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मोदी बनाम पूरा विपक्ष

भाजपा अध्यक्ष और पार्टी के इस यकीन के बीच कर्नाटक में जिस तरह से मोदी के खिलाफ विपक्ष लामबंद हुआ है उससे भाजपा की राह उतनी आसान भी नहीं है. खासकर जब सचाई यह हो कि मोदी अपनी पार्टी की सरकार वाले राज्यों में सत्ता समर्थक रुझान बनाने में मुश्किल से ही कामयाब हो पाते हैं.

लामबंद विपक्ष बेंगलूरू में कुमारस्वामी की सरकार बनने के मौके पर विभिन्न दलों के नेता लामबंद विपक्ष बेंगलूरू में कुमारस्वामी की सरकार बनने के मौके पर विभिन्न दलों के नेता
सुजीत ठाकुर/संध्या द्विवेदी/मंजीत ठाकुर
  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2018,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

कर्नाटक में जनता दल (एस) और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनने से ठीक 24 घंटे पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पूरे विश्वास के साथ कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए) एकतरफा जीत हासिल करेगी.

इस यकीन का आधार वे नरेंद्र मोदी सरकार के प्रदर्शन और खुद प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को बताते हैं. लेकिन यह सिक्के का एक पहलू है. दूसरा और शायद ज्यादा महत्वपूर्ण पहलू जो शाह के जेहन में है, वह है सत्ता विरोधी रुझान को भाजपा के पक्ष में निर्णायक रूप से मोड़ने की मोदी की कला जिसका जिक्र वह यदाकदा भाजपा नेताओं के साथ करते रहे हैं.

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2009 से लेकर 2013 जून तक (लगभग चार साल) मुख्य विपक्षी दल के रूप में भाजपा तेजहीन नजर आती थी. जून में गोवा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नरेंद्र मोदी को 2014 लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया गया और बाद में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार.

उन्होंने 10 साल से केंद्र की सत्ता में काबिज मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ एकत्र सत्ता विरोधी रुझान को भाजपा के पक्ष में इस कदर मोड़ा की पहली बार भाजपा लोकसभा में अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाब रही.

यहीं से मोदी ने विभिन्न राज्यों में काबिज कांग्रेस तथा अन्य दलों की सरकार के खिलाफ जमा सत्ता विरोधी रुझान को भुनाने में सफलता पाई. हरियाणा, महाराष्ट्र से शुरू हुए सफर का फिलहाल आखिरी मुकाम कर्नाटक रहा.

जिन राज्यों में पिछले चार साल में चुनाव हुए उनमें ज्यादातर में मोदी को सफलता मिली. जहां कामयाबी नहीं मिली वहां भाजपा को वोट शेयर बढ़ाने में मोदी जरूर कामयाब हुए. मसलन, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, बिहार आदि.

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मोदी की यही ताकत अमित शाह को वह उम्मीद देती है जिसके बूते वे यह दावा खुलेआम करते हैं कि 2019 में भाजपा एकतरफ जीत हासिल करेगी. शाह लोकसभा चुनाव की दृष्टि से यह आकलन कर रहे हैं कि कोरोमंडल राज्य (ओडिश-बंगाल-आंध्र प्रदेश) में भाजपा शानदार प्रदर्शन करेगी.

चूंकि ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में गैर-भाजपा सरकार है लिहाजा भाजपा और शाह मान रहे हैं कि इन इलाकों में सत्ता-विरोधी रुझान को मोदी भाजपा के पक्ष में करने में सफल रहेंगे. शाह पहले भी कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि 2014 में जिन राज्यों में भाजपा को बड़ी सफलता मिली वहां कुछ सीटों का नुक्सान हो सकता है.

लेकिन साथ ही वे यह भी जोड़ते हैं कि इसकी भरपाई उन राज्यों से होगी जहां भाजपा 2014 में सीट नहीं जीत सकी थी या इक्का-दुक्का सीट ही जीत सकी थी. उन्होंने तटीयों राज्यों की ऐसी 150 सीटों पर पार्टी का काम बढ़ाने की पहल तीन साल पहले ही शुरू कर दी है.

कोरोमंडल राज्य में लोकसभा की कुल 105 सीटें हैं (तेलंगाना को मिला कर). शाह को उम्मीद है कि इन राज्यों भाजपा चमत्कार कर सकेगी. भाजपा सांसद अनिल बलूनी कहते हैं कि बंगाल और ओडिशा में भाजपा ने काफी मेहनत की है और इन दोनों राज्यों में प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका में लोगों के सामने उभरी है. पार्टी को उम्मीद है कि 2019 में इन राज्यों में वह शानदार प्रदर्शन करेगी.

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भाजपा अध्यक्ष और पार्टी के इस यकीन के बीच कर्नाटक में जिस तरह से मोदी के खिलाफ विपक्ष लामबंद हुआ है उससे भाजपा की राह उतनी आसान भी नहीं है. खासकर जब सचाई यह हो कि मोदी अपनी पार्टी की सरकार वाले राज्यों में सत्ता समर्थक रुझान बनाने में मुश्किल से ही कामयाब हो पाते हैं.

मसलन, गुजरात और गोवा. गुजरात में बड़ी मुश्किल से भाजपा की सरकार बनी और गोवा में भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी बन कर रह गई थी. 2019 में जब लोकसभा के चुनाव होंगे तो ज्यादातर राज्यों में भाजपा की सरकार होगी और मोदी के सामने इन राज्य सरकारों के खिलाफ बोलने का मौका नहीं होगा.

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