
बीजेपी 2019 की तैयारी 2004 के शाइनिंग इंडिया के आधार पर कतई नहीं होगी. क्योंकि 2022 से आगे 2025 यानी संघ के शताब्दी वर्ष तक मोदी सत्ता बरकरार रहे तो ही संघ का विस्तार पूरे देश में हो पाएगा. सोच यही है इसलिए 2019 में ये कतई नहीं कहा जाएगा कि बीते 5 बरस में मोदी ने क्या किया, बल्कि 2022 का टारगेट क्या-क्या है इसे ही जनता को बताया जाएगा, जिससे जनता 2014 में मांगे गए 60 महीने को याद ना करें.
2022 में पूरी होने वाली योजनाएं
स्वच्छ भारत, वैकल्पिक उर्जा और प्रधानमंत्री आवास योजना समेत दर्जन भर योजनाओं का होगा, जिससे जनता खुद की मोदी सरकार को 2022 तक का वक्त ये सोच कर दे दें कि तमाम योजनाएं तो 2022 में पूरी होगी, और बहुत ही बारीकी से न्यू इंडिया का नारा भी 2022 तक का रखा गया है. जिसमें टारगेट करप्शन फ्री इंडिया से लेकर कालेधन से मुक्ति के साथ-साथ शांति, एकता और भाईचारा का नारा भी दिया गया है.
मोदी-संघ की नजर 2019 से आगे
जाहिर है 2019 से पहले के हर विधानसभा चुनाव को जीतना भी जरूरी है. इसलिए सबसे पैनी नजर कांग्रेस की सत्ता वाली कर्नाटक पर है. बीजेपी महासचिव मुरलीधर राव को अभी से सोच कर लगाया गया है कि कर्नाटक में हर विधानसभा सीट को लेकर मेनिफेस्टो तैयार किया जाए. बकायदा हर विधानसभा क्षेत्र के 500 से 1000 लोगों से बातचीत कर मेनिफेस्टो की तैयारी शुरू हुई है. जिन लोगों से बातचीत होगी उसमें हर प्रोफेशन से जुड़े लोगों को शामिल किया जा रहा है.
वहीं दूसरी तरफ संघ का शहर संगठन मोदी सरकार की नीतियों के साथ खड़े रहे इसके लिए अब संघ को जो मथने का काम नागपुर में होने वाली प्रतिनिधि सभा के साथ ही शुरू होगा. उसमें आरएसएस में फेरबदल के साथ बीजेपी में भी फेरबदल होगा. मसलन ये माना जा रहा है कि अखिल विद्यार्थी परिषद को बीजेपी का नया भर्ती मंच बनाया जाएगा.
अखिल विद्यार्थी परिषद पर दांव
जानकारी के मुताबिक इसके लिए विद्यार्थी परिषद में भी फेरबदल हो सकता है. विद्यार्थी परिषद की कमान संभाल रहे सुनील आंबेकर की जगह बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव रामलाल को विद्यार्थी परिषद की कमान दी जाएगी यानी बीजेपी ही नहीं संघ के भीतर भी ये सवाल है कि 2025 में मोदी की उम्र भी 75 की हो जाएगी, तो उसके बाद युवा नेतृत्व को बनाने के तरीके अभी से विकसित करने होंगे. लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की रणनीति क्या होगी, क्योंकि गुजरात से बाहर जितनी जल्दी कांग्रेस निकले ये उसके लिए उतना ही बेहतर हैं.