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सीटों के तालमेल पर उपेंद्र कुशवाहा और अमित शाह में आज होगी चर्चा

पिछले लोकसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी लोकसभा की 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिन पर उसे जीत मिली थी. इसी आधार पर इस बार पार्टी इतने ही सीटों का दावा एनडीए में कर रही है.

अमित शाह और उपेंद्र कुशवाहा (फोटो-आजतक) अमित शाह और उपेंद्र कुशवाहा (फोटो-आजतक)
सुजीत झा/वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 12:06 AM IST

एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के 50-50 का मुकाबला तय होने के बाद अब उसकी एक और सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मंगलवार को बातचीत कर सकते हैं.

आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा 4 दिनों के बिहार दौरे के बाद सोमवार शाम दिल्ली रवाना हो गए. मंगलवार को दोपहर तक इनकी बातचीत हो सकती है क्योंकि उसके बाद अमित शाह गुजरात रवाना हो जाएंगे. पटना से रवाना होते समय कुशवाहा ने कहा कि मंगलवार को बातचीत हो सकती है.

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पिछले लोकसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी लोकसभा की 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिन पर उसे जीत मिली थी. इसी आधार पर इस बार पार्टी इतने ही सीटों का दावा एनडीए में कर रही है. मगर दिक्कत यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू अगल चुनाव लड़ी थी लेकिन इस बार साथ है तो जाहिर है कि सभी पार्टियों को कुर्बानी देनी पड़ रही है. वैसे भी उपेंद्र कुशवाहा के एक सांसद अरुण कुमार पहले ही बागी हो चूके हैं और उनके एनडीए से चुनाव लड़ने की कोई संभावना भी नही हैं. एनडीए की तरफ से उन्हें दो सीटों का ऑफर है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा की कोशिश इसे तीन सीट पाने की है.

सीटों को लेकर भले ही आरएलएसपी बीजेपी पर दबाव बना रही हो, लेकिन उनके पास विकल्प सीमित हैं. आरएलएसपी नेता सम्मानजनक समझौते नहीं होने पर अन्य विकल्प की बात लगातार कर रहे हैं. मगर वास्तविकता इसके उलट है. तेजस्वी यादव भले ही खुले तौर पर कुशवाहा को महागठबंधन में आने को लेकर ऑफर दे रहे हों, लेकिन उनके लिए महागठबंधन की राह आसान नहीं है. सीटों को लेकर महागठबंधन में खुद ही मारामारी है. सूत्रों के मुताबिक कुशवाहा महागठबंधन में 6 सीटों की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांग पूरी होने वाली नहीं है.

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बीजेपी और जेडीयू में सीटों की सहमति को लेकर पिछले दिनों उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि 50-50 के फार्मूले का कोई अंत नहीं है. यह 5-5 सीट या 10-10 सीट भी हो सकता है. जब तक कुछ तय नहीं होता है तब तक कुछ बोलना कैसे संभव है?

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