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अधर में बिलासपुर यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर नियुक्ति

छत्तीसगढ़ में बिलासपुर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की नियुक्ति को लेकर विवाद गहराता नजर आ रहा है. गौरतलब है कि बीएचयू के प्रोफेसर सदानंद शाही को वीसी बनाये जाने का ऐलान राज भवन ने किया था. इस ऐलान के बाद मचे बवाल के बाद बिलासपुर यूनिवर्सिटी के नए कुलपति प्रो. सदानंद शाही की योग्यता को लेकर जांच शुरू हुई थी. उनके नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद अचानक उस पर रोक लगा दी गई.

बिलासपुर यूनिवर्सिटी बिलासपुर यूनिवर्सिटी
सुनील नामदेव
  • बिलासपुर,
  • 22 जून 2017,
  • अपडेटेड 7:21 PM IST

छत्तीसगढ़ में बिलासपुर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की नियुक्ति को लेकर विवाद गहराता नजर आ रहा है. गौरतलब है कि बीएचयू के प्रोफेसर सदानंद शाही को वीसी बनाये जाने का ऐलान राज भवन ने किया था. इस ऐलान के बाद मचे बवाल के बाद बिलासपुर यूनिवर्सिटी के नए कुलपति प्रो. सदानंद शाही की योग्यता को लेकर जांच शुरू हुई थी. उनके नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद अचानक उस पर रोक लगा दी गई. राज भवन से मिली जानकारी के मुताबिक प्रोफेसर सदानंद शाही की नियुक्ति पर लगी रोक को लेकर चल रहे विवाद का फैसला जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद होगा. जांच कमेटी को रिपोर्ट देने के लिए पंद्रह दिन का समय दिया गया है.

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ऐसा बताया जा रहा है कि बिलासपुर विश्वविद्यालय में नए कुलपति के लिए तीन सदस्यीय पैनल तय कर राज भवन को भेजा गया था. इसके बाद पैनल ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो. सदानंद शाही के नाम पर राज भवन ने अपनी मुहर लगा दी थी, लेकिन कई दावेदारों ने इस नियुक्ति को चुनौती दी. राजभवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक सर्च कमेटी द्वारा की गई चूक की शिकायत की गई. इसके बाद छत्तीसगढ़ राजभवन ने 23 मई के अपने नियुक्ति आदेश पर 30 मई तक रोक लगा दी. इसके बाद जांच समिति का गठन कर अग्रिम आदेश तक इस रोक को बढ़ा दिया गया. यही नहीं बिलासपुर यूनिवर्सिटी के पुराने कुलपति जीडी शर्मा को अगले आदेश तक अपने पद पर रहने का आदेश जारी किया गया. श्री शर्मा का कार्यकाल 31 मई को ही समाप्त हो गया था.

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गौरतलब है कि प्रो. शाही के इस पद पर नियुक्त किए जाने के बाद अचानक यह बात सामने आयी कि सर्च कमेटी ने यूजीसी के नियमों का पालन नहीं किया. कमिटी इस बात की जांच कर रही है कि वास्तव में प्रो. सदानंद शाही कुलपति के लिए तय योग्यता पर खरे उतरते हैं या नहीं. यदि वह खरे नहीं उतरते तो जांच रिपोर्ट में कमी पाए जाने के बाद उनकी नियुक्ति रद्द हो जाएगी. नए सिरे से कुलपति की चयन की प्रक्रिया शुरू होगी. राज्यपाल के सचिव अशोक अग्रवाल के मुताबिक जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही कोई फैसला होगा.

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