
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार को फटकार लगी, तो विपक्ष को मानो उन्हें घेरने का मौका मिल गया. पहले ही केजरीवाल पर दिल्ली से बाहर चुनावी राज्यों में व्यस्त रहने का आरोप लगता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डेंगू और चिकनगुनिया की सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणी को विपक्ष ने आरोपों को धारदार बनाने के लिए इस्तेमाल कर लिया. जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या केजरीवाल वाकई बीमारी की वजह से डेंगू और चिकनगुनिया के खिलाफ रणनीति बनाने वाली मीटिंग में शामिल नहीं हुए या फिर वो गुजरात में थे? विपक्ष के तमाम नेता सक्रिय हो गए.
दिल्ली बीजेपी ने कहा कि केजरीवाल का दिल दिल्ली में आजकल लगता ही कहां है, जो उन्हें डेंगू और चिकनगुनिया की फिक्र होगी. राष्ट्रीय मंत्री आर पी सिंह ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने बीमारियों को कभी सीरियसली लिया ही नहीं, वो अपना इलाज कराने के लिए तो छुट्टी पर होते हैं, लेकिन दिल्ली के लोग कैसे परेशान होते हैं, इसकी फिक्र नहीं. यही नहीं, इनके तो मंत्री भी दिल्ली से गायब रहते हैं, अभी भी इनके ज्यादातर मंत्री दिल्ली से बाहर हैं.
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ये बताती है कि केजरीवाल के लिए राजनीति पहले है और गवर्नेंस बाद में. अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने दिल्ली वालों को अनाथ बनाकर छोड़ दिया और अब लोग अपने आपको छला हुआ महसूस कर रहे हैं.
गुप्ता ने आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री बीमारी का बहाना बनाकर कोर्ट को भी गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. ये बात उनके झूठ को बेनकाब करती है और साथ ही ये भी साफ है कि केजरीवाल का फोकस अब गुजरात और पंजाब है, जहां आने वाले महीनों में चुनाव होने वाले हैं. दिल्ली वालों की परेशानी या उनकी समस्याओं से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है.