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एक वायूसेना के जवान के तौर पर अपनी नौकरी करते हुए राकेश शर्मा ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका सफर भारतीय वायूसेना से अंतरिक्ष तक पहुंच जाएगा. अपने सफर को याद करते हुए शर्मा ने एक बार कहा था कि मैंने बचपन से पायलट बनने का सपना देखा था, जब मैं पायलट बन गया तो सोचा सपना पूरा हो गया. अंतरिक्ष यात्री बनने के बारे में तो हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे.
जब राकेश शर्मा अंतरिक्ष पहुंचे तो भारत में एक अजब ही अनिश्चय का माहौल पसरा हुआ था. अधिकांश आबादी यह भरोसा करने को तैयार नहीं थी कि कोई इंसान अंतरिक्ष पर भी पहुंच सकता है. उस समय के अखबारों में कई रोचक घटनाओं का जिक्र आता है. एक स्थानीय अखबार में छपी खबर के मुताबिक भारत की इस उपलब्धी पर यूं तो पूरे देश में खुशी का माहौल था लेकिन इस दौरान एक गांव के धार्मिक नेता काफी गुस्सा हो गए. उन्होंने कहा पवित्र ग्रहों पर कदम रखना धर्म का अपमान करना है. भारत जैसे देश में जहां उस वक्त साक्षरता काफी कम थी, अंधविश्वास का बोलबाला था ऐसी खबर पर सहज यकीन करना मुश्किल था भी.
उस समय की एक बात बड़ी मशहूर है कि अंतरिक्ष स्टेशन से जब राकेश शर्मा ने इंदिरा गांधी को फोन किया तो भारतीय प्रधानमंत्री ने पूछा कि वहां से हमारा हिंदुस्तान कैसा नजर आता है, इसके जवाब में शर्मा ने कहा, सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा. लेकिन यह वह वक्त था जब किस्से रचे जा रहे थे. राकेश शर्मा इतिहास और सामान्य ज्ञान की किताबों में हमेशा के लिए दर्ज हो गए. 3 अप्रैल से 11 अप्रैल 1984 तक राकेश शर्मा अंतरिक्ष में रहे.
जब सोवियत संघ ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने दो भारतीयों के उनके मिशन में शामिल होने का प्रस्ताव रखा. इंदिरा गांधी के पास वायूसेना के अफसरों के अलावा कोई विकल्प नहीं था. ISRO के पास तब इतने संसाधन नहीं थे. ऐसे में वायूसेना के दो अफसरों को 18 महीने की लंबी ट्रेनिंग दी गई. राकेश शर्मा के साथ गए रवीश मल्होत्रा उनके साथ ही इस मिशन में शामिल रहे. लेकिन पहला और सीनियर होने का ठप्पा राकेश शर्मा के साथ रहा. राकेश शर्मा ने लोकप्रियता की बुलंदियां छुईं लेकिन रविश कहीं खो से गए.
राकेश शर्मा बताते हैं कि जब वो मॉस्को पहुंचे और उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई तो उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उनके लिए हर चीज नई थी लेकिन जल्द सीखने की उनकी क्षमता यहां बहुत काम आई. शर्मा न सिर्फ भारत में लोकप्रिय हुए बल्कि रूस में भी उन्हें काफी सम्मान मिला. भारत ने उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया तो रूस ने भी उन्हें हीरो ऑफ सोवियत यूनियन के खिताब से नवाजा. 13 जनवरी 1949 को पैदा हुए राकेश शर्मा आज अपना 66 वां जन्मदिन मना रहे हैं. अब वह रिटायर हो चुके हैं और परिवार के साथ वक्त बिताते हैं.