
केरल, ओडिशा और बंगाल में बीजेपी को मजबूत करना क्यों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के एजेंडे में सबसे ऊपर है? क्यों मास्टर रणनीतिकार माने जाने वाले शाह इन राज्यों के दौरों पर बार-बार जाते हैं? ये बात खुद ही शाह इसी साल अप्रैल में भुवनेश्वर में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में साफ कर चुके हैं. तब शाह ने कहा था कि बेशक केंद्र में पार्टी की बहुमत की सरकार है. देश के अधिकतर राज्यों में अब कमल खिला हुआ है लेकिन बीजेपी का स्वर्णिम युग तभी आया माना जाएगा जब केरल, ओडिशा और बंगाल में भी बीजेपी सरकार सत्ता पर काबिज होगी.
शाह के इन राज्यों के ताबड़तोड़ दौरों का मकसद ना सिर्फ यहां बीजेपी की सरकारें बनाना है बल्कि 2019 का लोकसभा चुनाव भी उनके जेहन में हैं. बता दें कि लोकसभा की 120 सीटें, जहां बीजेपी को कभी जीत का मुंह देखना नसीब नही हुआ, उनमें से ज्यादातर केरल, ओडिशा और बंगाल में ही हैं. यही वजह है कि ‘मिशन 2019’ के तहत यहां कमल खिलाने को शाह ने नाक का सवाल बना लिया है.
एक महीना पहले वृंदावन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) पर आरोप लगाते हुए संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं की हत्या का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था. उसके बाद से ही अमित शाह ने केरल में अपनी सक्रियता बढ़ा दी. संघ और बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में 3 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक कन्नूर से त्रिवेंद्रम तक जनरक्षा पदयात्रा निकाली गई. पदयात्रा की शुरुआत और समापन, दोनों मौकों पर शाह खुद मौजूद रहे. इस यात्रा में हर दिन किसी ना किसी केंद्रीय मंत्री या पार्टी के बड़े राष्ट्रीय नेता ने शिरकत की.
शाह ने 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों के लिए खास रणनीति बनाई है. इस मिशन पर पांच केंद्रीय मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है. इन मंत्रियों से महीने में कम से कम दो दिन इन लोकसभा सीटों पर अपने कार्यक्रम रखने के लिए कहा गया है.
संघ के सूत्रों की मानें तो केरल संघ का गढ़ रहा हैं लेकिन अभी तक इसकी सांगठनिक शक्ति का फायदा बीजेपी को उसके खुद के कमजोर होने की वजह से नहीं मिला है. पिछले विधानसभा चुनाव में केरल में बीजेपी को लगभग 15 प्रतिशत वोट मिले थे. अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी को उम्मीद हैं की अगले लोक सभा चुनाव में बीजेपी कम से कम तीन सीटों पर ज़रूर जीत का परचम फहराएगी.
केरल की तरह ओडिशा पर भी अमित शाह की पैनी नजर है. 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ साथ ही ओडिशा में विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए इस राज्य के लिए भी बीजेपी ने चुनावी बिगुल बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अप्रैल में ही बजा दिया था. उसके बाद से अभी तक अमित शाह चार बार ओडिशा के दौरें पर आ चुके हैं. धर्मेंद्र प्रधान और जुआल ओरम के अलावा 15 केंद्रीय मंत्री राज्य के अलग अलग लोकसभा क्षेत्रों में सरकारी या ग़ैर सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुके हैं.
ओडिशा की 21 लोकसभा में से फिलहाल एक ही लोकसभा सीट पर बीजेपी का क़ब्ज़ा हैं. बीजेपी का जब बीजेडी के साथ गठबंधन रहा लोकसभा में उसे भी अच्छी सीटें मिलती रहीं. ओडिशा की 12 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी ने कभी जीत हासिल नहीं की है, रविशंकर प्रसाद के साथ दो अन्य मंत्रियों को यहां बीजेपी को जिताने की जिम्मेदारी दी गई है.
2019 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी का पश्चिम बंगाल में भी अपने विरोधी दलों के वोटों में सेंध लगाने का प्लान तैयार है. पार्टी खास तौर पर ममता बेनर्जी की पार्टी टीएमसी की चूलें हिलाने की रणनीति पर काम कर रही है, पश्चिम बंगाल में फ़िलहाल बीजेपी के पास दो लोकसभा सांसद हैं. बीजेपी के पश्चिम बंगाल प्लान के तहत ही 2014 चुनाव के बाद बीजेपी में शामिल हुई बांग्ला अभिनेत्री और टीवी कलाकार रूपा गांगुली को राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य के तौर पर भेजा गया था.
पश्चिम बंगाल में संघ की मदद से पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए अमित शाह ने ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ कई मोर्चों पर जंग शुरू कर रखी है. प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की जोड़ी ये बात अच्छी तरह जानती है कि हिंदी पट्टी- यानी उत्तर प्रदेश,राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा के अलावा झारखंड, गुजरात में बीजेपी ने 208 लोकसभा सीट जीती थीं. 2019 लोकसभा चुनाव में इन राज्यों में पार्टी को नुकसान होता है तो उसकी भरपाई मोदी-शाह की जोड़ी केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु और नॉर्थ ईस्ट से करना चाहती है.