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गुजरात की जनता से वादा करने से हिचक रही भाजपा

गुजरात की जनता से वादा करने से हिचक रही भाजपा, चुनावी घोषणा-पत्र और विजन डॉक्यूमेंट के बीच ऊहापोह में फंसी है भाजपा

गुजरात में पीएम मोडी की चुनावी रैली गुजरात में पीएम मोडी की चुनावी रैली

गुजरात में पिछले 22 साल में चुनाव में पहली बार मिल रही कड़ी टक्कर से भाजपा, राज्य की जनता से कोई भी वादा कर पाने में हिचक रही है.  इसे लेकर वैचारिक आधार पर पार्टी दो हिस्सों में बंट गई है. एक धड़ा चुनावी घोषणा-पत्र या विजन डॉक्यूमेंट जारी करने के पक्ष में है, तो दूसरा धड़ा बिना किसी वादे के चुनाव में जाना चाह रहा है. 

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इस मामले में शीर्ष नेतृत्व कोई फैसला नहीं ले पाया है. पहले चरण का चुनाव प्रचार 7 दिसंबर को खत्म हो रहा है और अभी तक पार्टी घोषणा-पत्र या विजन डॉक्यूमेंट जारी नहीं कर सकी है.

क्या है वजह?

पार्टी पहले घोषणा-पत्र जारी करने के पक्ष में थी, लेकिन शीर्ष नेतृत्व का मानना था कि इससे कांग्रेस को राज्य सरकार पर हमला करने का मौका मिल जाएगा. कांग्रेस यह कह सकती है कि 22 साल के बाद भी भाजपा अभी तक वादा ही कर रही है कि सत्ता में आने पर वो क्या करेगी. 

सूत्रों का कहना है कि इस तर्क को मान लिया गया. 

फिर यह तय किया गया कि घोषणा-पत्र की जगह विजन डॉक्यूमेंट जारी किया जाए. सहमति तो बनी, लेकिन फिर उसमें भी अड़ंगा लग गया. तर्क यह दिया गया कि विजन डॉक्यूमेंट में चूंकि टाइम फ्रेम नहीं होता ऐसे में कांग्रेस की घोषणा पत्र जारी होने से भाजपा का विजन डॉक्यूमेंट हल्का लगेगा.

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सूत्रों का कहना है कि अब मुख्यमंत्री और उनके समर्थक चाह रहे हैं कि आज ही विजन डॉक्यूमेंट जारी हो जाए, जबकि उप-मुख्यमंत्री के समर्थक चाह रहे हैं कि चुनाव में विजन डॉक्यूमेंट जारी करने की जगह मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया जाए, ताकि संदेश साफ जाए कि जो चेहरा प्रोजेक्ट हुआ है वो किस सोच के साथ काम करने वाला है, जमीन पर कितनी पकड़ है और काम करने में कितना सक्षम है.

ये अंतर है विजन डॉक्यूमेंट औऱ घोषणा पत्र में

घोषणा पत्र 5 साल के लिए होता है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, धारा 123 के तहत राजनीतिक पार्टी लोगों से वादा कर सकती है, लेकिन वादा संबंधित राज्य के विधान के मुताबिक हो, राज्य के आर्थिक संसाधन की सीमा में तार्किक हो. यदि ऐसा नही है तो वो भ्रष्ट आचरण की सीमा में आ सकता है. मिसाल के तौर पर, जनता से सोने की चेन वगैरह देने का वादा.

विजन डॉक्यूमेंट समय सीमा से बंधा नहीं होता है. इसमें सिर्फ भविष्य में राज्य को कैसा बनाना है इसका एक खाका रखा जाता है. इसमें कहा जा सकता है कि 10 साल बाद राज्य को आर्थिक रूप से कहां ले जाना है.  इसमें राज्य के मौजूदा संसाधन से लेना-देना होना अनिवार्य नहीं है. एक तरह से विजन डॉक्यूमेंट लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम की धारा 123 के तहत बाध्यकारी नहीं है.

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