचार्य कक्ष, एक कार्यालय उपलब्ध हैं. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि नए भवन का निर्माण कार्य भी हो रहा है जबकि धरातल पर ऐसा कुछ नहीं है.

इसी कॉलेज से हुई थी टॉपर घोटाले की शुरुआत
बच्चा राय के चौथे डिग्री कॉलेज राजदेव राय डिग्री कॉलेज को भी निगरानी विभाग ने क्लीन चिट दी जबकि इसी कॉलेज से इंटर टॉपर घोटाला की शुरुआत हुई थी. इस तरह निगरानी विभाग ने बच्चा राय के प्रभाव में आकर उसके वैसे चार डिग्री कॉलेजों को क्लीन चिट दे दी जो कहीं से भी मान्यता के लिए तय मानकों को पूरा नहीं करते.

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