
गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि भाजपा गुजरात में 150 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करेगी. उनके इस विश्वास के पीछे मोदी मैजिक पर भरोसे का हाथ था. 2014 के बाद पंजाब, बिहार और दिल्ली को छोड़कर सारे चुनाव में मोदी मैजिक का जलवा रहा. खासकर उत्तर प्रदेश में मोदी मैजिक वोटर्स के सिर चढ़कर बोला. हालांकि गुजरात चुनाव के नतीजों ने बीजेपी को प्रदेश का सरदार जरूर बना दिया होगा, लेकिन इसके लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि बीजेपी कब तक मोदी मैजिक के सहारे जीतते रहेगी?
100 पर ही सिमट गई बीजेपी
2012 गुजरात में बीजेपी को 115 सीटें मिली थीं, बीजेपी को 47.9 फीसदी वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस को 2012 में 61 सीटों पर जीत दर्ज की थी, कांग्रेस को 38.9 फीसदी मत मिले थे. वहीं इस बार अब तक के रुझानों के मुताबिक बीजेपी को 100 के आस पास सीटें और 49 वोट प्रतिशत मिलती हुई दिखाई दे रही है. वहीं कांग्रेस के वोट शेयर और सीटों दोनों में इजाफा हुआ है. कांग्रेस को 80 के आस पास सीटें और 43 प्रतिशत के आसपास वोट मिलते हुए नजर आ रहे हैं.
वहीं 2014 से तुलना करें तो 2014 लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी को गुजरात में 60.1 फीसदी वोट मिले अगर विधानसभा के हिसाब से देखें तो 162 सीटें और वहीं कांग्रेस को 33.5 फीसदी वोट, सीटों के हिसाब से 17 सीटें मिली थीं.
ऐसे में गुजरात चुनाव के नतीजों से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और दूसरे नेताओं का 150 सीटों का दावा झूठा साबित हुआ. वहीं बीजेपी पिछले चुनावों का प्रदर्शन तक भी नहीं पहुंच पाई. ऐसे में कह सकते हैं कि मोदी मैजिक के सहारे एक बार फिर बीजेपी को जीत मिली हो, लेकिन यह कब तक जारी रहेगी, यह कहना मुश्किल है.
मोदी की धुआंधार रैलियां
गुजरात के चुनाव प्रचार में बीजेपी और पीएम नरेंद्र खुद ने काफी ताकत झोंक दी थी. पीएम मोदी को गुजरात चुनाव में उलटफेर होने का अंदेशा हो गया था. यही वजह है कि उन्हें खुद कमान संभाल कर चुनाव के दौरान रैलियां करनी पड़ी. यही वजह है कि पीएम मोदी की मेहनत रंग लाई और आखिरकार बीजेपी बहुमत से कुछ सीटें ज्यादा लाने में सफल रही.
तमाम केंद्रीय मंत्री चुनाव प्रचार में
मोदी मैजिक पर शायद पीएम मोदी को खुद यकीं नहीं था. यही वजह है कि उन्होंने अपने साथ अपनी पूरी कैबिनेट को भी गुजरात चुनाव प्रचार में लगा दिया था. यही नहीं मोदी ने गुजरात में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी पूरा सहयोग लिया. सारे मंत्री और मुख्यमंत्री मिलकर भी 2014 का करिश्मा और यूपी चुनाव का जलवा गुजरात में नहीं दोहरा पाए.
अंतिम समय में इमोशनल कार्ड (मणिशंकर का बयान)
गुजरात में सत्ता में रहते हुए भी संघर्ष करती बीजेपी को आखिरीसमय में कांग्रेस नेता मणिशंकर के विवादस्पद बयान से संजीवनी बूटी मिल गई. मणिशंकर के बयान को मोदी ने खूब कैश किया और इसे गुजरात की जनता से जोड़ते हुए काफी भावनात्मक बयान दिए. ऐसे में नतीजों में मोदी मैजिक को छोड़कर मोदी के भावनात्मक बयानों का असर ज्यादा दिख रहा है. अब राजस्थान में होने वाले चुनाव की बारी है. ऐसे में देखना है कि क्या बीजेपी वहां सरकार बरकरार रख पाएगी? गुजरात को देखते हुए यह जरूर साफ हो गया है कि बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी.