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बीएसपी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का आज (15 जनवरी) का जन्मदिन है. वह आज 59 साल की हो गईं. जानिए उनके बारे में 15 बातें.
1. भारत की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव मायावती के हिस्से ही है. वह जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रही हैं.
2. राजनीति में उनका 'सोशल इंजीनियरिंग' का प्रयोग खासा कामयाब रहा. बीएसपी दलितों की पार्टी मानी जाती थी, लेकिन उन्होंने ब्राह्मण वोटरों को पार्टी से जोड़कर राजनीति के जानकारों को भी चौंका दिया था.
3. 15 जनवरी 1956. यह वो तारीख थी जब मायावती ने एक साधारण दलित परिवार में जन्म लिया था.
4. मायावती के पिता प्रभु दयाल दिल्ली में सरकारी कर्मचारी थे. मां रामरती अशिक्षित थीं. इसके बावजूद मायावती ने अच्छी शिक्षा हासिल की. हालांकि उनके स्कूल शिक्षक उन्हें एक कम बोलने वाली साधारण छात्रा के रूप में याद करते हैं.
5. मायावती के 6 भाई और दो बहनें हैं. उनका पुश्तैनी गांव उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में बादलपुर है. बीएसपी सरकार के समय माया के गांव में 24 घंटे बिजली आती थी.
6. मायावती ने ग्रेजुएशन के बाद दिल्ली के कालिंदी कॉलेज से एलएलबी की और फिर बीएड किया. इसके बाद वह दिल्ली के एक स्कूल में टीचर हो गईं. इसी दौरान वह आईएएस की परीक्षा के लिए भी तैयारी करने लगीं.
7. मायावती की जिंदगी तब बदली जब एक दिन बामसेफ संस्थापक और दिग्गज दलित नेता रहे कांशीराम ने उनका भाषण सुना. कांशीराम ने मायावती को आईएएस की तैयारी छोड़कर राजनीति में आने के लिए राजी कर लिया. इस तरह कांग्रेस-बीजेपी विरोधी रुख से मायावती के राजनीतिक करियर का सूत्रपात हुआ.
8. मायावती की कांशीराम से खासी नजदीकियां रहीं. कांशीराम ने मायावती से कहा था, 'मैं एक दिन तुम्हें इतना बड़ा नेता बनाऊंगा कि एक नहीं, सारे आईएएस अधिकारी तुम्हारे आगे कतार लगाकर तुम्हारा आदेश मानेंगे.' यहां से उस जुगलबंदी की नींव पड़ी जिसने देश में दलित राजनीति के प्रतिमान बदल दिए.
9. 1984 में जब कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाई तो उन्होंने मायावती को अपनी टीम का कोर मेंबर बनाया. इसके बाद मायावती ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1984 में वह बिजनौर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनी गईं.
10. राज्यसभा में उनकी पहली बार एंट्री 1994 में हुई. फिलहाल वह राज्यसभा सांसद ही हैं.
11. 1995 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. इसी के साथ उनके नाम दो रिकॉर्ड दर्ज हुए. उत्तर प्रदेश की सबसे युवा सीएम का और देश की पहली महिला दलित मुख्यमंत्री का.
12. मायावती करियर भर बीजेपी की राजनीति के खिलाफ रहीं. लेकिन 1997 और 2002 में मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने बीजेपी का समर्थन लेने से गुरेज नहीं किया. इसकी वजह से वह आलोचकों के निशाने पर रहती हैं.
13. मायावती ने यह जान लिया था कि जनाधार का विस्तार किए बिना वह उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री नहीं बन सकतीं और छोटे फायदों की राजनीति दीर्घ अवधि के लिए नुकसानदायक ही है. लिहाजा उन्होंने ब्राह्मण नेताओं को पार्टी से जोड़ा, उन्हें प्रमोट किया और टिकट बांटे. बीएसपी अब अपना पुराना चुनावी नारा पलट चुकी थी. नए नारे थे, 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' और 'हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा विष्णु महेश है.'
14. इस 'सोशल इंजीनियरिंग' और मेहनत का नतीजा उन्हें 2007 के चुनाव नतीजों में मिला. बीएसपी पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में जीत दर्ज करने में कामयाब रही.
15. बीते लोकसभा चुनाव में मायावती की बीएसपी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी थी. दिलचस्प बात यह है कि आज इसकी राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता खतरे में है. बीएसपी का एक भी सदस्य सांसदी नहीं जीत पाया.